भारत में कोरोना की तीसरी लहर में रोजाना सामने आ रहे मामलों में काफी कमी आ गई है. कहा जा सकता है कि कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट का असर धीरे-धीरे कम हो रहा है. जिसे देखते हुए राज्यों की ओर से लगाई गई पाबंदियों में ढील दी जाने लगी है. हालांकि, सभी राज्य सरकारें लोगों से कोविड एप्रोपिएट बिहेवियर अपनाने को लेकर लगातार अपील जारी कर रही है. इन सबके बीच ब्रिटेन में कोरोना वायरस का नया वेरिएंट डेल्टाक्रॉन सामने आ गया है. डेली मेल के अनुसार, ब्रिटेन में कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन और डेल्टा वेरिएंट से बने इस हाइब्रिड स्ट्रेन के कुछ मामले सामने आए हैं. दुनिया अभी भी ओमिक्रॉन के खतरे से पूरी तरह नहीं उबरी है. और, विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने ही कहा था कि अभी कुछ और नए वेरिएंट सामने आ सकते हैं. तो, नए वेरिएंट डेल्टाक्रॉन की खबर सामने आते ही लोगों के बीच फिर से दहशत का माहौल बन गया है. आइए जानते हैं कि कोरोना वायरस के नए वेरिएंट डेल्टाक्रॉन का खतरा कितना गंभीर है?
क्या है डेल्टाक्रॉन वेरिएंट?
दुनियाभर में डेल्टा वेरिएंट सबसे ज्यादा जानलेवा साबित हुआ था. और ओमिक्रॉन वेरिएंट में तेजी से फैलने की क्षमता है. तो, इस डेल्टाक्रॉन वेरिएंट को लेकर कई तरह की आशंकाएं जताई जा रही है. क्योंकि, यह डेल्टा और ओमिक्रॉन का मिला-जुला रूप है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शुरूआत में डेल्टाक्रॉन वेरिएंट को लैब में हुई तकनीकी गलती का परिणाम माना जा रहा था. लेकिन, अब इसकी पुष्टि हो चुकी है. इसे सबसे पहले साइप्रस के शोधकर्ताओं ने खोजा था. लेकिन, ब्रिटेन में डेल्टाक्रॉन के मामले सामने आने से अब इसकी पुष्टि हो चुकी है. डेली मेल के...
भारत में कोरोना की तीसरी लहर में रोजाना सामने आ रहे मामलों में काफी कमी आ गई है. कहा जा सकता है कि कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट का असर धीरे-धीरे कम हो रहा है. जिसे देखते हुए राज्यों की ओर से लगाई गई पाबंदियों में ढील दी जाने लगी है. हालांकि, सभी राज्य सरकारें लोगों से कोविड एप्रोपिएट बिहेवियर अपनाने को लेकर लगातार अपील जारी कर रही है. इन सबके बीच ब्रिटेन में कोरोना वायरस का नया वेरिएंट डेल्टाक्रॉन सामने आ गया है. डेली मेल के अनुसार, ब्रिटेन में कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन और डेल्टा वेरिएंट से बने इस हाइब्रिड स्ट्रेन के कुछ मामले सामने आए हैं. दुनिया अभी भी ओमिक्रॉन के खतरे से पूरी तरह नहीं उबरी है. और, विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने ही कहा था कि अभी कुछ और नए वेरिएंट सामने आ सकते हैं. तो, नए वेरिएंट डेल्टाक्रॉन की खबर सामने आते ही लोगों के बीच फिर से दहशत का माहौल बन गया है. आइए जानते हैं कि कोरोना वायरस के नए वेरिएंट डेल्टाक्रॉन का खतरा कितना गंभीर है?
क्या है डेल्टाक्रॉन वेरिएंट?
