हम जब धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर की कल्पना करते हैं तो खूबसूरत वादियों के इतर कुछ चीजें जैसे आतंकवाद, चरमपंथ, कट्टरपंथ, पत्थरबाजी, देश विरोधी नारे, हिंसा, आगजनी न चाहते हुए भी हमारी आंखों के सामने आ जाती हैं और हमें तकलीफ देती हैं. इतनी नकारात्मकता के बीच अगर हम वादी से कुछ ऐसा सुनें जिससे मन हल्का हो, दिल को सुकून मिले और हमें किसी साधारण कश्मीरी पर गर्व हो तो फिर ये अपने आप में एक सुखद अनुभूति है.
हर रोज किसी न किसी विवाद के चलते सुर्ख़ियों में रहने वाले कश्मीर से एक अच्छी खबर है. कश्मीर प्रशासनिक सेवा का परिणाम घोषित हुआ है जिसमें एक लम्बे समय तक आतंकवाद की मार झेलने वाले सुरनकोट के अंजुम बशीर खान ने बिना किसी खास तैयारी के पहला स्थान हासिल कर सबको आश्चर्य में डाल दिया है. अंजुम एक स्थानीय स्कूल में बच्चों को मैथ्स पढ़ाते हैं.
अपने बचपन में कई तरह के कष्टों का सामना कर शिक्षा अर्जित करने वाले अंजुम की ये सफलता हर उस कश्मीरी के मुंह पर करारा तमाचा है, जो शिक्षा को दरकिनार कर, हर उस गतिविधियों में लिप्त है जो देशहित में नहीं है और जिसका परिणाम केवल और केवल तबाही है.
बात आगे बढ़ाने से पहले आपको बताते चलें कि, अंजुम बशीर खान उस सुरनकोट से आते हैं, जो 90 के दशक में, कश्मीर के अन्दर पनप रहे आतंकवाद और चरमपंथ का गढ़ था. ये सुरनकोट ही था जहां से पूरे राज्य भर में आतंकी गतिविधियां फैलाई जाती थीं. तब कश्मीर के हालात कैसे थे इसका अंदाजा आप इस बात से लगा लीजिये कि तब आतंकियों द्वारा भविष्य के इस अफसर अंजुम बशीर खान का घर तक जला दिया गया और अंजुम बेघर हो गए थे. एक बेघर के लिए शिक्षा अर्जित करना और ये मुकाम पाना कैसा होगा बस इसकी कल्पना करके...
हम जब धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर की कल्पना करते हैं तो खूबसूरत वादियों के इतर कुछ चीजें जैसे आतंकवाद, चरमपंथ, कट्टरपंथ, पत्थरबाजी, देश विरोधी नारे, हिंसा, आगजनी न चाहते हुए भी हमारी आंखों के सामने आ जाती हैं और हमें तकलीफ देती हैं. इतनी नकारात्मकता के बीच अगर हम वादी से कुछ ऐसा सुनें जिससे मन हल्का हो, दिल को सुकून मिले और हमें किसी साधारण कश्मीरी पर गर्व हो तो फिर ये अपने आप में एक सुखद अनुभूति है.
हर रोज किसी न किसी विवाद के चलते सुर्ख़ियों में रहने वाले कश्मीर से एक अच्छी खबर है. कश्मीर प्रशासनिक सेवा का परिणाम घोषित हुआ है जिसमें एक लम्बे समय तक आतंकवाद की मार झेलने वाले सुरनकोट के अंजुम बशीर खान ने बिना किसी खास तैयारी के पहला स्थान हासिल कर सबको आश्चर्य में डाल दिया है. अंजुम एक स्थानीय स्कूल में बच्चों को मैथ्स पढ़ाते हैं.
अपने बचपन में कई तरह के कष्टों का सामना कर शिक्षा अर्जित करने वाले अंजुम की ये सफलता हर उस कश्मीरी के मुंह पर करारा तमाचा है, जो शिक्षा को दरकिनार कर, हर उस गतिविधियों में लिप्त है जो देशहित में नहीं है और जिसका परिणाम केवल और केवल तबाही है.
बात आगे बढ़ाने से पहले आपको बताते चलें कि, अंजुम बशीर खान उस सुरनकोट से आते हैं, जो 90 के दशक में, कश्मीर के अन्दर पनप रहे आतंकवाद और चरमपंथ का गढ़ था. ये सुरनकोट ही था जहां से पूरे राज्य भर में आतंकी गतिविधियां फैलाई जाती थीं. तब कश्मीर के हालात कैसे थे इसका अंदाजा आप इस बात से लगा लीजिये कि तब आतंकियों द्वारा भविष्य के इस अफसर अंजुम बशीर खान का घर तक जला दिया गया और अंजुम बेघर हो गए थे. एक बेघर के लिए शिक्षा अर्जित करना और ये मुकाम पाना कैसा होगा बस इसकी कल्पना करके देखिये.
बहरहाल, वर्तमान में पेशे से एक स्थानीय स्कूल में मैथ्स के शिक्षक अंजुम ने कंप्यूटर साइंस में बी-टेक किया हुआ है. अंजुम बचपन से ही इस प्रतिष्ठित परीक्षा को क्वालीफाई करना चाहते थे और इसके लिए मेहनत कर रहे थे. ध्यान रहे कि अपने पहले ही एटेम्पट में परीक्षा में टॉप करने वाले अंजुम ने परीक्षा के लिए कभी भी कोचिंग का सहारा नहीं लिया.
कहा जा सकता है कि अंजुम कश्मीर के उन भटके हुए युवाओं के लिए एक मिसाल हैं जो ये सोचते हैं कि इस सिस्टम में उनके लिए सिर्फ इसलिए जगह नहीं है क्योंकि उनका धर्म उनके आगे आ जाता है और उनके व्यक्तिगत विकास को रोकता है. साथ ही अंजुम की ये सफलता उन युवाओं के लिए भी एक नजीर है जो ये सोचते हुए शिक्षा से दूरी बनाए हुए हैं कि प्रतियोगी परीक्षा इंसान तभी क्वालीफाई कर पाता है जब उसने महंगी कोचिंग में एडमिशन लिया हो. अंत में इतना ही कि देश के प्रत्येक नागरिक को अंजुम पर नाज है. ऐसा इसलिए क्योंकि आज देश को वाकई अंजुम जैसे युवाओं की जरूरत है.
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