भारत के 17 बैंकों से 9000 करोड़ लेकर पचा जाने वाले विजय माल्या को एक बार फिर ब्रिटेन में अरेस्ट किया गया. लेकिन महज कुछ मिनटों में बेल पाकर इस शख्स ने साबित कर दिया कि वो किंग ऑफ़ गुड टाइम्स क्यों है? इससे पहले जब बीती अप्रैल में माल्या को अरेस्ट किया गया था, तब भी केवल तीन घंटों के अंदर वह बेल पाकर आजाद हो गया था. मानिए न मानिए, जब तक यहाँ भारत में उसकी गिरफ्तारी की खबर तैयार हो रही होती है, तब तक वह ब्रिटेन में बेल पाकर किसी बार में चियर्स कर रहा होता है.
ब्रिटिश गवर्नमेंट की वेबसाइट पर वहां होम ऑफिस द्वारा जारी प्रत्यर्पण प्रक्रिया को देखें तो उसमें कई केटेगरी बनाई गई है. इसमें भी भारत केटेगरी 2 के टाइप बी लिस्ट में शामिल है. अब अगर आप इस केटेगरी के अंतर्गत दी गई प्रक्रिया को पढ़ेंगे तो समझ में आ जाएगा कि माल्या का भरता आना अभी भी क्यों मुश्किल है. उसे वापस लाने में अभी काफी लंबा समय लगने वाला है.
वैसे भी भारत की इस दलील को कि माल्या का पासपोर्ट रद्द हो चुका है, इसलिए उसे प्रत्यर्पित कर देना चाहिए, को ब्रिटन नकार चुका है. ब्रिटिश सरकार का कहना है कि...
भारत के 17 बैंकों से 9000 करोड़ लेकर पचा जाने वाले विजय माल्या को एक बार फिर ब्रिटेन में अरेस्ट किया गया. लेकिन महज कुछ मिनटों में बेल पाकर इस शख्स ने साबित कर दिया कि वो किंग ऑफ़ गुड टाइम्स क्यों है? इससे पहले जब बीती अप्रैल में माल्या को अरेस्ट किया गया था, तब भी केवल तीन घंटों के अंदर वह बेल पाकर आजाद हो गया था. मानिए न मानिए, जब तक यहाँ भारत में उसकी गिरफ्तारी की खबर तैयार हो रही होती है, तब तक वह ब्रिटेन में बेल पाकर किसी बार में चियर्स कर रहा होता है.
ब्रिटिश गवर्नमेंट की वेबसाइट पर वहां होम ऑफिस द्वारा जारी प्रत्यर्पण प्रक्रिया को देखें तो उसमें कई केटेगरी बनाई गई है. इसमें भी भारत केटेगरी 2 के टाइप बी लिस्ट में शामिल है. अब अगर आप इस केटेगरी के अंतर्गत दी गई प्रक्रिया को पढ़ेंगे तो समझ में आ जाएगा कि माल्या का भरता आना अभी भी क्यों मुश्किल है. उसे वापस लाने में अभी काफी लंबा समय लगने वाला है.
वैसे भी भारत की इस दलील को कि माल्या का पासपोर्ट रद्द हो चुका है, इसलिए उसे प्रत्यर्पित कर देना चाहिए, को ब्रिटन नकार चुका है. ब्रिटिश सरकार का कहना है कि माल्या को ब्रिटेन में रहने के लिए किसी वैलिड पासपोर्ट की जरूरत ही नही. ब्रिटेन ने भारत की प्रत्यर्पण की अपील इस ग्राउंड पर स्वीकार कर ली है कि उसके खिलाफ भारत में काफी गंभीर फाइनेंसियल फ्रॉड के आरोप लगे हैं.
अभी इस मामले में शुरूआती सुनवाई चल रही है. इस सुनवाई में ब्रिटेन की क्राउन प्रोसीक्यूशन सर्विस (सीपीएस) भारत का पक्ष रख रही है. जैसा कि अदालतों में होता है, बचाव पक्ष हर तिकड़म का सहारा लेता है, वैसा मंगलवार को ब्रिटिश अदालत में भी हुआ. माल्या के वकीलों ने सुबूतों का भारी-भरकम बंडल सीपीएस के वकीलों को सोमवार को ही सौंपा, जिसे बिना पढ़े मुमकिन ही नहीं था कि भारत की तरफ से दलीलें पेश की जाएं. इस मामले में सीपीएस के बैरिस्टर ने मार्क समर्स ने कोर्ट के सामने अपनी तकलीफ रखी कि उन्हें एक दिन पहले सोमवार को मिले इन दस्तावेजों की स्कैन्ड कॉपी भारत भेजनी होगी, ताकि इसका काउंटर तैयार किया जा सके.
जज एमा लुइस अर्बुथनॉट भौंचक्की थीं कि 2017 में सॉफ्ट कॉपी के बजाय हार्ड कॉपी सौंपी जा रही है. खैर उन्होंने माल्या के वकीलों को दस्तावेजों की स्कैन्ड कॉपी उपलब्ध कराने को कहा है. इस बीच माल्या को जमानत भी दे दी गई क्योंकि माल्या का अपराध गम्भीर तो है लेकिन ऐसा नहीं कि वह समाज के लिए किसी बड़े नुकसान का कारण बने.
इस प्रक्रिया के बाद अगर अदालत सबूतों से सहमत हुई तो इस मामले को ब्रिटिश सरकार के विदेश मंत्रालय को भेज देगी. लेकिन यहां भी विदेश मंत्रालय को मामला सौंपने के खिलाफ माल्या को अपील करने का अधिकार मिलेगा. चूंकि भारत में वित्तीय धोखाधड़ी के लिए मौत की सजा नहीं मिलती और न ही माल्या किसी तीसरे देश से ब्रिटेन में प्रत्यर्पित है, इसलिए विदेश मंत्रालय को प्रत्यर्पण पर मुहर लगाने में कोई कठिनाई नहीं होगी.
इस बीच अगर वहां के विदेश मंत्रालय ने प्रत्यर्पण पर दो महीने तक कोई फैसला नहीं लिया तो माल्या अपनी रिहाई की अपील कर सकता है. विदेश मंत्रालय अगर उसके प्रत्यर्पण पर मुहर लगा भी देता है तो माल्या के पास ब्रिटेन की हाईकोर्ट और सप्रीम कोर्ट में अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील करने का अधिकार होगा.
कुल मिलकर इस अदालती दांव-पेंच में माल्या के भारत आने की प्रक्रिया बहुत ही मुश्किल नजर आ रही है. इस बीच अगर माल्या ब्रिटेन की अदालतों को यह समझाने में कामयाब हो गया कि उसके खिलाफ भारत में लगे सभी आरोप बेबुनियाद हैं तो समझ लीजिये कि इस इंटरनेशनल हो चुके इस फ्रॉडस्टर को पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाएगा.
ये भी पढ़ें -
महान संत श्री श्री विजय माल्यम !
आ सकते हैं माल्या 'जी', बस अरेस्ट मत करना और पार्टी में खलल मत डालना
किंगफिशर विला का मालिक अब कौन है?
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.