दुनिया के सभी देश कोरोना महामारी से जंग लड़ रहे हैं और लगातार इसे हराने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं, भारत इन दिनों कोरोना वायरस की दूसरी लहर की चपेट में है. कोरोना संक्रमण नये मामलों और इससे होने वाली मौतों से रोज नया रिकॉर्ड बन रहा है. कोविड-19 के संक्रमण के वजह से भारत में स्वास्थ्य सेवाएं ही वेंटिलेटर पर आ गई हैं. मरीजों को अस्पताल में बेड, ऑक्सीजन, जीवनरक्षक दवाइयां तक उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं. भारत में दिन-ब-दिन हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. इन सबके बीच जो चीज सबसे ज्यादा जरूरी नजर आती है, वो है कोरोना वैक्सीन. फिलहाल दुनियाभर में कोरोना की कई वैक्सीन उपलब्ध हैं और कई वैक्सीन बनाने की कोशिशें अभी भी जारी हैं. कई देशों में कोरोना वैक्सीन का टीकाकरण शुरू हो चुका है. भारत में भी कोरोना वैक्सीनेशन ड्राइव जनवरी में शुरू हो गई थी. केंद्र सरकार की नई कोरोना वैक्सीन पॉलिसी के तहत अब भारत में एक मई से 18+ के सभी लोग वैक्सीन लगवा सकेंगे. आइए जानते हैं कि दुनिया के अलग-अलग देशों ने कोरोना वैक्सीन को लेकर क्या पॉलिसी अपनाई है?
इजरायल
इजरायल दुनिया का इकलौता देश है, जहां की सरकार ने घोषणा कर दी है कि अब लोगों को मास्क लगाना जरूरी नहीं है. इजरायल ने देशव्यापी टीकाकरण के सहारे कोरोना को हराने में सफलता हासिल की है. इजरायल केवल इतने पर ही नहीं रुका है, अब वहां अगले छह महीने में फिर से वैक्सीनेशन ड्राइव शुरू होने वाली है, जिसमें 16 साल से कम उम्र के बच्चों को भी शामिल किया जाएगा. इजरायल ने बीते साल दिसंबर में ही देशव्यापी टीकाकरण शुरू कर दिया था. इसके लिए इजरायल ने फाइजर-बायोएनटेक से करार किया था. टीकाकरण में 16 से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को कोरोना वैक्सीन दी गई थी. हालिया आंकड़ों के अनुसार, इजरायल ने अपनी कुल 90 लाख की आबादी में से 80 फीसदी से ज्यादा लोगों का टीकाकरण कर लिया है. इजरायल ने कोरोना वैक्सीन के लिए फाइजर-बायोएनटेक को प्रति डोज 23 यूरो (लगभग 2070 रुपये) चुकाए हैं. जबकि यूरोपियन यूनियन के देशों को यह 12 यूरो (करीब 1080 रुपये) में ही मिल रही है. इजराइल ने वैक्सीन की हर डोज के लिए 23 यूरो इस बात पर चुकाए हैं कि 95 फीसदी लोगों का वैक्सीनेशन पूरा होने तक उसकी सप्लाई किसी भी हाल में नहीं रोकी जाएगी. कोरोना वैक्सीन को लेकर इजराइल की वैक्सीनेशन...
दुनिया के सभी देश कोरोना महामारी से जंग लड़ रहे हैं और लगातार इसे हराने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं, भारत इन दिनों कोरोना वायरस की दूसरी लहर की चपेट में है. कोरोना संक्रमण नये मामलों और इससे होने वाली मौतों से रोज नया रिकॉर्ड बन रहा है. कोविड-19 के संक्रमण के वजह से भारत में स्वास्थ्य सेवाएं ही वेंटिलेटर पर आ गई हैं. मरीजों को अस्पताल में बेड, ऑक्सीजन, जीवनरक्षक दवाइयां तक उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं. भारत में दिन-ब-दिन हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. इन सबके बीच जो चीज सबसे ज्यादा जरूरी नजर आती है, वो है कोरोना वैक्सीन. फिलहाल दुनियाभर में कोरोना की कई वैक्सीन उपलब्ध हैं और कई वैक्सीन बनाने की कोशिशें अभी भी जारी हैं. कई देशों में कोरोना वैक्सीन का टीकाकरण शुरू हो चुका है. भारत में भी कोरोना वैक्सीनेशन ड्राइव जनवरी में शुरू हो गई थी. केंद्र सरकार की नई कोरोना वैक्सीन पॉलिसी के तहत अब भारत में एक मई से 18+ के सभी लोग वैक्सीन लगवा सकेंगे. आइए जानते हैं कि दुनिया के अलग-अलग देशों ने कोरोना वैक्सीन को लेकर क्या पॉलिसी अपनाई है?
