किन्नरों की दुनिया आम लोगों से थोड़ी अलग होती है. गाते-बजाते दुआएं देते किन्नर किस समस्या से गुजर रहे होते हैं वो कभी किसी को नहीं बताते. किन्नर अपने परिवार से अलग जीवन जीते हैं और अपनी अलग जिंदगी की झलक मात्र भी किसी को नहीं दिखाते. किन्नरों के बारे में काफी कम जानकारी ही आम लोगों को मिल पाई हैं, लेकिन उनमें से कुछ बहुत चर्चित हो गई हैं, जैसे...
1. रात में निकालते हैं शवयात्रा..
किन्नरों की शवयात्रा रात में निकाली जाती है ताकि किसी की नजर उनपर न पड़ जाए. ये एक मान्यता है कि अगर किन्नर के शव को कोई देख लेगा तो मरने वाले का जन्म फिर से किन्नर के रूप में ही होगा. ये बाकी किसी भी धर्म की शवयात्रा से अलग होता है.
2. डेड बॉडी की होती है पिटाई...
ऐसा कहा जाता है कि किन्नरों की डेड बॉडी की पिटाई होती है. अंतिम संस्कार से पहले बॉडी को जूते-चप्पलों से पीटा जाता है. कहा जाता है इससे उस जन्म में किए सारे पापों का प्रायश्चित हो जाता है.
3. किन्नरों का अंतिम संस्कार..
किन्नरों के शव को दफनाया जाता है. वैसे तो किन्नर हिंदू-रीति रिवाज मानते हैं, लेकिन उनके शव को फिर भी दफनाया जाता है. मौत पर मातम भी नहीं मनाया जाता है.
4. कौन है किन्नरों के भगवान...
किन्नरों के भगवान कोई आम नहीं. यह हैं अर्जुन और नाग कन्या उलूपी की संतान इरावन जिन्हें अरावन के नाम से भी जाना जाता है. दरअसल, ये कहानी महाभारत युद्ध से संबंध रखती है. किन्नर दुल्हन बनते हैं और हर साल अपने भगवान से शादी करते हैं. तमिलनाडु के कूवगाम में हर साल ये जश्न धूम-धाम से मनाया जाता है. विवाह के अगले दिन इरवन देवता की मूर्ति को शहर में घुमाया जाता है और इसके बाद उसे तोड़...
किन्नरों की दुनिया आम लोगों से थोड़ी अलग होती है. गाते-बजाते दुआएं देते किन्नर किस समस्या से गुजर रहे होते हैं वो कभी किसी को नहीं बताते. किन्नर अपने परिवार से अलग जीवन जीते हैं और अपनी अलग जिंदगी की झलक मात्र भी किसी को नहीं दिखाते. किन्नरों के बारे में काफी कम जानकारी ही आम लोगों को मिल पाई हैं, लेकिन उनमें से कुछ बहुत चर्चित हो गई हैं, जैसे...
1. रात में निकालते हैं शवयात्रा..
किन्नरों की शवयात्रा रात में निकाली जाती है ताकि किसी की नजर उनपर न पड़ जाए. ये एक मान्यता है कि अगर किन्नर के शव को कोई देख लेगा तो मरने वाले का जन्म फिर से किन्नर के रूप में ही होगा. ये बाकी किसी भी धर्म की शवयात्रा से अलग होता है.
2. डेड बॉडी की होती है पिटाई...
ऐसा कहा जाता है कि किन्नरों की डेड बॉडी की पिटाई होती है. अंतिम संस्कार से पहले बॉडी को जूते-चप्पलों से पीटा जाता है. कहा जाता है इससे उस जन्म में किए सारे पापों का प्रायश्चित हो जाता है.
3. किन्नरों का अंतिम संस्कार..
किन्नरों के शव को दफनाया जाता है. वैसे तो किन्नर हिंदू-रीति रिवाज मानते हैं, लेकिन उनके शव को फिर भी दफनाया जाता है. मौत पर मातम भी नहीं मनाया जाता है.
4. कौन है किन्नरों के भगवान...
किन्नरों के भगवान कोई आम नहीं. यह हैं अर्जुन और नाग कन्या उलूपी की संतान इरावन जिन्हें अरावन के नाम से भी जाना जाता है. दरअसल, ये कहानी महाभारत युद्ध से संबंध रखती है. किन्नर दुल्हन बनते हैं और हर साल अपने भगवान से शादी करते हैं. तमिलनाडु के कूवगाम में हर साल ये जश्न धूम-धाम से मनाया जाता है. विवाह के अगले दिन इरवन देवता की मूर्ति को शहर में घुमाया जाता है और इसके बाद उसे तोड़ दिया जाता है. इसके साथ ही किन्नर अपना श्रृंगार उतारकर एक विधवा की तरह विलाप करने लगती है.
इसके पीछे महाभारत की एक कहानी को माना जाता है. कथा है कि महाभारत युद्ध से पहले पांडवों ने मां काली की पूजा की. इस पूजा में एक राजकुमार की बलि होनी थी. कोई भी राजकुमार जब आगे नहीं आया तो इरावन ने कहा कि वह बलि के लिए तैयार है. लेकिन इसने एक शर्त रख दी कि वह बिना शादी किए बलि नहीं चढ़ेगा.
इस समस्या का समाधान श्री कृष्ण ने निकाला. श्री कृष्ण स्वयं मोहिनी रूप धारण करके आ गए और इन्होंनें इरावन से विवाह किया. अगले दिन सुबह इरावन की बलि दे दी गई और श्री कृष्ण ने विधवा बनकर विलाप किया. इसी कहानी को ध्यान रख अपने इष्ट की बलि को याद कर किन्नर शादी भी करते हैं और विलाप भी करते हैं.
5. किन्नरों के घर का भोजन..
गरुड़ पुराण में इस बात का जिक्र है कि किन्नरों के घर का भोजन नहीं करना चाहिए. धर्म-ग्रंथों में किन्नरों को दान करना शुभ बताया गया है. दरअसल किन्नरों को अच्छा-बुरा, हर व्यक्ति दान करता है इसलिए यह पता लगाना मुश्किल है कि जिस भोजन को ग्रहण किया जा रहा है वह अच्छे व्यक्ति का है या बुरे, इसलिए किन्नरों के घर भोजन करना निषेध है.
6. आखिर शास्त्र क्या कहते हैं किन्नरों के जन्म पर...
ज्योतिष शास्त्र में कई और ग्रह योग बताए गए हैं, जिनके कारण व्यक्ति किन्नर पैदा होता है. वैसे शास्त्रों के अनुसार पूर्व जन्म के पाप कर्मों के कारण व्यक्ति को किन्नर रूप में जन्म लेना पड़ता है. शास्त्रों में इसे शाप से पाया हुआ जीवन कहा जाता है. अर्जुन शाप के कारण किन्नर हुए थे और शिखंडी पूर्व जन्म के कर्मों से. कुंडली में शनि की स्थिती को भी इससे जोड़कर देखा जाता है.
एक मान्यता ये भी है कि ब्रह्मा की परछाई से किन्नरों की उत्पत्ती हुई थी. फिर एक मान्यता ये भी है कि अरिष्टा और कश्यप ऋषि से किन्नरों की उत्पत्ती हुई.
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