भारत में कंडोम को लेकर इससे नायाब कैंपेन शायद ही हुआ हो. आमतौर पर जब भी कंडोम से जुड़े विज्ञापनों की बात होती है तो एक घिसापिटा चलन यही है कि किसी महिला की उत्तेजक तस्वीर को अखबार के पन्नों पर चिपका दो या फिर टीवी पर सनी लियोन से सुबह शुरू होने से लेकर, शाम खत्म होने...बेवजह..बेवक्त, कभी काउच पर...कहीं जाने से पहले..कहीं से आने के बाद वाला किस्सा चला दो.
वैसे, टीवी पर सनी लियोन का ये अंदाज भले ही विवादित रहा हो लेकिन इसका एक फायदा ये हुआ कि कंडोम पर खुल कर बात होने लगीं. ठीक से याद तो नहीं लेकिन भारत में शायद 'बिंदास बोल कंडोम' विज्ञापन के जरिए कंडोम को लेकर एक बोल्ड मुहिम शुरू हुई. विज्ञापन में पुलिस से लेकर वकील और सामान ढोने वाले कुली तक से 'बिंदास बोल कंडोम' की बात कहलवाई गई. लेकिन ट्रक ड्राइवर यहां भी छूट गए.
यह भी पढ़ें- एक लड़की 'कंडोम' खरीदे तो यह चौंकने वाली बात क्यों है?
ट्रक ड्राइवरों का ज्यादातर समय और फिर ज्यादतर क्या कहें, कभी-कभी तो महीनों हाईवे और इस शहर से उस शहर की खाक छानने में गुजर जाते हैं. और ये बात छिपी भी नहीं है कि उन्हें क्यों 'बदनामों' की श्रेणी में रखा जाता रहा है.
एक लाइन बन गई सेफ सेक्स के लिए मुहिम की प्रेरणा |
एक आंकड़े के अनुसार भारत के हाईवे पर अपनी लंबी यात्राओं के दौरान करीब 20 लाख ट्रक ड्राइवर सेक्स वर्कर्स के पास जाते हैं. लेकिन इनमें से केवल 11.4 फीसदी ही कॉन्डोम का इस्तेमाल करते हैं. ज्यादातर ड्राइवरों में...
भारत में कंडोम को लेकर इससे नायाब कैंपेन शायद ही हुआ हो. आमतौर पर जब भी कंडोम से जुड़े विज्ञापनों की बात होती है तो एक घिसापिटा चलन यही है कि किसी महिला की उत्तेजक तस्वीर को अखबार के पन्नों पर चिपका दो या फिर टीवी पर सनी लियोन से सुबह शुरू होने से लेकर, शाम खत्म होने...बेवजह..बेवक्त, कभी काउच पर...कहीं जाने से पहले..कहीं से आने के बाद वाला किस्सा चला दो.
वैसे, टीवी पर सनी लियोन का ये अंदाज भले ही विवादित रहा हो लेकिन इसका एक फायदा ये हुआ कि कंडोम पर खुल कर बात होने लगीं. ठीक से याद तो नहीं लेकिन भारत में शायद 'बिंदास बोल कंडोम' विज्ञापन के जरिए कंडोम को लेकर एक बोल्ड मुहिम शुरू हुई. विज्ञापन में पुलिस से लेकर वकील और सामान ढोने वाले कुली तक से 'बिंदास बोल कंडोम' की बात कहलवाई गई. लेकिन ट्रक ड्राइवर यहां भी छूट गए.
यह भी पढ़ें- एक लड़की 'कंडोम' खरीदे तो यह चौंकने वाली बात क्यों है?
ट्रक ड्राइवरों का ज्यादातर समय और फिर ज्यादतर क्या कहें, कभी-कभी तो महीनों हाईवे और इस शहर से उस शहर की खाक छानने में गुजर जाते हैं. और ये बात छिपी भी नहीं है कि उन्हें क्यों 'बदनामों' की श्रेणी में रखा जाता रहा है.
एक लाइन बन गई सेफ सेक्स के लिए मुहिम की प्रेरणा |
एक आंकड़े के अनुसार भारत के हाईवे पर अपनी लंबी यात्राओं के दौरान करीब 20 लाख ट्रक ड्राइवर सेक्स वर्कर्स के पास जाते हैं. लेकिन इनमें से केवल 11.4 फीसदी ही कॉन्डोम का इस्तेमाल करते हैं. ज्यादातर ड्राइवरों में एड्स को लेकर जागरुकता नहीं है. यही नहीं, इनमें से 16 फीसदी ऐसे पाए गए जो सेक्स ट्रांसमिटेड डिजिज (STDs) से ग्रसित हैं.
'डिपर कंडोम कैंपेन' से बनेगी बात!
ट्रक ड्राइवरों को सुरक्षित सेक्स की बात समझाने के लिए देश की सबसे बड़ी ट्रक निर्माता कंपनी टाटा मोटर्स और लॉजिस्टिक और सप्लाई चेन कंपनी ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने मिलकर इस मुहिम की शुरुआत इसी साल अप्रैल में की थी. अब तक 45,000 से ज्यादा कंडोम बेचे जा चुके हैं.
ये कंडोम केवल ट्रक ड्राइवरों के लिए |
इस मुहिम की खास बात ये है कि जो कंडोम बेचे जा रहे हैं, उन्हें 'डिपर' नाम दिया गया है. एक कंडोम की कीमत दो रुपये. लेकिन इस कंडोम की सबसे दिलचस्प बात इसकी पैकेजिंग है. पैकेट को उसी अंदाज में तैयार किया है जैसे रंग-बिरंगे ट्रक नजर आते हैं और ये ट्रक ड्राइवरों के बीच खासा लोकप्रिय हो रहा है. इनकी बिक्री हाईवे पर चलने वाले दुकानों, होटलों और यहां तक कि पेट्रोल पंप तक से की जा रही है.
इस वीडियो के जरिए भी समझिए..क्या है 'डिपर कंडोम कैंपेन'
क्यों अनोखा है ये कैंपेन
आमतौर पर अखबार, टीवी या रेडियो जैसे मेनस्ट्रिम मीडिया के माध्यमों से ही जागरुकता के ऐसे अभियान चलते आए हैं. उसमें भी किसी कंपनी का अपना विज्ञापन ही हावी रहता है. निरोध या गर्भनिरोधक गोलियों को लेकर सरकारी अभियान तो लगभग खत्म ही हो गए हैं.
ऐसे में ट्रक ड्राइवरों को उन्हीं की भाषा में सेफ सेक्स का महत्व समझाने की ये मुहिम अनोखी नहीं तो और क्या है. ये कितनी सफल होगी, ये भले ही अभी साफ नहीं हो. लेकिन कैंपेन दिलचस्प है. वैसे भी, जब जमाना फेयर एंड लवली से फेयर एंड हैंडसम तक जा पहुंचा है तो ऐसे में केवल ट्रक ड्राइवरों के लिए अगल से कंडोम बाजार में आ जाए तो स्वागत तो होना ही चाहिए.
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