अपनी वैभवपूर्ण जीवन शौली के लिए हमेशा देश विदेश के पर्यटकों के बीच मशहूर लास वेगास शहर में बीते दिन एक संगीत समारोह में हुई गोलीबारी में 58 लोगों की मौत हो गई और 500 से अधिक लोग घायल हुए हैं. घायलों में से कई लोग ऐसे हैं जिनकी हालत गंभीर बताई जा रही है. कहा जा रहा है कि अमेरिका के इतिहास में यह गोलीबारी की अब तक की सबसे घातक घटना है. जिस व्यक्ति ने इस गोलीबारी को अंजाम दिया उसकी पहचान 64 वर्षीय स्टीफन पैडॉक के तौर पर हुई है. पैडॉक, अमेरिका के नेवाडा का निवासी बताया जा रहा है जिसके कमरे से स्थानीय पुलिस की टीम ने 8 से ऊपर अत्याधुनिक हथियार जब्त किये हैं. मिली जानकारी के अनुसार, हमलावर के कमरे से जो हथियार पुलिस द्वारा अपने कब्जे में लिए गए हैं वो ऐसे हथियार हैं जो आज भी कई देशों की सेना और पुलिस तक को नसीब नहीं हैं.
जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. अमेरिका में आम लोगों द्वारा हथियार रखने या फिर अमेरिका में हथियार की खरीद फरोख्त पर जब हमने जानकारी जुटाने की कोशिश की तो जानकारियां निकल के सामने आईं वो हैरत में डालने वाली थीं. अमेरिका में हथियार खरीदना वैसा ही है जैसा भारत में गली- मुहल्ले में सिम खरीदना. बात आगे समझने से पहले एक दृश्य की कल्पना कर के देखिये.
दृश्य ये है कि, आप अपने परिवार के साथ, या फिर अकेले किसी स्थानीय सुपर मार्केट में घर का रोज मर्रा का जरूरी सामान लेने गए हैं. अपना सामान कार्ट में डालकर आप बिलिंग काउंटर पर अपनी बारी का इन्तेजार कर रहे हैं. आपके सामने एक अन्य व्यक्ति खड़ा है और वो अपनी बिलिंग करा रहा है. जो व्यक्ति खड़ा है वो कार्ट से रिन साबुन, गोल्डी मसाले, चिंग्स का सूप, मैगी के पैकेट और एक एलएमजी और कुछ कारतूस निकालता है. सामने बिलिंग...
अपनी वैभवपूर्ण जीवन शौली के लिए हमेशा देश विदेश के पर्यटकों के बीच मशहूर लास वेगास शहर में बीते दिन एक संगीत समारोह में हुई गोलीबारी में 58 लोगों की मौत हो गई और 500 से अधिक लोग घायल हुए हैं. घायलों में से कई लोग ऐसे हैं जिनकी हालत गंभीर बताई जा रही है. कहा जा रहा है कि अमेरिका के इतिहास में यह गोलीबारी की अब तक की सबसे घातक घटना है. जिस व्यक्ति ने इस गोलीबारी को अंजाम दिया उसकी पहचान 64 वर्षीय स्टीफन पैडॉक के तौर पर हुई है. पैडॉक, अमेरिका के नेवाडा का निवासी बताया जा रहा है जिसके कमरे से स्थानीय पुलिस की टीम ने 8 से ऊपर अत्याधुनिक हथियार जब्त किये हैं. मिली जानकारी के अनुसार, हमलावर के कमरे से जो हथियार पुलिस द्वारा अपने कब्जे में लिए गए हैं वो ऐसे हथियार हैं जो आज भी कई देशों की सेना और पुलिस तक को नसीब नहीं हैं.
जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. अमेरिका में आम लोगों द्वारा हथियार रखने या फिर अमेरिका में हथियार की खरीद फरोख्त पर जब हमने जानकारी जुटाने की कोशिश की तो जानकारियां निकल के सामने आईं वो हैरत में डालने वाली थीं. अमेरिका में हथियार खरीदना वैसा ही है जैसा भारत में गली- मुहल्ले में सिम खरीदना. बात आगे समझने से पहले एक दृश्य की कल्पना कर के देखिये.
दृश्य ये है कि, आप अपने परिवार के साथ, या फिर अकेले किसी स्थानीय सुपर मार्केट में घर का रोज मर्रा का जरूरी सामान लेने गए हैं. अपना सामान कार्ट में डालकर आप बिलिंग काउंटर पर अपनी बारी का इन्तेजार कर रहे हैं. आपके सामने एक अन्य व्यक्ति खड़ा है और वो अपनी बिलिंग करा रहा है. जो व्यक्ति खड़ा है वो कार्ट से रिन साबुन, गोल्डी मसाले, चिंग्स का सूप, मैगी के पैकेट और एक एलएमजी और कुछ कारतूस निकालता है. सामने बिलिंग करने वाला व्यक्ति मुस्कुराते हुए, उसका स्वागत करता है और सामान के अलावा एलएमजी और कारतूसों का बार कोड स्कैन करता है व्यक्ति उसे अपने झोले में डालता है और चला जाता है.