इजरायल
इजरायल दुनिया का इकलौता देश है, जहां की सरकार ने घोषणा कर दी है कि अब लोगों को मास्क लगाना जरूरी नहीं है. इजरायल ने देशव्यापी टीकाकरण के सहारे कोरोना को हराने में सफलता हासिल की है. इजरायल केवल इतने पर ही नहीं रुका है, अब वहां अगले छह महीने में फिर से वैक्सीनेशन ड्राइव शुरू होने वाली है, जिसमें 16 साल से कम उम्र के बच्चों को भी शामिल किया जाएगा. इजरायल ने बीते साल दिसंबर में ही देशव्यापी टीकाकरण शुरू कर दिया था. इसके लिए इजरायल ने फाइजर-बायोएनटेक से करार किया था. टीकाकरण में 16 से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को कोरोना वैक्सीन दी गई थी. हालिया आंकड़ों के अनुसार, इजरायल ने अपनी कुल 90 लाख की आबादी में से 80 फीसदी से ज्यादा लोगों का टीकाकरण कर लिया है. इजरायल ने कोरोना वैक्सीन के लिए फाइजर-बायोएनटेक को प्रति डोज 23 यूरो (लगभग 2070 रुपये) चुकाए हैं. जबकि यूरोपियन यूनियन के देशों को यह 12 यूरो (करीब 1080 रुपये) में ही मिल रही है. इजराइल ने वैक्सीन की हर डोज के लिए 23 यूरो इस बात पर चुकाए हैं कि 95 फीसदी लोगों का वैक्सीनेशन पूरा होने तक उसकी सप्लाई किसी भी हाल में नहीं रोकी जाएगी. कोरोना वैक्सीन को लेकर इजराइल की वैक्सीनेशन पॉलिसी दुनियाभर के लिए एक बड़ा सबक है.
रूस
दुनिया में सबसे पहले कोरोना वायरस की वैक्सीन रूस ने ही बनाई थी. इस कोरोना वैक्सीन का नाम स्पूतनिक V रखा गया. रूस ने इस वैक्सीन के लिए दो महीने से भी कम में ह्यूमन ट्रायल्स को पूरा कर लिया था. जिसके बाद वैक्सीन के इस्तेमाल की इजाजत दे दी गई थी. स्पूतनिक V कोरोना वैक्सीन को मॉस्को के गामालेया इंस्टीट्यूट में तैयार किया गया था. रूस ने स्पूतनिक V कोरोना वैक्सीन को सभी जरूरी मंजूरियां मिलने के बाद 18 साल से ऊपर के सभी लोगों के लिए टीकाकरण को शुरू किया था. 14.5 करोड़ से ज्यादा की आबादी वाले रूस में अब तक 63 लाख लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज दी जा चुकी हैं. स्पूतनिक V की पहली डोज ले चुके लोगों की संख्या एक करोड़ से ज्यादा है. रूस ने टीकाकरण की शुरूआत जनवरी में की थी. फिलहाल रूस में स्पूतनिक V के अलावा अभी अन्य कोई वैक्सीन सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है, लेकिन रूसी सरकार ने दो रूसी वैक्सीन EpiVacCorona और CoviVac को भी आपात स्थिति में इस्तेमाल की मंजूरी दी है. इन वैक्सीन के ट्रायल्स होने बाकी हैं.
सऊदी अरब
सऊदी अरब ने एस्ट्राजेनेका वैक्सीन से टीकाकरण शुरू किया था और अब फाइजर की कोरोना वैक्सीन भी इस्तेमाल कर रहा है. सऊदी अरब में 16 से ज्यादा उम्र के सभी लोगों कोरोना की वैक्सीन दी जा रही है. सऊदी अरब में 76 लाख से ज्यादा लोगों को वैक्सीन के डोज दिए जा चुके हैं. यहां वैक्सीन डोज देने का अनुपात हर 100 व्यक्ति पर 22.21 है.
