भारत में किसी भी मैच से पहले सट्टेबाज़ों पर लगाम लगाने की बात हमेशा कही जाती है. हमेशा पुलिस और कानून का शिकंजा उनपर कसा हुआ रहता है. सट्टेबाज़ी का कानूनी पेंच इतना मजबूत है कि सलमान खान के भाई अरबाज़ खान भी इस पचड़े में फंस गए. अब सट्टेबाज़ों को मोदी सरकार की तरफ से एक तोहफा मिलने वाला है.
विधि आयोग यानी लॉ कमिशन ने अब सट्टेबाज़ी को लीगल करने की बात कही है. ये नियम सभी खेलों पर लागू करने की बात कही जा रही है. लॉ कमिशन का कहना है कि मैच फिक्सिंग और चीटिंग के लिए कड़े नियम होने चाहिए, लेकिन सट्टेबाज़ी के लिए नए नियम होने चाहिए क्योंकि इसपर पूरी तरह से बैन काम नहीं कर रहा है. लॉ कमिशन का कहना है कि सट्टेबाज़ी को टैक्स के दायरे में लाना चाहिए इससे रेवेन्यू तो मिलेगा साथ ही FDI के लिहाज से भी मदद मिलेगी.
सट्टेबाज़ी पर अगर कानूनी नियम बना दिए गए तो इससे न सिर्फ केंद्र सरकार बल्की राज्य सरकार को भी फायदा होगा. इस मॉडल को पूरी तरह से नियंत्रित बनाना होगा.
क्या सुझाव थे कमिशन के?
- कमिशन ने कहा कि सट्टेबाज़ी को कैशलेस किया जा सकता है जिससे गैरकानूनी गतिविधियों को रोका जा सकेगा और इससे पैसा कमाने वालों पर नियंत्रण रखा जा सकेगा. इसी के साथ, आधार कार्ड या पैन कार्ड लिंक करने से उन लोगों पर नजर रखी जा सकेगी जो इस काम को कर रहे हैं.
- सट्टेबाज़ों के लिए एक लिमिट तय की जा सकती है कि इस तरह के ट्रांजैक्शन एक इंसान तय अवधि तक ही कर सकता है, जैसे साल में दो बार, महीने में एक बार या ऐसा कोई भी नियम बनाया जा सकता है.
- जो लोग वयस्क नहीं है, इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आते हैं या फिर GST एक्ट के दायरे में भी नहीं आते हैं उन्हें इस तरह की सट्टेबाज़ी से दूर रखा जाना चाहिए. ये तभी होगा जब सट्टेबाज़ी का कोई तय नियम...
भारत में किसी भी मैच से पहले सट्टेबाज़ों पर लगाम लगाने की बात हमेशा कही जाती है. हमेशा पुलिस और कानून का शिकंजा उनपर कसा हुआ रहता है. सट्टेबाज़ी का कानूनी पेंच इतना मजबूत है कि सलमान खान के भाई अरबाज़ खान भी इस पचड़े में फंस गए. अब सट्टेबाज़ों को मोदी सरकार की तरफ से एक तोहफा मिलने वाला है.
विधि आयोग यानी लॉ कमिशन ने अब सट्टेबाज़ी को लीगल करने की बात कही है. ये नियम सभी खेलों पर लागू करने की बात कही जा रही है. लॉ कमिशन का कहना है कि मैच फिक्सिंग और चीटिंग के लिए कड़े नियम होने चाहिए, लेकिन सट्टेबाज़ी के लिए नए नियम होने चाहिए क्योंकि इसपर पूरी तरह से बैन काम नहीं कर रहा है. लॉ कमिशन का कहना है कि सट्टेबाज़ी को टैक्स के दायरे में लाना चाहिए इससे रेवेन्यू तो मिलेगा साथ ही FDI के लिहाज से भी मदद मिलेगी.
सट्टेबाज़ी पर अगर कानूनी नियम बना दिए गए तो इससे न सिर्फ केंद्र सरकार बल्की राज्य सरकार को भी फायदा होगा. इस मॉडल को पूरी तरह से नियंत्रित बनाना होगा.
क्या सुझाव थे कमिशन के?
- कमिशन ने कहा कि सट्टेबाज़ी को कैशलेस किया जा सकता है जिससे गैरकानूनी गतिविधियों को रोका जा सकेगा और इससे पैसा कमाने वालों पर नियंत्रण रखा जा सकेगा. इसी के साथ, आधार कार्ड या पैन कार्ड लिंक करने से उन लोगों पर नजर रखी जा सकेगी जो इस काम को कर रहे हैं.
- सट्टेबाज़ों के लिए एक लिमिट तय की जा सकती है कि इस तरह के ट्रांजैक्शन एक इंसान तय अवधि तक ही कर सकता है, जैसे साल में दो बार, महीने में एक बार या ऐसा कोई भी नियम बनाया जा सकता है.
- जो लोग वयस्क नहीं है, इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आते हैं या फिर GST एक्ट के दायरे में भी नहीं आते हैं उन्हें इस तरह की सट्टेबाज़ी से दूर रखा जाना चाहिए. ये तभी होगा जब सट्टेबाज़ी का कोई तय नियम होगा.
- कमिशन का ये भी कहना है कि भारत के फॉरेन एक्सचेंज लॉ और FDI पॉलिसी में थोड़ा बदलाव किया जाना चाहिए जिससे कसीनो और ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री में निवेश बढ़ सके.