या फिर कुछ ऐसा कि, आप बिग बाजार या वेस्ट साइड में अभी एन्टर हुए हों और आपको दिखे कि पहले ही काउंटर पर तमाम तरह के छोटे बड़े असलहे रखे हैं जिनपर किसी त्योहार के मद्देनजर भारी डिस्काउंट हो. शायद ये सब सुनकर आपको थोड़ा अजीब लगे मगर अमेरिका की सच्चाई यही है. अमेरिका में वॉल मार्ट से लेकर स्थानीय सुपर मार्केट और खेल खिलौनों की दुकानों से लेकर शराब और सिगार की दुकानों तक आप कहीं से भी हथियार खरीद सकते हैं और इस खरीद फरोख्त की इजाजत बकायदा आपको अमेरिका का संविधान देता है. ज्ञात हो कि अमेरिका का कानून अपने नागरिकों की सुरक्षा के प्रति बहुत गंभीर है. साथ ही वो उन्हें इस बात की भी इजाजत देता है कि वो भी अपनी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखें जिसके लिए वो चाहे साधारण हों या फिर अत्याधुनिक वो हथियार खरीद कर उनका इस्तेमाल कर सकते हैं.
खैर, आइये इस आर्टिकल के जरिये जानें कि वो कौन- कौन सी शर्तें हैं जिनको पूरा करने के बाद में ही अमेरिका में किसी नागरिक को मिलती है शस्त्र रखने की इजाजत.
किया जाता है बैक ग्राउंड चेक
यदि कोई अमेरिकन व्यक्ति किसी स्टोर से शस्त्र खरीद रहा है तो उसे अपना बैकग्राउंड चेक कराना होता है. इसके लिए खरीदने वाले व्यक्ति को एटीएफ, द फेडेरल ब्यूरो ऑफ अल्कोहल, तम्बाकू, आग्नेयास्त्रों और विस्फोटक दुकानों की तरफ से एक फॉर्म दिया जाता है. इस फॉर्म के अंतर्गत व्यक्ति को अपना नाम, पता. जन्मस्थान, जाति और नागरिकता लिखनी होती है.
फॉर्म में होते हैं कुछ मामूली से सवाल
इसके अलावा फॉर्म में और भी चंद वैकल्पिक प्रश्न होते हैं. जैसे -
1 - क्या आपको कभी किसी अपराध का दोषी पाया गया है?
2 - क्या आपको कभी घरेलू हिंसा का दोषी पाया गया है?
3 - क्या आपको नशे की लत है? क्या आप अवसाद दूर करने के लिए मारिजुआना या किसी अन्य ड्रग या किसी अन्य नियंत्रित पदार्थ का इस्तेमाल करते हैं?
4 - क्या आप पर न्यायालय से कभी दोषी करार हुए हैं?
5 - क्या आप कभी किसी पागलखाने में भर्ती हुए हैं?
इन प्रश्नों का उत्तर देकर आपको फॉर्म स्टोर में जमा करना होता है. फॉर्म को एफबीआई के पास जांच के लिए भेजा जाता है और ऐसा मुश्किल ही है कि एफबीआई किसी के आवेदान को खारिज कर दे. एफबीआई की वेबसाईट पर मौजूद आंकड़ों पर नजर डालें तो मिलता है कि, अमेरिका में पिछले 10 वर्षों में करीब 10 करोड़ लोगों ने शस्त्र खरीदने के लिए आवेदन किया है जिसमें केवल 7 लाख फॉर्म अलग-अलग कारणों से निरस्त हुए.
गौरतलब है कि निजी स्टोर के अलावा व्यक्ति गन शो से हथियार खरीद रहा है तो उसका किसी भी तरह का कोई बैक ग्राउंड चेक नहीं होता और सस्ती से लेकर महंगी तक व्यक्ति जैसी भी चाहे वैसी बंदूक यहां से खरीद सकता है और उसका इस्तेमाल कर सकता है.
इन बातों के बाद एक बात तो साफ है कि जिस तरह हम भारतीय बाजार से सिम खरीदते हैं वैसे ही अमेरिका का व्यक्ति अपने देश में हथियार खरीदता है. ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि जितनी जांच पड़ताल में अमेरिका के नागरिक को अपने देश में असलहा मिल जाता है उससे अधिक की जांच पड़ताल में हमारे देश में एक आम नागरिक को कंट्रोल से चीनी और मिट्टी का तेल मिलता है.
अंत में इतना कि अमेरिका में जो हुआ वो वाकई शर्मनाक और इंसानियत पर बड़ा हमला है मगर देखा जाए तो इसके लिए वहां की सरकार ही जिम्मेदार है. ऐसा इसलिए क्योंकि जिस आसानी से वो अपने देश में हथियार बांट रही है उससे कोई भी उसे खरीदेगा और इस तरह इस्तेमाल करके इंसानियत का हनन करेगा.
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