ज्यादा वक़्त नहीं हुआ है. चंद घंटे ही बीते हैं. प्रधानमंत्री एक कार्यक्रम में थे और अप्रवासी भारतीय सांसदों से मुखातिब थे. इसमें कोई शक नहीं है कि पीएम अच्छा बोलते हैं और बोलते हुए बहुत अच्छे लगते हैं. पीएम, दुनिया भर में फैले भारतीयों को भारत से जुड़ी अच्छी अच्छी बातें बता रहे थे और कह रहे थे कि कैसे वो हमारे गर्व का कारण हैं, और कैसे हम उनके यहां इस देश में न होने को मिस करते हैं. अप्रवासी भारतीय सांसदों को भी पीएम की बातों में तर्क नजर आ रहा था.
कार्यक्रम को मैंने पूरा सुना और खुशी-खुशी दफ्तर पहुंचा. दफ्तर पहुंचने तक प्रधानमंत्री द्वारा कही वो बात, मेरे दिमाग के किसी कोने में बैठ चुकी थी. हां वही बात "भारत ट्रांसफॉर्म हो रहा है". दफ्तर पहुंच कर ये जानने के लिए कि, देश दुनिया में क्या हो रहा है जब ख़बरों का रुख किया तो जो वहां मिला उसने न सिर्फ प्रधानमंत्री द्वारा कही बात को संदेह में डाल दिया बल्कि इस बात का भी एहसास कराया कि हां शायद पीएम ने सही कहा है कि, भारत ट्रांसफॉर्म हो रहा है. ट्रांसफॉर्म हो रहा है एक ऐसे देश में, जहां लोग सिर्फ इस बात के लिए मर जाते हैं बल्कि ये कहें कि मार दिए जाते हैं क्योंकि उन्होंने दूसरे मजहब वालों से दोस्ती की है. उन दोस्तियों से इश्क किया है.
जी हां विचलित होने की जरूरत नहीं है. कर्नाटक की राजधानी बैंगलोर से कुछ दूर चिकमंगलूर के मुदीगीर में जो हुआ उसको देखकर तो बस ये लग रहा है कि सबको साथ लेकर चलने और विकास के सारे दावे खोखले हैं और एकता की बातें झूठी हैं. चिकमंगलूर में एक हिन्दू लड़की को सिर्फ इसलिए आत्महत्या करनी पड़ी क्योंकि वो व्हाट्सऐप पर एक दोस्त से चैट करते हुए उसने इतना भर लिख दिया कि "आई लव मुस्लिम्स". ध्यान रहे कि लड़का और लड़की जाति और धर्म पर बहस कर रहे थे.
ज्यादा वक़्त नहीं हुआ है. चंद घंटे ही बीते हैं. प्रधानमंत्री एक कार्यक्रम में थे और अप्रवासी भारतीय सांसदों से मुखातिब थे. इसमें कोई शक नहीं है कि पीएम अच्छा बोलते हैं और बोलते हुए बहुत अच्छे लगते हैं. पीएम, दुनिया भर में फैले भारतीयों को भारत से जुड़ी अच्छी अच्छी बातें बता रहे थे और कह रहे थे कि कैसे वो हमारे गर्व का कारण हैं, और कैसे हम उनके यहां इस देश में न होने को मिस करते हैं. अप्रवासी भारतीय सांसदों को भी पीएम की बातों में तर्क नजर आ रहा था.
कार्यक्रम को मैंने पूरा सुना और खुशी-खुशी दफ्तर पहुंचा. दफ्तर पहुंचने तक प्रधानमंत्री द्वारा कही वो बात, मेरे दिमाग के किसी कोने में बैठ चुकी थी. हां वही बात "भारत ट्रांसफॉर्म हो रहा है". दफ्तर पहुंच कर ये जानने के लिए कि, देश दुनिया में क्या हो रहा है जब ख़बरों का रुख किया तो जो वहां मिला उसने न सिर्फ प्रधानमंत्री द्वारा कही बात को संदेह में डाल दिया बल्कि इस बात का भी एहसास कराया कि हां शायद पीएम ने सही कहा है कि, भारत ट्रांसफॉर्म हो रहा है. ट्रांसफॉर्म हो रहा है एक ऐसे देश में, जहां लोग सिर्फ इस बात के लिए मर जाते हैं बल्कि ये कहें कि मार दिए जाते हैं क्योंकि उन्होंने दूसरे मजहब वालों से दोस्ती की है. उन दोस्तियों से इश्क किया है.