- कमिशन का कहना है कि अगर FDI को सट्टेबाज़ी में निर्धारित कर दिया जाता है तो उन राज्यों को फायदा होगा जो कसीनो आदि को परमिट करते हैं. इससे न सिर्फ टूरिज्म बढ़ेगा बल्कि बाकी कई मामलों में राज्यों को फायदा होगा. ये राज्य ज्यादा रेवेन्यू पा सकते हैं और नौकरी के ज्यादा अवसर निकल सकते हैं.
- पैनल का ये भी कहना था कि वो वेबसाइट्स जो ऑनलाइन सट्टेबाज़ी को बढ़ावा देती हैं उन्हें किसी भी तरह का विवादित या पोर्नोग्राफिक कंटेंट अपने प्लेटफॉर्म पर नहीं रखना होगा.
- एक चेतावनी के तहत सट्टेबाज़ी करने वाले लोगों को ये जानकारी दी जानी चाहिए कि इससे जुड़े खतरे क्या हैं और क्या नुकसान हो सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने लॉ कमिशन को 2013 में सट्टेबाज़ी को वैध करने के तरीके ढूंढने को कहा था. आपको बता दें कि 2013 में IPL स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाज़ी का बड़ा मामला सामने आया था. 2013 की फेडरेशन ऑफ इंडियन चेंबर्स ऑफ कॉमर्स (FICCI) की रिपोर्ट के मुताबिक सट्टेबाज़ी का कारोबार 3 लाख करोड़ का है और ये अभी भारत में गोवा, दमन और सिक्किम में कुछ सख्त नियमों के साथ लीगल है.
लॉ कमिशन ने सट्टेबाज़ी को कानूनी बनाने की पैरवी तो कर ली है और इसके नियम आर्टिकल 249 और 252 के तहत बनाने की सलाह दी गई है. साथ ही ये भी कहा गया है कि सरकार इस बात का ध्यान रखे कि किस तरह के लोग कैसी बेटिंग कर पाएं. कम तनख्वाह वाले लोग ज्यादा पैसा लगाने से बचें.
अगर सरकार इस धंधे को लीगल कर देती है तो यकीनन रेवेन्यू के लिहाज से तो बहुत बड़ी बात होगी. यकीनन इससे रोजगार बढ़ेगा, पैसा सिस्टम में आएगा और टूरिज्म भी बढ़ेगा, साथ ही जो सट्टेबाज़ी का गैरकानूनी धंधा हो रहा है उसपर लगाम लगाई जा सकेगी. पर अगर कोई भी गड़बड़ हुई तो नुकसान भी बहुत ज्यादा होगा.
अगर सरकार इसे कानूनी करने का सोच रही है तो यकीनन बहुत से दांव-पेंच देखने होंगे. आज तक सरकार की ऐसी कोई स्कीम नहीं रही है जिसमें करप्शन न हुआ हो फिर सट्टेबाज़ी तो अपने आप में करप्शन की जड़ बन सकता है.
यह कह पाना मुश्किल है कि सट्टेबाजी को कानूनी बना देने से फिक्सिंग पर लगाम कैसे लग जाएगी. हालांकि, कमेटी ने अपनी सिफारिशों में साफ तौर पर कहा है कि बेटिंग को लीगल बनाने के लिए जरूरी है कि क्रिकेट की संचालन संस्था ये सुनिश्चित करे कि कोई भी क्रिकेट खिलाड़ी और अधिकारी इसमें शामिल न हो पाने पाए. लेकिन सवाल तो है कि जिस देश में आज भी हर साल हजारों करोड़ की लॉटरी के टिकट बिक जाते हैं वहां अगर क्रिकेट में सट्टेबाजी को लीगल कर दिया गया तो लोग उसमें जमकर हिस्सा नहीं लेने लगेंगे.
भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता को देखते हुए डर इस बात का है कि इस पर सट्टा लगाने वालों की बाढ़ आ जाएगी. खासकर युवा वर्ग और गरीब तबके द्वारा अपने पैसे सट्टे में झोंकने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी, जिसे किसी भी लिहाज से अच्छा कतई नहीं कहा जा सकता है. साथ ही सट्टेबाजी के कानूनी होने पर इसका लाइसेंस हासिल करने की होड़ मच जाएगी और फिर बड़ी-बड़ी कंपनियां भी मुनाफे के चक्कर में इससे जुड़ेंगी और अरबों रुपये की बेटिंग इंडस्ट्री हो जाएगी. जहां जितना ज्यादा पैसा होता है उतना ही लालच भी होता है, तो जाहिर सी बात है कि ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने की चाह में बड़े सट्टेबाज मनचाहे परिणाम पाने के लिए मैचों को फिक्स करने की कोशिश करेंगे यानी फिक्सिंग का डर खत्म नहीं होगा बल्कि और बढ़ जाएगा.
यकीनन सरकार अपने हिसाब से पॉलिसी डिजाइन कर सकती है, लेकिन एक बात तो साफ है कि हर अच्छी चीज़ का बुरा इस्तेमाल भारत में आसानी से हो जाता है और जुगाड़ लगाने वाले लोगों के लिए सट्टेबाज़ी जैसी चीज के वैध रूप से अवैध कारोबार करना बहुत आसान भी हो सकता है.
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