झारखंड में 17 जून की रात तबरेज अंसारी नाम के युवक को भीड़ ने बुरी तरह से पीटा. Jharkhand lynching के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और उसे चोरी के आरोप में गिरफ्तार कर के थाने ले गई. आरोपी की हालत खराब होती दिखी तो अस्पताल में भर्ती कराया, जहां 22 जून को उसकी मौत हो गई. एक ओर जहां तबरेज अंसारी की जिंदगी समाप्त हो गई है, वहीं दूसरी ओर उसकी मौत को लेकर एक बहस शुरू हो गई है. ये बहस पुलिस पर लापरवाही के आरोप तो लगा ही रही है साथ ही इसमें तबरेज अंसारी की मौत को लेकर राजनीति भी जमकर हो रही है. यहां तक कि मामला अमेरिका तक जा पहुंचा है और अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने भीड़ द्वारा युवक की हत्या किए जाने की कड़ी निंदा की है.
बहस का सबसे अहम मुद्दा है हिंदू-मुस्लिम. दरअसल, तबरेज अंसारी को खंभे से बांधकर पीटने का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें साफ दिख रहा है उससे जबरन 'जय श्री राम' और 'जय हनुमान' बोलने को कहा जा रहा है. जैसे ही लोगों ने ये सब देखा तो उनकी प्रतिक्रियाएं आने लगीं, जिसमें बहुत से लोग भाजपा तक को लपेटे में लेने लगीं. ये आरोप सिर्फ इन नारों की वजह से ही लगे. कहा गया कि मॉब लिंचिंग करने वालों का राजनीतिक पार्टी भाजपा से संबंध है. इस मामले में पुलिस ने जिन 11 आरोपियों को पकड़ा है, उनमें से एक की फेसबुक वॉल पर भाजपा का स्टोल यानी गमछा पहने उसकी तस्वीर भी दिखी.
जब इन 11 लोगों के बैकग्राउंड पर नजर डाली गई तो पता चला कि लोगों ने इस घटना के सामने आते ही जो प्रतिक्रियाएं दी थीं, वह जल्दबाजी में दी गई प्रतिक्रियाएं थीं. सिर्फ शुरुआती जानकारी के आधार पर ही लोगों ने एक राय बना ली और अपनी प्रतिक्रिया देने लगे. चलिए जानते हैं...
झारखंड में 17 जून की रात तबरेज अंसारी नाम के युवक को भीड़ ने बुरी तरह से पीटा. Jharkhand lynching के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और उसे चोरी के आरोप में गिरफ्तार कर के थाने ले गई. आरोपी की हालत खराब होती दिखी तो अस्पताल में भर्ती कराया, जहां 22 जून को उसकी मौत हो गई. एक ओर जहां तबरेज अंसारी की जिंदगी समाप्त हो गई है, वहीं दूसरी ओर उसकी मौत को लेकर एक बहस शुरू हो गई है. ये बहस पुलिस पर लापरवाही के आरोप तो लगा ही रही है साथ ही इसमें तबरेज अंसारी की मौत को लेकर राजनीति भी जमकर हो रही है. यहां तक कि मामला अमेरिका तक जा पहुंचा है और अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने भीड़ द्वारा युवक की हत्या किए जाने की कड़ी निंदा की है.
बहस का सबसे अहम मुद्दा है हिंदू-मुस्लिम. दरअसल, तबरेज अंसारी को खंभे से बांधकर पीटने का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें साफ दिख रहा है उससे जबरन 'जय श्री राम' और 'जय हनुमान' बोलने को कहा जा रहा है. जैसे ही लोगों ने ये सब देखा तो उनकी प्रतिक्रियाएं आने लगीं, जिसमें बहुत से लोग भाजपा तक को लपेटे में लेने लगीं. ये आरोप सिर्फ इन नारों की वजह से ही लगे. कहा गया कि मॉब लिंचिंग करने वालों का राजनीतिक पार्टी भाजपा से संबंध है. इस मामले में पुलिस ने जिन 11 आरोपियों को पकड़ा है, उनमें से एक की फेसबुक वॉल पर भाजपा का स्टोल यानी गमछा पहने उसकी तस्वीर भी दिखी.
जब इन 11 लोगों के बैकग्राउंड पर नजर डाली गई तो पता चला कि लोगों ने इस घटना के सामने आते ही जो प्रतिक्रियाएं दी थीं, वह जल्दबाजी में दी गई प्रतिक्रियाएं थीं. सिर्फ शुरुआती जानकारी के आधार पर ही लोगों ने एक राय बना ली और अपनी प्रतिक्रिया देने लगे. चलिए जानते हैं इन 11 आरोपियों का बैकग्राउंड क्या है-
1- प्रकाश उर्फ पप्पू मंडल (28)- इस मामले में सबसे पहले पुलिस ने पप्पू को ही गिरफ्तार किया था. उसकी फेसबुक पोस्ट पर वह भाजपा का स्टोल यानी गमछा पहने दिख रहा है. उसके गांव के लोग कह रहे हैं कि उसने अर्जुन मुंडा की पार्टी के लिए काम किया था. वहीं दूसरी ओर पुलिस का कहना है कि जितने भी लोगों को गिरफ्तार किया गया है उनका किसी भी राजनीतिक पार्टी से कोई संबंध नहीं है.
