फतवा देने वाला मुसलमान. फतवा लेने वाला मुसलमान. पिटने वाला मुसलमान. पीटने वाला मुसलमान. निकाह करके घर बसाने की तमन्ना रखने वाला मुसलमान. तलाक देकर जिंदगियां उजाड़ने की साज़िश करने वाला मुसलमान. जलील करने वाला मुसलमान. जलील होने वाला मुसलमान. जालिम मुसलमान. मजलूम मुसलमान. कातिल मुसलमान. मकतूल मुसलमान. समाजी बुराईयों में मुलव्विस मुसलमान. इस्लाहे मुआशरा का फरीजा अंजाम देने वाला मुसलमान.
जकात देने वाला मुसलमान. जकात लूट के खाने वाला मुसलमान. लाल किले जैसे लातादाद महलों के तख़्त पर बैठने वाला मुसलमान और इन किलों के चबूतरों पर मूंगफली बेचने वाला मुसलमान. ताजमहल के हुस्न पर मरने वाला मुसलमान. वीरान पड़ी मस्जिदों में कभी नमाज न पढ़ने वाला मुसलमान. हुमायूं के मक़बरे पर जान लूटा देने का अज़्म रखने वाला मुसलमान. जन्नतुल बक़ी के इन्हेदाम को जाएज ठहराने वाला मुसलमान.
बीजेपी से 1 किलोमीटर की दूरी बनाए रखने का फतवा देने वाला मुसलमान. इजराइल-सऊदी की बढ़ती मोहब्बतों और डिप्लोमेटिक रिश्तों को वक्त की जरूरत बताने वाला मुसलमान. शिया-सुन्नी मुसलमान. देवबंदी-बरेलवी मुसलमान. सूफी-सलफी मुसलमान. हम्बली-हनफी मुसलमान. हर मोड़ पे एक अलग फिरका लिए खड़ा मुसलमान. अब खुद ही सोचिये दिक्कत कहां है.
दिक्कत न तो सरकारों में है. न अखबारों में है. न टीवी की बहसों में है. न सोशल मीडिया के मुबाहिसों में है. और न ये दिक्कत हिंदुस्तान तक महदूद है. ये दिक्कत हर उस मुल्क में है जहां-जहां मुसलमान 15 फीसद से ज्यादा आबाद हैं. और दिक्कत इसलिए है कि इस्लाम कुछ कहता है, मुसलमान कुछ करता है. क़ुरान कुछ कहता है, मुसलमान कुछ करता है. हुजूर की सीरत कुछ है. मुसलमानो की सूरत कुछ है.
जाहिर है जब...
फतवा देने वाला मुसलमान. फतवा लेने वाला मुसलमान. पिटने वाला मुसलमान. पीटने वाला मुसलमान. निकाह करके घर बसाने की तमन्ना रखने वाला मुसलमान. तलाक देकर जिंदगियां उजाड़ने की साज़िश करने वाला मुसलमान. जलील करने वाला मुसलमान. जलील होने वाला मुसलमान. जालिम मुसलमान. मजलूम मुसलमान. कातिल मुसलमान. मकतूल मुसलमान. समाजी बुराईयों में मुलव्विस मुसलमान. इस्लाहे मुआशरा का फरीजा अंजाम देने वाला मुसलमान.
जकात देने वाला मुसलमान. जकात लूट के खाने वाला मुसलमान. लाल किले जैसे लातादाद महलों के तख़्त पर बैठने वाला मुसलमान और इन किलों के चबूतरों पर मूंगफली बेचने वाला मुसलमान. ताजमहल के हुस्न पर मरने वाला मुसलमान. वीरान पड़ी मस्जिदों में कभी नमाज न पढ़ने वाला मुसलमान. हुमायूं के मक़बरे पर जान लूटा देने का अज़्म रखने वाला मुसलमान. जन्नतुल बक़ी के इन्हेदाम को जाएज ठहराने वाला मुसलमान.
बीजेपी से 1 किलोमीटर की दूरी बनाए रखने का फतवा देने वाला मुसलमान. इजराइल-सऊदी की बढ़ती मोहब्बतों और डिप्लोमेटिक रिश्तों को वक्त की जरूरत बताने वाला मुसलमान. शिया-सुन्नी मुसलमान. देवबंदी-बरेलवी मुसलमान. सूफी-सलफी मुसलमान. हम्बली-हनफी मुसलमान. हर मोड़ पे एक अलग फिरका लिए खड़ा मुसलमान. अब खुद ही सोचिये दिक्कत कहां है.
दिक्कत न तो सरकारों में है. न अखबारों में है. न टीवी की बहसों में है. न सोशल मीडिया के मुबाहिसों में है. और न ये दिक्कत हिंदुस्तान तक महदूद है. ये दिक्कत हर उस मुल्क में है जहां-जहां मुसलमान 15 फीसद से ज्यादा आबाद हैं. और दिक्कत इसलिए है कि इस्लाम कुछ कहता है, मुसलमान कुछ करता है. क़ुरान कुछ कहता है, मुसलमान कुछ करता है. हुजूर की सीरत कुछ है. मुसलमानो की सूरत कुछ है.
जाहिर है जब ऐसी बसीरत, ऐसा किरदार, ऐसा अखलाक, ऐसा अमल, ऐसा तरीक़ा रहेगा. जब तक इस्लाम और मुस्लमान में फर्क रहेगा तब तक मुसलमान हर रोज, हर मोड़ पर जलील होगा. रुसवा होगा. ख़्वार होगा. पिटेगा. दर बदर होगा. रोज़ समाज मे बहस का मौज़ू बनेगा. मजाक का मरकज बनेगा.
ये शहादत गहे उल्फ़त में क़दम रखना है,
लोग आसान समझते हैं मुसलमां होना
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