साइबर ठगी का जामताड़ा मॉडल था मोबाइल पर फोन करके ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) जानने के बाद बैंक खाते से पैसे निकाल लेने का. एक तो ठगी का यह तरीका पुराना हो गया है और इसके प्रति लोगों की अवेयरनेस भी आल टाइम हाई है, कुछ नया आना ही था. अब साइबर ठग मूवी रिव्यू और यूट्यूब पर वीडियो लाइक और कमेंट करने के एवज में पैसे देने का लालच देकर ठगी कर रहे हैं. अगर आपको अपनी व्हाट्सएप पर मैसेज मिला है कि आप यूट्यूब वीडियो को लाइक कर पैसा कमा सकते हैं, तो आपको तुरंत सावधान हो जानते की जरूरत है. इस मैसेज का रिप्लाई हरगिज़ न करें. यह मैसेज एक बड़े स्कैम का हिस्सा है और कई यूजर्स के साथ हो भी चुका है. पुलिस के सामने इस तरह के कई मामले आए हैं.
इन स्कैमर्स की मोडस ऑपरेंडी एक पीड़िता के जेन्युइन उदहारण से समझिये. दिल्ली के पास नोएडा की रहने वाली 42 वर्षीय महिला को एक दिन व्हाट्सएप पर अनजान नंबर से एक मैसेज आया, जिसमें लिखा था कि उन्हें यूट्यूब पर कुछ वीडियो लाइक करने होंगे जिसके बदले उन्हें प्रति वीडियो 50 रुपये मिलेंगे. उसके बाद महिला ने बताए गए वीडियो को लाइक किया जिसके बाद उसे पैसे भी दिए गए.
महिला का भरोसा जीतने के बाद उसे एक टेलीग्राम ग्रुप में जोड़ दिया गया, जहां पहले से ही कई और सदस्य थे. महिला नितांत अनजान थी कि वह साइबर ठगों की फिशिंग का शिकार हो चुकी है. एक दिन ग्रुप के कोऑर्डिनेटर ने महिला से कहा कि उसे 25 हजार रुपये देने होंगे जिसके बदले में उसे ज्यादा मुनाफा मिलेगा. जब महिला ने पैसे दे दिए तो उसके पैसे ठगों ने रख लिए और कहा कि उसे 1.17 लाख रुपये और देने होंगे.
महिला ने ठगों की बात मानते हुए वह रकम भी दे दी. उसके बाद महिला से कहा गया कि...
साइबर ठगी का जामताड़ा मॉडल था मोबाइल पर फोन करके ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) जानने के बाद बैंक खाते से पैसे निकाल लेने का. एक तो ठगी का यह तरीका पुराना हो गया है और इसके प्रति लोगों की अवेयरनेस भी आल टाइम हाई है, कुछ नया आना ही था. अब साइबर ठग मूवी रिव्यू और यूट्यूब पर वीडियो लाइक और कमेंट करने के एवज में पैसे देने का लालच देकर ठगी कर रहे हैं. अगर आपको अपनी व्हाट्सएप पर मैसेज मिला है कि आप यूट्यूब वीडियो को लाइक कर पैसा कमा सकते हैं, तो आपको तुरंत सावधान हो जानते की जरूरत है. इस मैसेज का रिप्लाई हरगिज़ न करें. यह मैसेज एक बड़े स्कैम का हिस्सा है और कई यूजर्स के साथ हो भी चुका है. पुलिस के सामने इस तरह के कई मामले आए हैं.
इन स्कैमर्स की मोडस ऑपरेंडी एक पीड़िता के जेन्युइन उदहारण से समझिये. दिल्ली के पास नोएडा की रहने वाली 42 वर्षीय महिला को एक दिन व्हाट्सएप पर अनजान नंबर से एक मैसेज आया, जिसमें लिखा था कि उन्हें यूट्यूब पर कुछ वीडियो लाइक करने होंगे जिसके बदले उन्हें प्रति वीडियो 50 रुपये मिलेंगे. उसके बाद महिला ने बताए गए वीडियो को लाइक किया जिसके बाद उसे पैसे भी दिए गए.
महिला का भरोसा जीतने के बाद उसे एक टेलीग्राम ग्रुप में जोड़ दिया गया, जहां पहले से ही कई और सदस्य थे. महिला नितांत अनजान थी कि वह साइबर ठगों की फिशिंग का शिकार हो चुकी है. एक दिन ग्रुप के कोऑर्डिनेटर ने महिला से कहा कि उसे 25 हजार रुपये देने होंगे जिसके बदले में उसे ज्यादा मुनाफा मिलेगा. जब महिला ने पैसे दे दिए तो उसके पैसे ठगों ने रख लिए और कहा कि उसे 1.17 लाख रुपये और देने होंगे.
महिला ने ठगों की बात मानते हुए वह रकम भी दे दी. उसके बाद महिला से कहा गया कि उसने गलत वीडियो लाइक कर दिए हैं जिसकी वजह से टेलीग्राम ग्रुप के सभी मेंबर्स का पैसा डूब गया. महिला पर दबाव बनाकर ठगों ने 11.90 लाख रुपये और वसूल लिए. महिला का कहना है कि अलग-अलग मौकों पर उससे कुल 13.32 लाख रुपये वसूले गए. जब तक महिला को यह बात समझ आती कि वह साइबर ठगों के जाल में फंस चुकी है तब तक बहुत देर हो चुकी थी और वह 13 लाख से अधिक रुपये गंवा चुकी थी.
