3 मार्च 2013 सुबह के करीब पौने पांच बजे फोन की घंटी से नींद टूटी, नींद में बुदबुदाते हुए हैलो कहते ही दूसरी ओर से घबरायी हुई सी आवाज़ आयी ‘अरे उठो, उल्टाडांगा फ्लाइओवर का एक हिस्सा गिर गया है....’ इस घटना को अभी 6 साल भी नहीं बीते हैं कि तीसरी बार फिर कोलकाता में लोगों के पैरों तले से ‘ब्रिज’ खिसकने की ख़बर मिली.
रोज़ाना लाखों लोगों को उनकी मंज़िलों तक पहुंचाने वाले माजेरहाट फ्लाइओवर का एक हिस्सा मंगलवार की शाम करीब 4.45 पर गिर पड़ा. दिल दहला देने वाली हादसे की तस्वीरों को देखकर अंदाज़ा लगाया जा सकता है की हादसा कितना बड़ा था. हादसे में एक बाइक चालक की मृत्यु हो गयी तथा कई घायल हैं, अंदेशा है की मल्बे के नीचे भी कई लोग दबे हो सकते हैं.
प्रतियक्षदर्शियों ने बताया कि फ्लाइओवर गिरने पर बहुत ज़ोर से आवाज़ आयी और उसके झटके से फ्लाइओवर के ऊपर और नीचे की जमीन कांप उठी. घटना के बाद न सिर्फ उक्त इलाके की बल्कि पूरे शहर की यातायात व्यवस्था बुरी तरह चर्मरा गयी और कई जगहों पर लोग घंटों तक ट्रैफिक में फंसे रहे तो कई लोगों को घर पैदल ही कूच करना पड़ा.
घटना के समय राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दार्जिलिंग में थीं जहां उन्होंने घटना पर खेद जताया. घटना की जानकारी मिलते ही घटनास्थल पर शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम पहुंचे और मामले की जांच के आदेश दिए. घटनास्थल पर पहुंचे प्रदेश के राज्यपाल केसरीनाथ त्रीपाठी ने साफ तौर पर फ्लाइओवर की मरम्मत पर सवाल उठाये.
अंग्रेज़ों का बनाया हावड़ा ब्रिज भले ही 75 साल से भी अधिक समय से कोलकाता की शान बनकर तनकर खड़ा है, लेकिन कोलकाता में हाईटेक उपकरणों और हाईटेक विज्ञान से बने पुल एक के बाद एक धराशायी हो रहे...
3 मार्च 2013 सुबह के करीब पौने पांच बजे फोन की घंटी से नींद टूटी, नींद में बुदबुदाते हुए हैलो कहते ही दूसरी ओर से घबरायी हुई सी आवाज़ आयी ‘अरे उठो, उल्टाडांगा फ्लाइओवर का एक हिस्सा गिर गया है....’ इस घटना को अभी 6 साल भी नहीं बीते हैं कि तीसरी बार फिर कोलकाता में लोगों के पैरों तले से ‘ब्रिज’ खिसकने की ख़बर मिली.
रोज़ाना लाखों लोगों को उनकी मंज़िलों तक पहुंचाने वाले माजेरहाट फ्लाइओवर का एक हिस्सा मंगलवार की शाम करीब 4.45 पर गिर पड़ा. दिल दहला देने वाली हादसे की तस्वीरों को देखकर अंदाज़ा लगाया जा सकता है की हादसा कितना बड़ा था. हादसे में एक बाइक चालक की मृत्यु हो गयी तथा कई घायल हैं, अंदेशा है की मल्बे के नीचे भी कई लोग दबे हो सकते हैं.
प्रतियक्षदर्शियों ने बताया कि फ्लाइओवर गिरने पर बहुत ज़ोर से आवाज़ आयी और उसके झटके से फ्लाइओवर के ऊपर और नीचे की जमीन कांप उठी. घटना के बाद न सिर्फ उक्त इलाके की बल्कि पूरे शहर की यातायात व्यवस्था बुरी तरह चर्मरा गयी और कई जगहों पर लोग घंटों तक ट्रैफिक में फंसे रहे तो कई लोगों को घर पैदल ही कूच करना पड़ा.
