उसका नाम था सहर, यानी सवेरा. 29 साल इस महिला को फुटबॉल बहुत पसंद था. उसका ख्वाब बस इतना था कि वो स्टेडियम में फुटबॉल मैच देखे. फुटबॉल के दीवानों के लिए स्टेडियम में मैच देखना कौन सी बड़ी बात है. लेकिन देश अगर ईरान हो और ये ख्वाब सजाने वाली कोई महिला हो तो ये एक नामुमकिन ख्वाब है. क्योंकि ईरान में पुरुषों के खेल देखना महिलाओं के लिए बैन है.
मार्च में AFC Champions League हो रही थी जिसमें सहर अपनी पसंदीदा ईरानी टीम Esteghlal का खेल देखना चाहती थी. अपने ख्वाबों को सच करने की जिद लिए सहर तेहरान के आजादी स्टेडियम की तरफ बढ़ गई. वो मैच देखना चाहती थी. किसी भी कीमत पर.
महिला नहीं लेकिन स्टेडियम में पुरुष तो जा सकते हैं इसलिए उसने पुरुश का वेश धर लिया. वो पुरुष के वेश में स्टेडियम में घुसने में कामयाब रही. उसने अपनी फेवरेट टीम Esteghlal की जर्सी की ही तरह नीला रंग पहना था. लेकिन पुलिस ने उसे पकड़ लिया. सहर को गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि पुरुष के वेश में स्टेडियम जाने वाली सहर पहली महिला नहीं थी. कई महिलाएं इसी तरह स्टेडियम पहुंची थीं. बल्कि उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल भी हुई थीं. लेकिन सहर पर सही तरह से हिजाब नहीं पहनने का चार्च लगाया गया था. वो इसलिए क्योंकि महिलाओं के लिए स्टेडियम बैन किसी कानून की किताब में नहीं लिखा गया है बल्कि वहां की सरकार द्वारा महिलाओं पर थोपा गया है.
वो जब गिरफ्तार हुई थी, तब इस गिरफ्तारी ने सिर्फ ईरान को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को हिला दिया था. और तभी से Sahar Khodayari #BlueGirl के नाम से चर्चित हो गई. उसे तीन दिन जेल में रहना पड़ा और फिर उसकी बेल हो गई. 6 महीने से ट्रायल चल रहा था. जिस दिन कोर्ट में पेशी होनी थी उस दिन जज के मौजूद न होने की वजह से...
उसका नाम था सहर, यानी सवेरा. 29 साल इस महिला को फुटबॉल बहुत पसंद था. उसका ख्वाब बस इतना था कि वो स्टेडियम में फुटबॉल मैच देखे. फुटबॉल के दीवानों के लिए स्टेडियम में मैच देखना कौन सी बड़ी बात है. लेकिन देश अगर ईरान हो और ये ख्वाब सजाने वाली कोई महिला हो तो ये एक नामुमकिन ख्वाब है. क्योंकि ईरान में पुरुषों के खेल देखना महिलाओं के लिए बैन है.
मार्च में AFC Champions League हो रही थी जिसमें सहर अपनी पसंदीदा ईरानी टीम Esteghlal का खेल देखना चाहती थी. अपने ख्वाबों को सच करने की जिद लिए सहर तेहरान के आजादी स्टेडियम की तरफ बढ़ गई. वो मैच देखना चाहती थी. किसी भी कीमत पर.
महिला नहीं लेकिन स्टेडियम में पुरुष तो जा सकते हैं इसलिए उसने पुरुश का वेश धर लिया. वो पुरुष के वेश में स्टेडियम में घुसने में कामयाब रही. उसने अपनी फेवरेट टीम Esteghlal की जर्सी की ही तरह नीला रंग पहना था. लेकिन पुलिस ने उसे पकड़ लिया. सहर को गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि पुरुष के वेश में स्टेडियम जाने वाली सहर पहली महिला नहीं थी. कई महिलाएं इसी तरह स्टेडियम पहुंची थीं. बल्कि उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल भी हुई थीं. लेकिन सहर पर सही तरह से हिजाब नहीं पहनने का चार्च लगाया गया था. वो इसलिए क्योंकि महिलाओं के लिए स्टेडियम बैन किसी कानून की किताब में नहीं लिखा गया है बल्कि वहां की सरकार द्वारा महिलाओं पर थोपा गया है.
