सरकारें आती हैं, सरकारें जाती हैं. मगर बात जब तक उत्तर प्रदेश की न हो तो, सम्पूर्ण भारत की सियासत अधूरी और धरी की धरी रह जाती है. ये सियासत ही है जिसके चलते प्रदेश में आए दिन कुछ न कुछ ऐसा हो रहा है जिससे एक वर्ग खुश है तो वहीं दूसरी तरफ एक वर्ग आलोचना में लगा है. जो खुश हैं उनके अपने अलग कारण हैं जो आलोचना में व्यस्त हैं उनके एजेंडे कुछ और हैं. अब ये एजेंडा है या फिर वक्त का तकाजा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ प्रयासरत हैं कि प्रदेश स्पिरिचुअल टूरिज्म का हब बन जाए और यहां न सिर्फ देश के बल्कि दुनिया भर से पर्यटक आएं.
कह सकते हैं कि प्रदेश के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए योगी सरकार का प्रयास सराहनीय है. मगर उनके कुछ फैसले सुनकर महसूस होता है कि, वो अपनी मूल विचारधारा से निकल ही नहीं पाए हैं. या शायद वो निकलना ही नहीं चाहते क्योंकि अपनी इसी विचारधारा के बल पर आज योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश जैसे विशाल सूबे के मुख्यमंत्री हैं.
अयोध्या में छोटी दिवाली पर भव्य दीपोत्सव, चित्रकूट में महाआरती के बाद अब मुख्यमंत्री ने मथुरा के वृंदावन और बरसाना को पवित्र तीर्थस्थल बनाने की घोषणा की है. साथ ही उन्होंने फरमान सुनाया है कि, चूंकि ये दोनों ही स्थान पवित्र तीर्थस्थल हैं अतः यहां मांस-मदिरा का क्रय-विक्रय और सेवन प्रतिबंधित रहेगा.
जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप खबर है कि वृंदावन और बरसाना को धार्मिक नगरी का दर्जा देने बाद अब कृष्ण भक्तों की इस नगरी में मांस-मदिरा का न तो क्रय विक्रय हो सकेगा और न ही इनका सेवन किया जा सकेगा. साथ ही अगर कोई इन प्रदार्थों का सेवन करते पकड़ा गया तो उसे अपराधी मानते हुए दंडित किया जाएगा. बताया जा रहा है कि इस खबर...
सरकारें आती हैं, सरकारें जाती हैं. मगर बात जब तक उत्तर प्रदेश की न हो तो, सम्पूर्ण भारत की सियासत अधूरी और धरी की धरी रह जाती है. ये सियासत ही है जिसके चलते प्रदेश में आए दिन कुछ न कुछ ऐसा हो रहा है जिससे एक वर्ग खुश है तो वहीं दूसरी तरफ एक वर्ग आलोचना में लगा है. जो खुश हैं उनके अपने अलग कारण हैं जो आलोचना में व्यस्त हैं उनके एजेंडे कुछ और हैं. अब ये एजेंडा है या फिर वक्त का तकाजा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ प्रयासरत हैं कि प्रदेश स्पिरिचुअल टूरिज्म का हब बन जाए और यहां न सिर्फ देश के बल्कि दुनिया भर से पर्यटक आएं.
कह सकते हैं कि प्रदेश के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए योगी सरकार का प्रयास सराहनीय है. मगर उनके कुछ फैसले सुनकर महसूस होता है कि, वो अपनी मूल विचारधारा से निकल ही नहीं पाए हैं. या शायद वो निकलना ही नहीं चाहते क्योंकि अपनी इसी विचारधारा के बल पर आज योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश जैसे विशाल सूबे के मुख्यमंत्री हैं.
अयोध्या में छोटी दिवाली पर भव्य दीपोत्सव, चित्रकूट में महाआरती के बाद अब मुख्यमंत्री ने मथुरा के वृंदावन और बरसाना को पवित्र तीर्थस्थल बनाने की घोषणा की है. साथ ही उन्होंने फरमान सुनाया है कि, चूंकि ये दोनों ही स्थान पवित्र तीर्थस्थल हैं अतः यहां मांस-मदिरा का क्रय-विक्रय और सेवन प्रतिबंधित रहेगा.
जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप खबर है कि वृंदावन और बरसाना को धार्मिक नगरी का दर्जा देने बाद अब कृष्ण भक्तों की इस नगरी में मांस-मदिरा का न तो क्रय विक्रय हो सकेगा और न ही इनका सेवन किया जा सकेगा. साथ ही अगर कोई इन प्रदार्थों का सेवन करते पकड़ा गया तो उसे अपराधी मानते हुए दंडित किया जाएगा. बताया जा रहा है कि इस खबर के बाद कृष्ण भक्तों की एक बड़ी तादाद योगी सरकार के इस फैसले से खुश है. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां के लगभग सभी वैष्णव संगठन लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे.
बात किसी तीर्थस्थल के आस पास मांस-मदिरा के क्रय और विक्रय की है. अतः यहां दक्षिण भारत के हम्पी का वर्णन करना बेहद जरूरी हो जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि कर्नाटक का हम्पी न सिर्फ यूनिस्को वर्ड हेरिटेज साईट है बल्कि ये दक्षिण का एक प्रमुख तीर्थस्थल भी है जहां शराब और मांस का बिकना पूर्णतः प्रतिबंधित है. मगर मुख्य शहर से 15 किलोमीटर दूर कई ऐसे होटल और रेस्टुरेंट मौजूद हैं जो न सिर्फ नॉन वेज सर्व करते हैं बल्कि जहां घंटों, खाने के लिए लोगों की लम्बी लाइन लगती है. इन लाइनों में विदेशी पर्यटकों के अलावा स्थानीय लोगों को देखना एक आम बात है. आपको बताते चलें कि हम्पी में नॉन वेज प्रतिबंधित होने के बावजूद अंडा धड़ल्ले से बिकता है और इस विषय पर दुकानदारों का मत है कि चूंकि यहां भारतीयों से ज्यादा विदेशी आते हैं अतः अंडा बेचना हमारी मजबूरी है.