घटना के समय राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दार्जिलिंग में थीं जहां उन्होंने घटना पर खेद जताया. घटना की जानकारी मिलते ही घटनास्थल पर शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम पहुंचे और मामले की जांच के आदेश दिए. घटनास्थल पर पहुंचे प्रदेश के राज्यपाल केसरीनाथ त्रीपाठी ने साफ तौर पर फ्लाइओवर की मरम्मत पर सवाल उठाये.
अंग्रेज़ों का बनाया हावड़ा ब्रिज भले ही 75 साल से भी अधिक समय से कोलकाता की शान बनकर तनकर खड़ा है, लेकिन कोलकाता में हाईटेक उपकरणों और हाईटेक विज्ञान से बने पुल एक के बाद एक धराशायी हो रहे हैं.
इसके पहले 31 मार्च 2016 में बड़ाबज़ार में निर्माणाधीन फ्लाइओवर का 150 मीटर लंबा हिस्सा ट्रैफिक का बोझ उठाने के पहले ही धराशायी हो गया. इस घटना में 27 लोगों का मौत हुई थी और 80 से ज़्यादा लोग घायल हुए थे. 2010 में फ्लाइओवर का काम पूरा होना था लेकिन कई डेडलाइन बीतने के बाद भी फ्लाइओवर का काम पूरा नहीं हो पाया था. घटना के एक दिन पहले जब मजदूरों ने क्रंक्रीट का मिश्रण फ्लाइओवर के उक्त हिस्से पर डाला तो उन्हें क्रैक होने जैसी आवाज़ आयी थी लेकिन समय रहते इसपर कोई कार्रवाई नहीं की गयी.
अब बात करते हैं उसके भी पहले की घटना यानी उल्टाडांगा फ्लाइओवर के गिरने की, 3 मार्च 2013 की सुबह कोलकाता के इस ‘पुल तोड़’ परंपरा की शुरुआत हुई थी. सुबह के करीब 4.15 बजे ब्रिज का 60 मीटर लंबा घुमावदार हिस्सा अचानक ज़मीदोज़ हो गया. बतौर पत्रकार ये मेरे लिए ऐसी पहली घटना थी.
एक प्रत्यक्षदर्शी जिसकी जान बाल बाल बची थी की आंखोंदेखी भुलाये नहीं भूलती, जिसने नैशनल टेलीविजन पर बेधड़क बताया कि रात भर शराब पीने के बाद जब वह बाइक से घर लौट रहा था तो उसे लगा की ब्रिज का हिस्सा ‘वैनिश’ हो गया है, फिर उसने सोचा की ज़्यादा नशा होने के चलते उसे पुल का हिस्सा दिखायी नहीं दे रहा है, लेकिन जब वह बिल्कुल निकट पहुंचा तो उसने देखा की ‘पुल तो सचमुच ही वैनिश’ हो गया है.
मात्र दो साल पहले यातायात का भार संभालने वाले पुल के गिरते ही सियासत गर्मा गयी. हाल ही में सत्ता की बागडोर संभालने वाले तृणमूल कांग्रेस के शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम जो पत्रकारों और लोगों के बीच ‘बॉबी दा’ के नाम से ज़्यादा प्रसिद्ध हैं, घटना स्थल पर पहुंचे और सीधा लेफ्ट के कर्यकाल में बने ब्रिज की संरचना पर सवाल उठा दिया.
बीच बचाव करते हुए लेफ्ट की सरकार में मंत्री रहे अशोक भट्टाचार्य ने मौजूदा सरकार के रखरखाव पर सवाल उठाया, लेकिन 2011 के चुनाव के पहले आनन फानन में बने ब्रिज का उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के द्वारा करवाने की तत्परता किसने नहीं देखी थी?
कुछ इसी प्रकार कई डेडलाइन मिस करने वाले बड़ाबज़ार के फ्लाइओवर का उद्घाटन भी 2016 के विधानसभा चुनाव के पहले ही होना था.
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