2- कमल महतो (48)- वह अंसारी के खिलाफ चोरी का मुकदमा दर्ज करने वालों में से एक हैं. उन्होंने दसवीं तक ही पढ़ाई की है. उनकी बेटी इस समय ग्रेजुएशन कर रही है, जिसने कहा- वह मुरूप में रेवले गैंगमैन की तरह काम करते हैं. पूरा गांव हमारे ऊपर आरोप लगा रहा है. हमने तो सिर्फ इस बात को लेकर सूचित किया था कि हमने चोर देखा. आपको बता दें कि महतो गांव के उन लोगों मे से हैं, जिनका पक्का मकान है.
3- सुमांत महतो (24)- पुलिस के अनुसार कमल महतो के बेटे सुमांत महतो ने ही सबसे पहले चोर को देखकर लोगों को सूचना दी. सुमांत महतो अभी अविवाहित है, जिसने हाल ही में बाघबेड़ा स्थित आईटीआई से कोर्स पूरा किया है और एक मैन्युफैक्चरिंग कंपनी में अप्रेंटिसशिप की है. उनकी बहन मोनिका ने बताया कि उसकी जल्द ही पक्की नौकरी लगने वाली थी.
4- प्रेमचंद माहली (21)- प्रेमचंद 10वीं तक पढ़ा है और एक सीमेंट फैक्ट्री में लेबर है. पुलिस के अनुसार माहली उस समय घटनास्थल पर ही मौजूद था. उसके पास कोई जमीन नहीं है और उसके माता पिता बांस की टोकरियां बनाकर बाजार में बेचते हैं.
5- सोनाराम माहली (31)- वह प्रेमचंद माहली का चचेरा भाई है और रोजाना दिहाड़ी पर काम करता है. पड़ोसियों के अनुसार वह दसवीं भी पास नहीं कर सका है. सोनाराम काम के लिए गांव से बाहर गया हुआ है तो पुलिस ने उसके 65 साल के पिता कौशल माहली को गिरफ्तार कर लिया है.
6- सत्यनारायण नायक (55)- सत्यनारायण लोगों के घरों में पेंटिंग करने का काम करते हैं और रोजाना दिहाड़ी कर के 100-150 रुपए कमाते हैं. परिवार वालों ने बताया कि उन्होंने 5वीं के बाद पढ़ाई नहीं की और एक कच्चे घर में रहते हैं. उनकी पत्नी सरस्वती देवी ने बताया कि उनकी बेटी का हाल ही में निधन हुआ है. उन्होंने कहा- 'हम अपने बेटी के बेटे का पालन पोषण पति के पैसों से ही करते हैं. अब मेरे पास कोई नहीं है. वह 18 जून को घटनास्थल पर जरूर थे, लेकिन उन्होंने किसी को नहीं पीटा.'
7- मदन नायक (30)- सत्यनारायण का एक नायक नाम का भतीजा भी है, जिसने 5वीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी. फिलहाल वह एक सीमेंट फैक्ट्री में लेबर का काम करता है. उनके बेटे प्रकाश ने कहा कि वह पिछले कुछ दिनों से काम नहीं कर पाए, क्योंकि उन्हें गेट पास ही नहीं मिला. मेरे पिता घटनास्थल पर जरूर थे, लेकिन उन्होंने किसी पर हमला नहीं किया.
8- भीम मंडल (45)- वह गांव के ही बाजार में आलू पेटीज और पकौड़े बेचते हैं. वह 5वीं तक ही पढ़े हैं. उनकी पत्नी नंदिनी ने कहा- हमें सुबह के 5 बजे घटना के बारे में पता चला और उसके बाद हम जाग गए. फिर वह घटनास्थल पर पहुंचे.
9- महेश माहली (28)- महेश की मां के अनुसार उसने 10वीं तक पढ़ाई की है. मां ने कहा- वह एक कोर्स करने के लिए रांची गया था और वहां काम भी करता है, लेकिन वह घर आया हुआ था. वह पूरे परिवार का ध्यान रखता है. वह सिर्फ ये देखना गया था कि 18 जून को वहां क्या हो रहा है.
10- सोनामु प्रधान (23)- गांव वालों के अनुसार सोनामु अविवाहित है और 10वीं तक पढ़ा है. घटना वाले दिन के बाद यानी 18 जून से ही उसके परिवार का अता-पता नहीं है. स्थानीय लोगों ने बताया कि उसने हाल ही में एक ट्रैक्टर खरीदा है और एक सेकेंड हैंड बोलेरो ली है.
11- चामू नायक (40)- चामू के पास कुछ खेती की जमीन है और तीन बेटे हैं. पत्नी ने बताया कि चामू ने 10वीं तक की पढ़ाई भी पूरी नहीं की है. पत्नी के अनुसार जब घटना घटी तो उस समय चामू घटनास्थल पर भी नहीं थे.
इन 11 लोगों के नाम और उनका बैकग्राउंड पढ़कर बहुत से लोग ये बात समझ गए होंगे कि उन्होंने इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया बेहद जल्दबाजी में दी थी. घटना को हिंदू-मुस्लिम और राजनीतिक रंग जरूर दिया जाने लगा था, लेकिन इन लोगों का बैकग्राउंड और घटना का वर्णन ये साफ करता है कि ना तो ये किसी ने राजनीति से प्रेरित होकर किया, ना ही इस घटना के पीछे हिंदू-मुस्लिम जैसी कोई धारणा थी. बस एक सूचना मिली चोर की और भीड़ ने बिना सोचे समझे उस शख्स को खंभे से बांधकर पीटना शुरू कर दिया. ये भी नहीं सोचा कि वह मर भी सकता है.
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