अक्सर लड़कियों को जल्दी शादी करने की सलाह दी जाती है. भारत में ही नहीं ये प्रथा पूरी दुनिया में ही है जहां लड़कियों को उनकी Biological Clock की याद दिलाई जाती है. ज्यादा देर करने पर उन्हें फ्यूचर प्लानिंग की दुहाई दी जाती है. 30 पार करना तो लड़कियों के लिए बेहद दुखदाई बन जाता है. जहां एक ओर बायोलॉजिकल क्लाक की याद रिश्तेदार-परिवार तो दिलाते ही हैं वहीं दूसरी ओर इंटरनेट पर भी इसके बारे में पढ़ने पर अक्सर एक ही तरह के आर्टिकल सामने आते हैं कि ज्यादा उम्र में शादी करने से लड़कियों को फैमिली प्लानिंग में परेशानी होती है. हालांकि, इसमें लड़कों को लेकर कुछ नहीं कहा जाता है. क्या लड़कों के लिए भी कोई बायोलॉजिकल क्लॉक होती है? इसका जवाब शायद अब आसानी से मिल जाए क्योंकि एक रिसर्च ये साबित कर चुकी है कि पुरुषों के लिए भी जैविक घड़ी यानी बायोलॉजिकल क्लॉक उतनी ही महत्वपूर्ण होती है.
आज की जीवनशैली कुछ ऐसी हो गई है जहां पुरुष भी लेट बच्चे पैदा करने के बारे में सोचते हैं. फिलहाल एक एवरेज निकाला जाए तो अब पुरुष 33.3 साल की उम्र में पिता बन रहे हैं जो 2013 में 32.9 साल था. यहीं 10% पुरुष 40-44 की उम्र में पिता बन रहे हैं और 5.1% पुरुष 45 साल की उम्र के बाद पिता बन रहे हैं. fertility campaign group Progress Educational Trust की डायरेक्टर सारा नॉर्क्रास के मुताबिक कई रिसर्च ये बता चुकी हैं कि एक 40 साल का पुरुष 50% कम फर्टाइल होता है अगर उसकी तुलना 25 साल के पुरुष से की जाए तो.
पुरुषों की Biological Clock इसलिए होती है खतरनाक-
सारा के अनुसार अगर पुरुष ज्यादा उम्र में पिता बनना चाहें तो इसकी संभावनाएं बहुत बढ़ जाती हैं कि उनकी पार्टनर का गर्भपात हो जाए. इसी के साथ, रिसर्च ये भी बताती है कि बड़ी उम्र में जो पुरुष पिता बनते हैं उनके बच्चों के साथ कई दिक्कतें हो सकती हैं इसमें प्रीटर्म बच्चा पैदा होना, स्कित्जोफ्रेनिया होना या बच्चे के ऑटिस्टिक होने की संभावनाएं होती हैं. भले ही पुरुषों की उम्र के साथ उनके स्पर्म काउंट को लेकर...
अक्सर लड़कियों को जल्दी शादी करने की सलाह दी जाती है. भारत में ही नहीं ये प्रथा पूरी दुनिया में ही है जहां लड़कियों को उनकी Biological Clock की याद दिलाई जाती है. ज्यादा देर करने पर उन्हें फ्यूचर प्लानिंग की दुहाई दी जाती है. 30 पार करना तो लड़कियों के लिए बेहद दुखदाई बन जाता है. जहां एक ओर बायोलॉजिकल क्लाक की याद रिश्तेदार-परिवार तो दिलाते ही हैं वहीं दूसरी ओर इंटरनेट पर भी इसके बारे में पढ़ने पर अक्सर एक ही तरह के आर्टिकल सामने आते हैं कि ज्यादा उम्र में शादी करने से लड़कियों को फैमिली प्लानिंग में परेशानी होती है. हालांकि, इसमें लड़कों को लेकर कुछ नहीं कहा जाता है. क्या लड़कों के लिए भी कोई बायोलॉजिकल क्लॉक होती है? इसका जवाब शायद अब आसानी से मिल जाए क्योंकि एक रिसर्च ये साबित कर चुकी है कि पुरुषों के लिए भी जैविक घड़ी यानी बायोलॉजिकल क्लॉक उतनी ही महत्वपूर्ण होती है.
आज की जीवनशैली कुछ ऐसी हो गई है जहां पुरुष भी लेट बच्चे पैदा करने के बारे में सोचते हैं. फिलहाल एक एवरेज निकाला जाए तो अब पुरुष 33.3 साल की उम्र में पिता बन रहे हैं जो 2013 में 32.9 साल था. यहीं 10% पुरुष 40-44 की उम्र में पिता बन रहे हैं और 5.1% पुरुष 45 साल की उम्र के बाद पिता बन रहे हैं. fertility campaign group Progress Educational Trust की डायरेक्टर सारा नॉर्क्रास के मुताबिक कई रिसर्च ये बता चुकी हैं कि एक 40 साल का पुरुष 50% कम फर्टाइल होता है अगर उसकी तुलना 25 साल के पुरुष से की जाए तो.