जी हां विचलित होने की जरूरत नहीं है. कर्नाटक की राजधानी बैंगलोर से कुछ दूर चिकमंगलूर के मुदीगीर में जो हुआ उसको देखकर तो बस ये लग रहा है कि सबको साथ लेकर चलने और विकास के सारे दावे खोखले हैं और एकता की बातें झूठी हैं. चिकमंगलूर में एक हिन्दू लड़की को सिर्फ इसलिए आत्महत्या करनी पड़ी क्योंकि वो व्हाट्सऐप पर एक दोस्त से चैट करते हुए उसने इतना भर लिख दिया कि "आई लव मुस्लिम्स". ध्यान रहे कि लड़का और लड़की जाति और धर्म पर बहस कर रहे थे.
लड़की के इस मैसेज के स्क्रीनशॉट्स लेकर लड़के ने उसे बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के सदस्यों के साथ भी शेयर किया. इन स्क्रीनशॉट्स का सोशल मीडिया पर वायरल होना लाजमी था. स्क्रीन शॉट्स के वायरल होने के बाद बीजेपी यूथ विंग से जुड़ा अनिलराज नाम का शख्स अपने गुर्गों के साथ लड़की के घर आया और उसे और उसकी मां को डराया धमकाया और चेतावनी दी की वो जितना हो सके मुसलमानों से दूर रहें. बीकॉम की स्टूडेंट लड़की धन्याश्री इस बात से इतना डर गयी कि उसने अपने कमरे में पंखे से लटक कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली. ज्ञात हो कि आत्महत्या से पहले लड़की ने एक सुसाइड नोट भी लिखा है जिसमें इस बात का जिक्र है कि इस घटना ने उसकी जिंदगी और पढ़ाई-लिखाई बर्बाद कर दी.
खैर मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने आनन फानन में कार्यवाही करते हुए आरोपी बीजेपी के युवा विंग के नेता को गिरफ्तार कर लिया है. साथ ही चार अन्य आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है और जनता को विश्वास दिलाया है कि वो कार्यवाही कर जल्द ही पीड़ित परिवार को न्याय दिलाएंगे.
बहरहाल, जो होना था हो चुका है. लड़की मर गयी है. आरोपी जेल में है. आरोपी के संगी साथी फरार हैं मगर देश ट्रांसफॉर्म हो रहा है. इस पूरे मामले पर ध्यान दें तो मिल रहा है कि आज हम जिस माहौल में रह रहे हैं वो किसी भी कीमत पर हमें विकास की तरफ नहीं ले जा रहा है बल्कि गहरे अंधकार की ओर ढकेल रहा है. कहने, सुनने, बोलने बताने को कई सारी बातें हैं और उन बातों के बीच ये बात बड़ी दिलचस्प है कि एक तरफ तो हम सत्य, अहिंसा और महात्मा गांधी की बात कर रहे हैं और दूसरी तरह हम सिर्फ इसलिए एक दूसरे के खून के प्यासे बन गए हैं क्योंकि इंसानियत के आड़े धर्म आ गया है.
अंत में हम ये कहते हुए अपनी बात खत्म करेंगे कि यदि वाकई प्रधानमंत्री देश के विकास के लिए गंभीर हैं तो उन्हें इन चुनौतियों का गंभीरता से निवारण करना होगा अन्यथा अप्रवासी भारतीयों के अलावा आम भारतीय यही कहेगा कि कथनी और करनी में एक बड़ा अंतर होता है. व्यक्ति जो बोले पहले उसपर खुद तो अमल करके दिखाए.
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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.