जम्मू और कश्मीर में इस समय एक बड़ा विवाद छिड़ा हुआ है. श्रीनगर में चुनाव के दिन सेना के एक अधिकारी ने एक कथित पत्थरबाज़ को अपनी गाड़ी के बोनेट पर बांधकर पत्थरबाज़ो के बीच घुमाया और चेतावनी दी कि बाकियों के साथ भी ऐसा ही किया जाएगा. इसको लेकर खासा बवाल है. सेना ने तथ्य जानने के लिए जांच शुरू भी कर दी है कि आखिर किन परिस्थितियों में सेना के अधिकारी ने ऐसा कदम उठाया. प्रारंभिक जांच के आधार पर जो तथ्य सामने आए हैं वो कुछ इस प्रकार हैं. सेना की इस क्विक रिएक्शन टीम यानी क्यू आर टी को उस समय बंडगाम बुलाया गया जब 500 से अधिक पत्थरबाज़ो नें पोलिंग अधिकारियों को घेर लिया था. पुलिस और अर्धसैनिक बल के केवल 12 सदस्य थे.
किंतु इसका दूसरा पहलू यह भी है कि एक भी गोली नहीं चली और एक भी पत्थरबाज़ घायल...
जम्मू और कश्मीर में इस समय एक बड़ा विवाद छिड़ा हुआ है. श्रीनगर में चुनाव के दिन सेना के एक अधिकारी ने एक कथित पत्थरबाज़ को अपनी गाड़ी के बोनेट पर बांधकर पत्थरबाज़ो के बीच घुमाया और चेतावनी दी कि बाकियों के साथ भी ऐसा ही किया जाएगा. इसको लेकर खासा बवाल है. सेना ने तथ्य जानने के लिए जांच शुरू भी कर दी है कि आखिर किन परिस्थितियों में सेना के अधिकारी ने ऐसा कदम उठाया. प्रारंभिक जांच के आधार पर जो तथ्य सामने आए हैं वो कुछ इस प्रकार हैं. सेना की इस क्विक रिएक्शन टीम यानी क्यू आर टी को उस समय बंडगाम बुलाया गया जब 500 से अधिक पत्थरबाज़ो नें पोलिंग अधिकारियों को घेर लिया था. पुलिस और अर्धसैनिक बल के केवल 12 सदस्य थे.
किंतु इसका दूसरा पहलू यह भी है कि एक भी गोली नहीं चली और एक भी पत्थरबाज़ घायल नहीं हुआ. तो सवाल है कि क्या आतंक के खिलाफ युद्ध पर मर्यादा में रह कर विजय पाई जा सकती है ? और क्या यह उचित है कि पत्थरबाज़ों और आतंकियों पर तो कोई नियम न लागू हो लेकिन, सुरक्षा बल अपने प्राणों की आहुति देते रहे ? कश्मीर घाटी में इस समय युद्ध चल रहा है. एक तरफ आतंकी पत्थरबाज़ो की आड़ लेकर सुरक्षा बलों पर हमला कर रहे हैं और दूसरी तरफ सेना पर दबाव बनाया जा रहा है कि सेना लीक से हट कर काम न करे.
अपनी शक्ति के घमंड में चूर बाली ने अपने छोटे भाई सुग्रीव की पत्नी को छीन लिया था, ऐसे में उसका वध करने के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने भी छुप कर उन पर वार किया था. यह युद्ध नियम के विरुद्ध था, किंतु पाप का अंत भी तो आवश्यक था. इसलिए यह धर्म कहलाया. इसी प्रकार महाभारत में जब अभिमन्यु की मृत्यु का बदला लेने के लिए अर्जुन ने जयद्रथ को सूर्यास्त से पहले खत्म करने का वचन दिया तो वह कहीं जाकर छुप गया. उसे अर्जुन के सामने लाने के लिए योगेश्वर श्री कृष्ण ने सूर्य को बादलों से ढक दिया. सांझ जानकर अर्जुन ने हथियार डाल दिए और दिए गए वचन के मुताबिक चिता की ओर बढ़े. अर्जुन को चिता में जलता देखने के लिए जयद्रथ भी सामने आ गया.
तो श्री कृष्ण ने सूर्य के सामने से फिर बादल हटा दिए और अर्जुन को उनकी प्रतिज्ञा याद करवाते हुए अपना धर्म पालन करने का आदेश दिया और इस तरह जयद्रथ मारा गया. इसी प्रकार गुरु द्रोण को मार्ग से हटाने के लिए भी अश्वत्थामा हाथी का वध कर युधिष्ठर ने अर्धसत्य का सहारा लिया गया. समाज और राष्ट्र के हित में क्या है- आतंक और पत्थरबाज़ी या फिर इन दोनों से छुटकारा. इसके लिए सेना और सरकार को जो कदम उठाने की आवश्यकता है, उन्हें नि:संकोच उठाने चाहिए. इतिहास इस बात का न्यायधीश होगा कि यह कदम सही थे या नहीं. ये बाद विवादास्पद ज़रूर है किंतु देश हित सर्वोपरि सदैव होना चाहिए. और जो लोग यह कहते है कि लोगों को साथ लेकर चलना चाहिए वो ये भी समझें कि लोगों को भी देश के साथ चलने का प्रयास करना चाहिए.
कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है- कुछ लोग इस बात को नहीं मानते. उनको समझाने की आवश्यकता है. अगर वो प्रजातंत्र में रह कर इसका विरोध लोकतात्रिक तरीके से करे तो सही. लेकिन अगर वो हथियार या पत्थर उठाते हैं तो सुरक्षा बलों को कानून का राज स्थापित करने के लिए जो कदम उठाना सही लगे उठाना चाहिए.
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