देखिए, न तो दहेज के सभी आरोप सच होते हैं और न ही रेप (marital rape) के इल्ज़ाम, लेकिन इसका ये मतलब बिलकुल नहीं होता है कि ये अपराध होते ही नहीं हैं. और ये माना जाए कि इसके लिए क़ानून होने ही नहीं चाहिए. ठीक उसी तरह ये क़ानून होना ही चाहिए कि अगर पति ज़बर्दस्ती, मार-पीट करके, गाली दे कर, प्राइवेट पार्ट्स पर चोट पहुंचा कर या पत्नी के सहमति के बिना शारीरिक सम्बंध बनाता है तो उसे बलात्कार ही कहा जाएगा और इसके लिए क़ानून होना ही चाहिए.
देखिए ज़ाहिर सी बात है भारत विवाह प्रधान देश है. यहां बेटी के जन्म के साथ ही शादी के सपने देखे जाने लगते हैं. साथ ही साथ दिमाग़ में ये घोल कर डाला जाता है बेटी मर जाना तो मर जाना लेकिन पति के ख़िलाफ़ न जाना, न ससुराल छोड़ कर आना. ससुराल से अर्थी उठे तुम नहीं ज़िंदा निकलना चाहे जो हो जाए.
आप ईमान से पूछिए और आस-पास देखिए कितनी स्त्रियां घरेलू हिंसा का शिकार हो कर भी पति के साथ रह रही हैं. सिर्फ़ इसलिए कि समाज तलाक़शुदा औरतों को चरित्रहीन कहता है. लोग औरत पर ही उंगली उठाते हैं मर्द पर नहीं चाहे वो कैसा भी हो. घर तोड़ने का इल्ज़ाम औरतों के सिर आता है मर्द के नहीं.
तो ऐसे में आपको क्यों लगता है कि औरतें शौक़ से अपना घर तोड़ना चाहेंगी. खुद से खुद के पति के ऊपर बलात्कार का इल्ज़ाम लगा उसे जेल में भेजना चाहेंगी? ऐसा करके उन्हें क्या मिलेगा?
हां, उन अपवादों का ज़िक्र भी होना चाहिए जो जान बूझ कर पति या ससुरालवालों को फंसाती हैं क्योंकि उन्हें उस शादी में नहीं होना होता. तो यहां लड़के को थोड़ी समझदारी दिखा कर सबूत इकट्ठा करना चाहिए या शादी से पहले पूरी जानकारी इकट्ठा करनी चाहिए कि क्या लड़की सच में शादी करना...
देखिए, न तो दहेज के सभी आरोप सच होते हैं और न ही रेप (marital rape) के इल्ज़ाम, लेकिन इसका ये मतलब बिलकुल नहीं होता है कि ये अपराध होते ही नहीं हैं. और ये माना जाए कि इसके लिए क़ानून होने ही नहीं चाहिए. ठीक उसी तरह ये क़ानून होना ही चाहिए कि अगर पति ज़बर्दस्ती, मार-पीट करके, गाली दे कर, प्राइवेट पार्ट्स पर चोट पहुंचा कर या पत्नी के सहमति के बिना शारीरिक सम्बंध बनाता है तो उसे बलात्कार ही कहा जाएगा और इसके लिए क़ानून होना ही चाहिए.
देखिए ज़ाहिर सी बात है भारत विवाह प्रधान देश है. यहां बेटी के जन्म के साथ ही शादी के सपने देखे जाने लगते हैं. साथ ही साथ दिमाग़ में ये घोल कर डाला जाता है बेटी मर जाना तो मर जाना लेकिन पति के ख़िलाफ़ न जाना, न ससुराल छोड़ कर आना. ससुराल से अर्थी उठे तुम नहीं ज़िंदा निकलना चाहे जो हो जाए.