गौरतलब है कि पर्यटन के मामले में उत्तर प्रदेश की स्थिति बहुत खास नहीं है चंद जगहों को छोड़ दें तो शायद ही कहीं प्रदेश में विदेशी पर्यटक अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं. बहरहाल, मुद्दा न अंडा है, न शराब और मांस मदिरा हमें इस पर बहस नहीं करनी. बात उत्तर प्रदेश को स्पिरिचुअल टूरिज्म का हब बनाने की है. तो आइये कुछ बिन्दुओं पर गौर करें और जानें कि कैसे 'मांस - मदिरा' पर प्रतिबन्ध के इतर उत्तर प्रदेश में पर्यटन बढ़ सकता है और ये वाकई एक स्पिरिचुअल टूरिज्म हब के तौर पर विश्व मानचित्र पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकता है.
यूपीएसआरटीसी और रेलवे का सहयोग
इस पर बात करने के लिए हम आपको 'लोनली प्लानेट' की वेबसाईट का हवाला देना चाहेंगे. उत्तर प्रदेश घूमने आए कई विदेशी पर्यटकों ने रिव्यू के जरिये स्वीकारा है कि यहां घूमने में उन्हें जिस चुनौती का सबसे ज्यादा सामना करना पड़ता है वो है यूपीएसआरटीसी और रेलवे की वेबसाईट जिनमें अधिकांश समय पेज खुलता ही नहीं है या पेज खुल भी गया तो पैसे कट जाते हैं मगर टिकट नहीं बुक होता. ये बात केवल विदेशी पर्यटक तक सीमित नहीं है. यदि योगी सरकार को अपने राज्य का पर्यटन बढ़ाना है तो उसे इस दिशा में अवश्य ही काम करना चाहिए और प्रयास करना चाहिए कि कम से कम इस चीज से तो आने वाले पर्यटकों को परेशानी न हो.
सुरक्षा
उत्तर प्रदेश के बारे में न सिर्फ देश के बल्कि विदेश तक के लोगों में ये भावना फैली है कि ये बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है. इसका उदाहरण अभी बीते दिनों आगरा में हुई एक घटना है जहां एक स्विस कपल के साथ बदसलूकी और मारपीट सिर्फ इसलिए हुई क्योंकि उसने सेल्फी देने से मना कर दिया. इस घटना को सुनकर कोई भी ये बात आसानी से स्वीकार कर सकता है कि घूमने के लिहाज से प्रदेश बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है. अतः आने वाले पर्यटक की सुरक्षा योगी सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए.
धांधली से बचने के लिए एक आधिकारिक रेट लिस्ट
ये बात सुनने में थोड़ी अजीब लगेगी मगर ये बात किसी से छुपी नहीं है कि भारत में खास तौर से उत्तर प्रदेश में विदेशी पर्यटकों के साथ मुनाफा कमाने के नाम पर धांधली की जाती है. अतः सरकार को चाहिए कि वो कुछ ऐसा करे जो इस दिशा में एक बड़ा कदम हो और देश विदेश के पर्यटक घूमने उत्तर प्रदेश आ सकें.
कुछ ऐसे काउंटर और वाहन जो केवल पर्यटन को समर्पित हों
जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. अभी उत्तर प्रदेश इस दिशा में बहुत पीछे है. यदि सरकार ये मानती है कि उसे अपना पर्यटन बढ़ाना है तो उसे अपने टूरिस्ट डेस्टिनेशंस पर ऐसे काउंटर बनाने और वाहन लाने होंगे जो केवल और केवल पर्यटन को समर्पित हों. प्रायः ये देखा गया है कि घूमने के लिहाज से सही जानकारी मिलना बहुत मुश्किल है और ऐसे में जानकारी के आभाव के चलते लोगों को घूमने की दिशा में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. अतः कहा जा सकता है कि यदि योगी सरकार इस दिशा में सोचती है तो निश्चित तौर पर राज्य का पर्यटन बढ़ जाएगा.
टूरिज्म हेल्पलाइन
यदि योगी आदित्यनाथ वाकई उत्तर प्रदेश के अलग - अलग स्थानों को स्पिरिचुअल टूरिज्म हब बनाने के लिए गंभीर हैं तो उन्हें एक ऐसी हेल्पलाइन भी शुरू करनी चाहिए जो पूर्णतः पर्यटन से जुड़ी हो और जिसमें सेवा देने वाले लोग भी टेक्नोलॉजी के विषय में जानते हों. कहा सकते हैं कि यदि सरकार इसे अमली जामा पहना देती है तो ये पर्यटन की दिशा में एक बड़ा कदम होगा.
हालांकि कहने और बताने के लिए ऐसे और भी कई मुद्दे हैं. लेकिन योगी सरकार सिर्फ ऊपर बताए गए बिन्दुओं पर ही काम कर ले तो राज्य में पर्यटन के ग्राफ में बढ़त देखने को मिल सकती है और देश दुनिया के लाखों पर्यटक यहां घूमने आ सकते हैं. अंत में इतना ही कि यदि योगी सरकार वाकई राज्य के पर्यटन के लिए गंभीर है तो उसे मांस मछली छोड़ जमीनी स्तर पर काम अभी से शुरू कर देना चाहिए.
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