महिला ने अपने साथ हुई धोखाधड़ी की शिकायत नोएडा की साइबर पुलिस में की है. पुलिस ने महिला की शिकायत पर अज्ञात साइबर ठगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 और आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है. थोड़े बहुत वेरिएशन के साथ उपरोक्त ठगी का मॉडल खूब चल रहा है आजकल. मसलन 'घर बैठे कैसे कमाएं' के मैसेज पर जवाब देते ही आपको यूट्यूब वीडियो लाइक और कमेंट करने का काम दिया जाएगा, और फिर कोई दो चार बार कमीशन देकर आपको भरोसे में लेकर क्रिप्टो करेंसी में पैसे निवेश करने पर ज्यादा कमाई करने का झांसा दे देगा.
आपका झुकाव भांपते स्कैमर्स को देर नहीं लगती और ज्योंही आप झांसे में आये, दो चार कमीशन और देकर आपको फिशिंग के जाल में गहरे उतार लेंगे. आपको होश तब आएगा जब आप अच्छी खासी रकम से हाथ धो बैठेंगे लेकिन तब बात वही होगी 'अब पछताए हॉट क्या जब चिड़िया चुग गई खेत'. सवाल है लोग फंसते ही क्यों हैं ? बड़ी बड़ी कंपनियों मसलन अमेज़न, फ्लिपकार्ट, ऊबर भी इसकी एक बड़ी वजह है. 'लिमिटेड ऑफर' कहकर कभी अमेज़न कहता है कि फलाना गाना पॉडकास्ट पर सुनो, 150 रुपये मिलेंगे ;
कभी फ्लिपकार्ट या बहुत पहले ऊबर भी रेफरल के लिए किसी न किसी रूप में पैसे दे रहे थे. हालांकि वे कैश नहीं देते लेकिन 'कैशबैक' का फंडा जरूर है. माना ये कंपनियां आपको ठगती नहीं लेकिन उनके इसी मार्केटिंग फंडा के प्रारूप में स्कैमर्स अपनी ठगी की स्कीम ईजाद कर लेते हैं , सक्सेस भी हो जाते हैं क्योंकि लोगों के लिए स्कीम घरेलू सी यानी जानी पहचानी सी लगती है और स्कीम चलाने वाले स्कैमर्स हैं, समझ में आये इसके पहले लूट पिट चुके होते हैं.
आसानी से पैसे कमाने का लालच स्कैमर्स उनको बड़े आराम से दे पाते है जो सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा एक्टिव रहते हैं. आपको किसी अनजान नंबर से मैसेज मिलता है, वह इंडिया का होता ही नहीं। प्रीफिक्स चेक करेंगे तो +7 या किसी और कंट्री का कोड मिलेगा. दरअसल अनजान नंबर देसी हो या विदेशी, इंटरेक्शन करना ही क्यों ? सीधे सीधे डिलीट मारो ना और साथ ही नंबर ब्लॉक कर दो ना ! एकबारगी आपने इंटरेक्शन चालू किया नहीं, समझ लीजिये विथड्रॉ कर ही नहीं सकते;
चूंकि सामने वाले ने आपको भली भांति शीशे में उतार लिया है सो बंद तो वही करेगा आपको लूटकर. मान भी लें या कहें आपका "गुड सेंस प्रेवेल्स" और आपने बीच में या उसके पहले भी संवाद बंद कर दिया, तो भी आपको कुछ न कुछ चूना लग ही गया होगा. कई बार साइबर ठग ये भी कहते हैं कि पेमेंट करने में दिक्कत आ रही है आपसे पेन्नी टेस्टिंग के नाम पर कुछ पैसा अपने अकाउंट में मंगा लेंगे और फिर किसी न किसी बहाने से ओटीपी आदि की जानकारी लेकर आपके अकाउंट से पैसे भी निकाल लेंगे.
कई बार साइबर ठग पैसे ट्रांसफर करना आसान बनाने के लिए एक ऐप डाउनलोड करने के लिए भी कहते हैं, जिससे व्यक्ति का मोबाइल और निजी डेटा की पहुंच साइबर ठगों तक हो जाती है. यह ऐप रिमोट एक्सेस ट्रोजन या मैलवेयर है. वे जाल में फंसे व्यक्ति से सिर्फ एक रुपये भेजने को कहते हैं जिससे पेमेंट गेटवे का वेरिफिकेशन हो पाए. इसके बाद उन्हें पीड़ित के ओटीपी और ईमेल के साथ-साथ उसके सभी बैंक खाते और क्रेडिट कार्ड की जानकारी का पूरा एक्सेस मिल जाता है.
विडंबना ही है कि इन स्कैमर्स के कुत्सित मंसूबों को पूरा करने में बैंक भी फर्जी खाते खोलकर सहभागिता देते हैं. और ऐसा होता है भ्रष्ट बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से. कुल मिलाकर जरूरत है सावधानी बरतने की. कुछ बेसिक सावधानियां भी हैं मसलन मोबाइल में कभी पासवर्ड सेव न करें, समय समय पर पासवर्ड बदलते रहें और यूजर नेम और पासवर्ड हर हाल में गोपनीय रखें, अपना मोबाइल या लैपटॉप रीसेल न करें और यदि करें भी तो बेचने के पहले रिसेट जरूर कर लें. फिर साइबर अपराधियों के पास नवीनतम तकनीक होती है, जिससे वे ठगी में कामयाब हो जाते हैं. बदलती तकनीक के अनुरूप जागरूकता नहीं है, नतीजन लोग मैलवेयर या फिशिंग का शिकार हो जाते हैं. और सबसे बड़ी बात, अपराधियों के लिए कानून भी सख्त नहीं हैं.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.