इन देशों के अलावा तुर्कमेनिस्तान, कजाकिस्तान, रोमानिया आदि कुछ छोटे देश और हैं, जिन्होंने अपने यहा 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को वैक्सीन देने की पॉलिसी अपनाई हुई है.
अमेरिका
अमेरिका में कोरोना टीकाकरण के लिए फाइजर-बायोएनटेक, मॉडर्ना, नोवावैक्स और जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है. कुछ समय पहले ही जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन लगने पर ब्लड क्लॉटिंग के मामले सामने आने की वजह से इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है. अमेरिका में बीते साल दिसंबर में ही वैक्सीनेशन शुरू कर दिया गया था. सबसे पहले असुरक्षित और कमजोर वर्ग के लोगों के साथ टीकाकरण की शुरूआत करने वाले अमेरिका में अब 18+ के सभी लोगों को वैक्सीन दी जा रही है. दुनिया में कोरोना से सर्वाधिक मौतें अमेरिका में हुई हैं. यहां जान गंवाने वाले लोगों का आंकड़ा 5.70 लाख है.
ब्राजील
ब्राजील में कोरोना टीकाकरण की शुरुआत जनवरी में हुई थी. यहां टीकाकरण में मुख्य रूप से सभी कमजोर और असुरक्षित वर्ग के लोगों को पहले वैक्सीन दी जा रही है. अन्य देशों की ही तरह इनमें फ्रंटलाइन वर्कर्स, मेडिकल वर्कर्स, बुजुर्ग वगैरह शामिल हैं. ब्राजील में फाइजर, कोरोनावैक (चीनी वैक्सीन), ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका और जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन इस्तेमाल की जा रही है.
चीन
चीन में जनवरी महीने में टीकाकरण की शुरुआत हुई थी. चीनी सरकार ने टीकाकरण के लिए 18 से 59 साल के लोगों को 9 मुख्य ग्रुप्स में बांटकर वैक्सीन दी. जिनमें ट्रांसपोर्ट वर्कर्स, मेडिकल पर्सनल, सोशल वर्कर्स, कस्टम के जांच अधिकारी, पोर्ट पर काम करने वालों, सरकारी विभाग के कर्मचारियों, मेडिकल वर्कर्स, अंतरराष्ट्रीय और घरेलू ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री के लोगों और विदेश जाने वाले लोगों का प्रमुखता से टीकाकरण कराया. चीन में अबतक 192.13 मिलियन लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है. टीकाकरण को सभी लोगों के लिए नहीं शुरू किया गया है. चीन टीकाकरण में अपने देश में बनी हुई वैक्सीन कोरोनावैक ही इस्तेमाल कर रहा है.
फ्रांस
फ्रांस में टीकाकरण की शुरुआत दिसंबर में हुई थी. यहां वैक्सीनेशन के लिए फाइजर, मॉडर्ना, ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका और जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है. फ्रांस में वैक्सीनेशन के लिए 18+ के सभी असुरक्षित और कमजोर वर्ग के लोगों के साथ कुछ अन्य लोगों का भी टीकाकरण किया जा रहा है. यहां अबतक 7.2 फीसदी आबादी को वैक्सीन की दोनों डोज और 19.4 फीसदी आबादी को वैक्सीन की एक डोज लग चुकी है.
क्या हैं वैक्सीन के दाम (प्रति डोज)
- फाइजर-बायोएनटेक लगभग 1500 रुपये (अमेरिका में)
- मॉडर्ना लगभग 2400 रुपये (अमेरिका में)
- ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका लगभग 170 रुपये (अमेरिका में)
- जॉनसन एंड जॉनसन लगभग 750 रुपये (अमेरिका में)
- नोवावैक्स लगभग 1200 रुपये (अमेरिका में)
- कोरोनावैक लगभग 2230 रुपये
- स्पूतनिक V लगभग 750 रुपये
- कोवैक्सीन अभी दाम तय नहीं (विदेश में 1500 रुपये तक)
- कोविशील्ड केंद्र सरकार को 150, राज्य सरकारों को 400 और निजी संस्थानों और अस्पतालों को 600 रुपये
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