पुरुषों की Biological Clock इसलिए होती है खतरनाक-
सारा के अनुसार अगर पुरुष ज्यादा उम्र में पिता बनना चाहें तो इसकी संभावनाएं बहुत बढ़ जाती हैं कि उनकी पार्टनर का गर्भपात हो जाए. इसी के साथ, रिसर्च ये भी बताती है कि बड़ी उम्र में जो पुरुष पिता बनते हैं उनके बच्चों के साथ कई दिक्कतें हो सकती हैं इसमें प्रीटर्म बच्चा पैदा होना, स्कित्जोफ्रेनिया होना या बच्चे के ऑटिस्टिक होने की संभावनाएं होती हैं. भले ही पुरुषों की उम्र के साथ उनके स्पर्म काउंट को लेकर समस्याएं होने लगती हैं, लेकिन फर्टिलिटी को हमेशा महिलाओं की समस्या को रूप में ही देखा जाता है.
रिसर्च कहती है कि पुरुष फर्टिलिटी को न तो पुरुष न ही उसकी पार्टनर को इग्नोर करना चाहिए. The Human Fertilisation and Embryology Authority के पिछले साल के डेटा के अनुसार K में जितने भी जोड़े फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के लिए आते हैं उसमें से आधे पुरुष फर्टिलिटी की समस्या से जूझ रहे होते हैं.
रिसर्च के हिसाब से ये आसान नहीं होता है बता पाना कि क्यों पुरुषों की फर्टिलिटी कम हो गई है, इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे ज्यादा शराब या सिगरेट पीना, हार्मोन में गड़बड़ी या जिनेटिक समस्याएं, लेकिन उम्र एक बहुत बड़ा कारण हो सकती है.
Create Fertility clinics की फाउंडर और मेडिकल डायरेक्टर प्रोफेसर गीता नार्गुंड कहती हैं कि पुरुष सेलेब्स जब 50-60 साल में पिता बनते हैं तो उनकी मीडिया रिपोर्ट देखकर कई लोगों को ये गलतफहमी हो जाती है कि पुरुषों की फर्टिलिटी हमेशा वैसी ही रहती है पर ये सही नहीं है. ऐसा हो सकता है कि फर्टिलिटी की समस्या पुरुषों में हो, हां महिलाओं की तुलना में ये कम होती है, लेकिन समस्या तो होती ही है.
कई बार लोगों को इसका अंदाजा ही नहीं होता कि पुरुष इनफर्टिलिटी की समस्या कितनी गंभीर हो सकती है. अधिकतर जोड़ों को लगता है कि महिलाओं को ही फर्टिलिटी ट्रीटमेंट की जरूरत होगी. अगर पुरुषों को फर्टिलिटी की समस्या से बचना है तो उन्हें अपनी जीवनशैली में बहुत बदलाव करना होगा. इसमें सिगरेट-शराब से लेकर कई बीमारियों के लिए ली जाने वाली दवाइयां भी जिम्मेदार हो सकती हैं. ये बीमारियां भी स्पर्म पर गलत तरीके से असर डाल सकती हैं.
अगर किसी को STD हो गया है तो उसका इलाज करवाना जरूरी है, लेकिन क्या हो अगर पुरुष इसके बारे में सोचे ही नहीं. अगर वो जांच ही न करवाएं तो? जीवनशैली में बदलाव एक्सरसाइज को लेकर भी जरूरी है. इसमें BMI को 20-25 रखना जरूरी है.
सही खाना, सही मिनरल, विटामिन, एंटीऑक्सिडेंट्स बहुत जरूरी हैं. हालांकि, फर्टिलिटी के लिए कोई खास डायट किसी भी रिसर्च ने नहीं बताया है बस इसके लिए स्वस्थ्य जीवनशैली का होना जरूरी है. इसी के साथ, शरीर का तापमान भी बहुत असर डालता है. स्पर्म के लिए 34.5 डिग्री सही तापमान होता है. जब्कि शरीर का तापमान 37 डिग्री तक होता है और ऐसे में अगर बढ़ती उम्र के साथ ऐसी एक्टिविटी की जाए जो तापमान बढ़ा दे तो ये समस्या हो सकती है. ऐसे में ज्यादा बॉडी बनाने वाले लोगों को भी तकलीफ हो सकती है.
पुरुषों को इस उम्र में सोचना चाहिए होने वाले बच्चे के भविष्य के बारे में-
Rutgers niversity की एक स्टडी बताती है कि पुरुष अगर चाहते हैं कि उनका बच्चा स्वस्थ्य रहे और वो ज्यादा उम्र में पिता बनना चाहते हैं तो इसके लिए उन्हें 30 साल की उम्र से ही अपने स्पर्म का ख्याल रखना होगा और 35 तक इसे सहेजने के बारे में सोचना होगा. फर्टिलिटी इंडस्ट्री में महिलाओं को अंडाणु सहेजने की होड़ लगनी शुरू हो गई है, लेकिन पुरुषों को भी ये सोचना होगा.
लगभग हर शहर में कुकुरमुत्ते की तरह बढ़ रहे फर्टिलिटी क्लीनिक ये बात साफ करते हैं कि महिलाओं को ही नहीं पुरुषों को भी ये समस्याएं घेर रही हैं, लेकिन समाज की सामाजिकता ये कहती है कि ऐसा ट्रीटमेंट सिर्फ महिलाओं को ही करवाना होता है. ये भ्रांति कई लोगों में होती है और महिलाओं को कई तरह की सलाह भी दी जाती है, कई दर्दनाक ट्रीटमेंट भी झेलने होते हैं, लेकिन समझ से परे ये है कि पुरुष कई बार इसे मानना भी नहीं चाहते कि उनके साथ भी समस्या हो सकती है. ये धारणा अब तो विज्ञान ने भी गलत साबित कर दी है.
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