आप ईमान से पूछिए और आस-पास देखिए कितनी स्त्रियां घरेलू हिंसा का शिकार हो कर भी पति के साथ रह रही हैं. सिर्फ़ इसलिए कि समाज तलाक़शुदा औरतों को चरित्रहीन कहता है. लोग औरत पर ही उंगली उठाते हैं मर्द पर नहीं चाहे वो कैसा भी हो. घर तोड़ने का इल्ज़ाम औरतों के सिर आता है मर्द के नहीं.
तो ऐसे में आपको क्यों लगता है कि औरतें शौक़ से अपना घर तोड़ना चाहेंगी. खुद से खुद के पति के ऊपर बलात्कार का इल्ज़ाम लगा उसे जेल में भेजना चाहेंगी? ऐसा करके उन्हें क्या मिलेगा?
हां, उन अपवादों का ज़िक्र भी होना चाहिए जो जान बूझ कर पति या ससुरालवालों को फंसाती हैं क्योंकि उन्हें उस शादी में नहीं होना होता. तो यहां लड़के को थोड़ी समझदारी दिखा कर सबूत इकट्ठा करना चाहिए या शादी से पहले पूरी जानकारी इकट्ठा करनी चाहिए कि क्या लड़की सच में शादी करना चाहती है या किसी दवाब में आ कर कर रही है.
इतना तो समझ आ जाता है कि किस लड़की की शादी उसकी मर्ज़ी से हो रही और कहां परिवार फ़ोर्स कर रहा है. शादी करते वक्त दहेज के लालच में आकर किसी को भी ब्याह कर के आएँगे तो ख़ामियाज़ा भुगतना ही पड़ेगा. ख़ैर ये पूरा एक अलग टॉपिक जिस पर कभी और बात होगी. अभी मैरीटल रेप पर ठहरते हैं.
हां तो जिनको लगता है कि मैरिटल रेप जैसी कोई चीज़ नहीं होती उनको कन्सेंट किस चिड़िया का नाम ये ही नहीं पता है. उसके ऊपर से उनको लगता है कि शादी हो गया तो सेक्स का लाईसेंस मिल गया. ऊपर से सुहागरात का पूरा कॉन्सेप्ट ही ग़लत है. अरे पहले एक-दूसरे को इंसान के तौर पर जान लो फिर शरीर तो हैं ही. लेकिन नहीं यहां तो पहली रात को ही क़िला फ़तह करना होता है. बॉलीवुड का इसके लिए शुक्रिया करना बनता है.
तो जब शुरुआत ही बिना कन्सेंट के होगी तो आगे क्या होगा?
और ऊपर से पतियों के दिमाग़ में ये घोल-घोल कर डाला जाता है कि पत्नी के शरीर का मालिक वो है. पत्नी हां करे या न वो सेक्स कर सकता है. पत्नी सिर्फ़ बच्चा पैदा करने की और सेक्स की मशीन भर है. हां, सभी पति ऐसे नहीं होते लेकिन इसका ये मतलब बिलकुल नहीं है कि सभी पति कन्सेंट से सेक्स करते हैं. गांव में जाइए, मेड से बात कीजिए और पूछिए जिनके 4-5 बच्चे हैं उन औरतों से कितनी बार पति पूछ कर सेक्स करता है और कितनी बार ज़बरदस्ती.
आप नहीं करते या नहीं करेंगे लेकिन उससे दुनिया का सच तो नहीं बदल जाएगा न. पत्नियों के साथ बेडरूम में क्या होता है ये सिर्फ़ उसकी आत्मा और उसका शरीर जानता है. बाक़ी ये आप पूछिए अपने आस पास के मर्दों/पति से कि आख़िरी बार कब सेक्स उनके लिए लव-मेकिंग था? कब उनकी बीवी को ओर्गेसम हुआ था फिर आइएगा और सवाल ले कर. अभी के लिए इतना ही.
और हां शुक्रिया कर्नाटक हाईकोर्ट एक बार फिर से!
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.