वो जब गिरफ्तार हुई थी, तब इस गिरफ्तारी ने सिर्फ ईरान को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को हिला दिया था. और तभी से Sahar Khodayari #BlueGirl के नाम से चर्चित हो गई. उसे तीन दिन जेल में रहना पड़ा और फिर उसकी बेल हो गई. 6 महीने से ट्रायल चल रहा था. जिस दिन कोर्ट में पेशी होनी थी उस दिन जज के मौजूद न होने की वजह से तारीख आगे बढ़ा दी गई. वहीं सहर ने किसी से सुना कि इस मामले में उसे 6 महीन से 2 साल तक की सजा हो सकती है.
computer science की पढ़ाई करने वाली सहर ये सुनकर इतनी मायूस हो गई कि उसने एक बेहद खौफनाक कदम उठाया. उसने अदालत में ही खुद को आग लगा ली. वो 90% जल चुकी थी. 9 सितंबर 2019 को सहर ने आखिरी सांस ली. सहर के माता-पिता का कहना है कि गिरफ्तारी और जेल में तीन दिन बिताने से सहर के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा था. वो पहले से ही बायपोलर डिसॉर्डर की शिकार थी और एक बार पहले भी उसने आत्महत्या का प्रयास किया था. लेकिन सजा की बात सुनकर वो बर्दाश्त नहीं कर सकी. और अपनी जान दे दी.
सहर की मौत ने ईरान में क्रांति ला दी
सहर की मौत ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है. खिलाड़ी हों या खेल के फैन्स हर कोई दुखी है. और अब उनका गुस्सा ईरान पर निकल रहा है. ईरानी सरकार के हाथ उस सहर के खून से रंगे दिखाई दे रहे हैं जिसका कसूर सिर्फ इतना था कि वो फुटबॉल का मैच देखना चाहती थी. फिलहाल सहर के जाने के बाद लोग एकजुट हुए हैं. ट्विटर पर फीफा से इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की जा रही है.
सहर की आत्महत्या को हत्या कहकर लोग सरकार के खिलाफ लगातार सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. सहर की मौत ने इस गुस्से को और बढ़ा दिया है जो ईरान के लोग काफी लंबे समय से अपने दिलों में दबाए बैठे थे. मानवाधिकार संस्थाएं ईरान के खिलाफ हैं.
अपनी सहर का कब से इंतजार कर रही हैं ईरानी महिलाएं
1981 से स्टेडियम में महिलाओं के जाने पर प्रतिबंध है. लेकिन पिछले साल इस प्रतिबंध को फुटबॉल के वर्ल्डकप के दौरान कुछ समय के लिए हटा दिया गया था. फुटबॉल की संचालक संस्था फीफा ने ईरान को महिलाओं पर से स्टेडियम बैन हटाने के लिए 31 अगस्त तक की डेडलाइन दी हुई थी. लेकिन अपने कट्टरपंथी रवैए के आगे ईरान ने किसी की नहीं सुनी.
जरा सोचकर देखिए कि सहर जैसी महिलाओं के दिल पर क्या बीतती होगी जहां उनकी पसंद पर भी सरकार ने पहरा लगा रखा हो. पुरुष के वेश में आना मजबूरी ही नहीं महिलाओं के विरोध का हिस्सा भी है. महिलाएं जानबूझकर अपनी तस्वीरों को सोशल मीडिया पर डालकर विरोध प्रदर्शन करने को मजबूर हैं. क्योंकि वो सरकार के थोपे हुए कट्टरपंथ से त्रस्त हो चुकी हैं. वो सरकार जो उनके मूल अधिकारों का हनन कर रही है. दशकों से ईरानी महिलाएं सरकार द्वारा लगाए गए उस नियम का विरोध कर रही हैं जिसमें उन्हें सार्वजनिक जगहों पर सिर पर कपड़ा बांधने को कहा गया है. ये नियम 1979 में ईरानी क्रांति के बाद लगाया गया था. महिलाएं अपने हिजाब उतार कर सरकार के खिलाफ विरोध दर्ज कर रही हैं. ईरान में हिजाब न पहनने वाली महिलाओं को सरकार द्वारा दंडित किया जाता रहा है. पर ईरान पर अब तक किसी विरोध प्रदर्शन का कोई असर नहीं पड़ा है.
लेकिन सहर की मौत का मामला अब बहुत बड़ा हो गया है. जिसपर ईरान सरकार का चुर रहना उसे कठघरे में खड़ा करता है. पूरी दुनिया में हो रही आलोचनाओं के बाद शायद ईरान कुछ बदले. उम्मीद की जा रही है कि सहर की मौत ईरान की महिलाओं के लिए नई सुबह लेकर जरूर आएगी.
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