दुनियाभर में डेल्टा वेरिएंट सबसे ज्यादा जानलेवा साबित हुआ था. और ओमिक्रॉन वेरिएंट में तेजी से फैलने की क्षमता है. तो, इस डेल्टाक्रॉन वेरिएंट को लेकर कई तरह की आशंकाएं जताई जा रही है. क्योंकि, यह डेल्टा और ओमिक्रॉन का मिला-जुला रूप है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शुरूआत में डेल्टाक्रॉन वेरिएंट को लैब में हुई तकनीकी गलती का परिणाम माना जा रहा था. लेकिन, अब इसकी पुष्टि हो चुकी है. इसे सबसे पहले साइप्रस के शोधकर्ताओं ने खोजा था. लेकिन, ब्रिटेन में डेल्टाक्रॉन के मामले सामने आने से अब इसकी पुष्टि हो चुकी है. डेली मेल के अनुसार, डेल्टाक्रॉन एक ऐसे रोगी में विकसित हुआ है, जो कोविड के दोनों वेरिएंट से संक्रमित हो गया था. लेकिन यह साफ नहीं हो सका है कि यह वेरिएंट ब्रिटेन में ही म्यूटेट होकर बना है या फिर कहीं बाहर से आया है.
डेल्टाक्रॉन के लक्षण क्या हैं और कितना खतरनाक है?
डेल्टाक्रॉन के लक्षणों, इसी संक्रामक क्षमता जैसी किसी तरह की जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है. ब्रिटेन की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी फिलहाल इस पर नजर बनाए हुए है. हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया गया है कि इसे लेकर चिंता की कोई बात नही है. क्योंकि, इसके मामले बहुत कम संख्या में सामने आए हैं. ब्रिटेन से पहले साइप्रस में 7 जनवरी को डेल्टाक्रॉन के मामले सामने आए थे. डेली मेल से बातचीत में ब्रिटेन के डॉ. पॉल हंटर ने कहा है कि ब्रिटेन में अधिकतर लोगों को वैक्सीन और बूस्टर डोज लग चुके हैं. डेल्टा और ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ इम्यूनिटी पहले ही विकसित हो चुकी है. इन सबके आधार पर डेल्टाक्रॉन से ज्यादा खतरा नजर नहीं आता है. वैसे, देखा जाए, तो डेल्टाक्रॉन वेरिएंट के फैलने की संभावनाएं बहुत कम ही नजर आती हैं. क्योंकि, ओमिक्रॉन के खतरे को देखते हुए लगभग सभी देशों ने अपने यहां हवाई यात्राओं पर प्रतिबंध लगा दिए थे. और, बाहर से आने वाले नागरिकों को कड़ी सुरक्षा दृष्टि में भी रखा गया था. अगर यह अन्य देशों तक पहुंचा होता, तो अब तक इसके मामले सामने आ जाते.
डेल्टाक्रॉन पर क्या कहता है WHO?
साइप्रस में डेल्टाक्रॉन वेरिएंट मिलने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे लैब में हुई एक तकनीकी गलती बताया था. विश्व स्वास्थ्य संगठन की अधिकारी मारिया वैन करखोव ने पिछले महीने कहा था कि 'कोरोना वायरस के वेरिएंट के लिए डेल्टाक्रॉन, फ्लूरोना, फ्लूरोन जैसे शब्द इस्तेमाल न करें. ये शब्द दो वेरिएंट के संयोजन के संकेत देते हैं और ये नहीं हो रहा है.' हालांकि, अब डेल्टाक्रॉन के मामले सामने के बाद अभी तक WHO ने इसके बारे में कोई अपडेट नहीं दिया है. और, इस पर बहस छिड़ी हुई है. यहां बताना जरूरी है कि अगर डेल्टाक्रॉन कोई वेरिएंट है भी, तो यह इसका आधिकारिक नाम नहीं हो सकता है. क्योंकि, किसी भी वेरिएंट को विश्व स्वास्थ्य संगठन ही आधिकारिक नाम देता है.
कैसे बनते हैं वायरस के नए वेरिएंट?
वैज्ञानिकों की मानें, तो सभी वायरस म्यूटेट होते हैं. कोरोना महामारी फैलाने वाला SARS-CoV2 वायरस भी लगातार अपना रूप बदल रहा है. वायरस में म्यूटेशन इंसान में प्रवेश करने के बाद होता है. शरीर के संक्रमित होने के बाद वायरस कई सारे अन्य वायरस पैदा करता है, इसमें ज्यादा म्यूटेशन होने के कारण यह नया वेरिएंट बन जाता है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो किसी कोरोना संक्रमित मरीज से संक्रमित होने वाला नया व्यक्ति वायरस को म्यूटेट होने में मदद करता है. जिससे मरीज बढ़ते हैं और नए वेरिएंट के सामने आने की संभावना भी बढ़ जाती है.
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