इस देश में अनशन और उपवास होना कोई नई बात नहीं है. गांधी से लेकर मोदी तक, हर उपवास या अनशन के पीछे राजनीतिक स्वार्थ छिपा होता है. प्रायः यही देखा गया कि जब एक नेता अनशन या उपवास करता है तो उसका उद्देश्य बस यही रहता है कि कैसे वो जनाधार जुटा ले जिससे उसे भविष्य में राजनीति करने में बल मिले. बात अनशन और उपवास की चल रही है तो आपको एक खबर से रू-ब-रू कराना बेहद ज़रूरी है. खबर है कि स्वाती मालीवाल अनशन कर रही हैं. स्वाती मालीवाल दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष हैं जो लगातार महिला और बाल हितों पर लड़ रही हैं.
स्वाती उत्तर प्रदेश के उन्नाव, जम्मू और कश्मीर के कठुआ सहित अन्य बलात्कार पीड़िताओं के इंसाफ की मांग करते हुए अनशन करने जा रही है. इस संबंध में उन्होंने पीएम मोदी को एक पत्र लिखकर न्याय की मांग की है. अपने पत्र में स्वाती ने लिखा है कि जब तक बलात्कारियों के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान नहीं हो जाता, वह अनशन से नहीं उठेंगी.
हमारा देश समझदार लोगों का देश हैं. हो सकता है कि देश का कोई समझदार आदमी इस खबर में भी राजनीतिक कोण निकाल ले. शायद व्यक्ति ये कह दे कि इस अनशन के पीछे स्वाती का राजनीतिक स्वार्थ छिपा है और भविष्य में इसे वो अपनी बड़ी उपलब्धि बताकर सक्रिय राजनीति में पैर पसार सकती हैं. कहा कुछ भी जा सकता है. मगर स्वाती के विषय में कोई राय कायम करने से पहले हमें उनके द्वारा लिखी गई चिट्ठी की वो बातें जान लेनी चाहिए जिनको सुनना फिल्हाल हमारे लिए वक़्त की ज़रूरत है.
मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा को पत्र लिखने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में स्वाती ने उत्तर प्रदेश के आरोपी विधायक की गिरफ्तारी की व पीड़ित लड़की की और उसके परिवार की...
इस देश में अनशन और उपवास होना कोई नई बात नहीं है. गांधी से लेकर मोदी तक, हर उपवास या अनशन के पीछे राजनीतिक स्वार्थ छिपा होता है. प्रायः यही देखा गया कि जब एक नेता अनशन या उपवास करता है तो उसका उद्देश्य बस यही रहता है कि कैसे वो जनाधार जुटा ले जिससे उसे भविष्य में राजनीति करने में बल मिले. बात अनशन और उपवास की चल रही है तो आपको एक खबर से रू-ब-रू कराना बेहद ज़रूरी है. खबर है कि स्वाती मालीवाल अनशन कर रही हैं. स्वाती मालीवाल दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष हैं जो लगातार महिला और बाल हितों पर लड़ रही हैं.
स्वाती उत्तर प्रदेश के उन्नाव, जम्मू और कश्मीर के कठुआ सहित अन्य बलात्कार पीड़िताओं के इंसाफ की मांग करते हुए अनशन करने जा रही है. इस संबंध में उन्होंने पीएम मोदी को एक पत्र लिखकर न्याय की मांग की है. अपने पत्र में स्वाती ने लिखा है कि जब तक बलात्कारियों के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान नहीं हो जाता, वह अनशन से नहीं उठेंगी.
हमारा देश समझदार लोगों का देश हैं. हो सकता है कि देश का कोई समझदार आदमी इस खबर में भी राजनीतिक कोण निकाल ले. शायद व्यक्ति ये कह दे कि इस अनशन के पीछे स्वाती का राजनीतिक स्वार्थ छिपा है और भविष्य में इसे वो अपनी बड़ी उपलब्धि बताकर सक्रिय राजनीति में पैर पसार सकती हैं. कहा कुछ भी जा सकता है. मगर स्वाती के विषय में कोई राय कायम करने से पहले हमें उनके द्वारा लिखी गई चिट्ठी की वो बातें जान लेनी चाहिए जिनको सुनना फिल्हाल हमारे लिए वक़्त की ज़रूरत है.
मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा को पत्र लिखने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में स्वाती ने उत्तर प्रदेश के आरोपी विधायक की गिरफ्तारी की व पीड़ित लड़की की और उसके परिवार की सुरक्षा तय करने, कठुआ की आठ साल की मृत रेप पीड़िता के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले लोगों को सख्त सजा दिलाने की मांग की है. इस पत्र में स्वाती ने लिखा है कि, 'जब तक आप देश की बेटी बचाने के सही उपाय देश के सामने नहीं रखेंगे मैं पूर्ण अनशन पर रहूंगी.' आगे स्वाती ने लिखा कि 'आप हम सबके पीएम हैं. जब विपक्ष के खिलाफ एक दिन के उपवास पर बैठेंगे, तो इन बलात्कार पीड़िताओं के बारे में भी सोचें. आप अपना काम निष्ठा से करने के लिए जाने जाते हैं. ऐसे में उम्मीद है कि इनके बारे में भी सोचेंगे.'
अपने पत्र में स्वाती ने कहा है कि अब वो समय आ गया है जब प्रधानमंत्री देश की महिलाओं के हित में निर्णायक कदम उठाएं. प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में स्वाती ने इस बात को बहुत ही साफ लहजे में लिखा है कि देश में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन अपराध चरम सीमा पर हैं.
स्वाती के अनुसार दिल्ली महिला आयोग बीते ढाई साल से ऐसा सिस्टम बनाने की मांग कर रहा है जिसमें जो भी छोटी बच्चियों के साथ बलात्कार करे, उसे 6 महीने में फांसी की सजा दी जाए. स्वाती के अनुसार आयोग ने इस मांग के लिए करीब 5.5 लाख पत्र प्रधानमंत्री के पास भिजवाए थे जिनपर कोई कार्यवाई नहीं हुई. अपनी चिट्ठी में नाराजगी जताते हुए स्वाती ने इस बात का भी जिक्र किया है कि पीएम तमाम मुद्दों पर अपनी प्रतिक्रिया देते रहते हैं ऐसे में कठुआ और उन्नाव जैसी दो बड़ी घटनाओं पर उनकी चुप्पी कई मायनों में अखरने वाली है.
स्वाती द्वारा पीएम को लिखी गई इस चिट्ठी को देखकर यही कहा जा सकता है कि, हो सकता है कि इस अनशन का राजनीतिक उद्देश्य हो मगर जो मुद्दे स्वाती ने उठाए वो वाजिब मुद्दे हैं. ऐसे मुद्दे जिनपर संपूर्ण देश को गौर करना चाहिए. अगर आज हमनें स्वाती के मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया तो यकीन मानिए जब तक हमें इन बातों का एहसास होगा तब तक बहुत देर हो जाएगी और हमारे पास बचाने के लिए कुछ नहीं बचेगा.
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