नाम (name) में क्या रखा है? ये कहने वाले आज समझ जाएं कि नाम में ही सब रखा है. दुनिया में लोग नाम के लिए ही मरते हैं. ऐस में अगर कोई आपका नाम गलत तरीके से पुकारे तो आपको कैसा लगेगा? शायद आप एक-दो बार हंस कर टाल देंगे लेकिन तीसरी बार आपको बुरा जरूर लग जाएगा. शायद आप उसे गुस्से में सुना भी दें लेकिन एक शख्स ऐसा है जिसका नाम हमेशा के लिए बदनाम हो गया. बेचारे ने कुछ गलत काम भी नहीं किया लेकिन उसका नाम ही ऐसा है कि उसे झेलने के सिवा उसके पास और कोई चारा नहीं है.
असल में नाम हमारी पहचान होती है. हमें किसी को बुलाना होता है तो हम उसके नाम से बुलाते हैं. सोचिए इस महामारी के समय में अगर किसी का नाम कोविड कपूर (kovid kapoor) है तो? सुनकर ही कितना अजीब लग रहा है ना? कॉमन नाम होने की वजह से मैंने कई लोगों को परेशान देखा है, क्योंकि एक जैसे कई लोगों के नाम होने से लोग कंफ्यूज हो जाते हैं...
पता चलता है कि कॉलोनी में 5 लड़कियों का नाम नेहा है तो स्कूल में 10 तो अभिषेक नाम के बच्चे होंगे ही होंगे. यही हाल ऑफिस में होता है जब एक जैसे नाम वाले कई लोग मिल जाते हैं तो लोग शरीर के निशान को नाम के साथ जोड़ लेते हैं कि वही श्वेता ना, जिसकी आंखें भूरी हैं? अरे वही श्वेता जिसके छोटे बाल हैं.
इसलिए आजकल के माता-पिता बड़ी मेहनत और रिसर्च करके अपने बच्चों का यूनीक नाम रखते हैं. हालांकि इस शख्स को अपने नाम से दिक्कत इसलिए है क्योंकि यह कुछ ज्यादा ही यूनीक है. अब भला किसका नाम कोविड होता है?
करीब दो सालों से कोविड वायरस ने पूरी दुनिया में हाहाकार मचाया हुआ है. लोगों को इस नाम से नफरत हैं. कई लोग ये नाम सुनकर चिढ़ जाते हैं ऐसे में अगर किसी का शख्स का नाम कोविड हुआ तो सोचिए उसे कितना बुरा...
नाम (name) में क्या रखा है? ये कहने वाले आज समझ जाएं कि नाम में ही सब रखा है. दुनिया में लोग नाम के लिए ही मरते हैं. ऐस में अगर कोई आपका नाम गलत तरीके से पुकारे तो आपको कैसा लगेगा? शायद आप एक-दो बार हंस कर टाल देंगे लेकिन तीसरी बार आपको बुरा जरूर लग जाएगा. शायद आप उसे गुस्से में सुना भी दें लेकिन एक शख्स ऐसा है जिसका नाम हमेशा के लिए बदनाम हो गया. बेचारे ने कुछ गलत काम भी नहीं किया लेकिन उसका नाम ही ऐसा है कि उसे झेलने के सिवा उसके पास और कोई चारा नहीं है.
असल में नाम हमारी पहचान होती है. हमें किसी को बुलाना होता है तो हम उसके नाम से बुलाते हैं. सोचिए इस महामारी के समय में अगर किसी का नाम कोविड कपूर (kovid kapoor) है तो? सुनकर ही कितना अजीब लग रहा है ना? कॉमन नाम होने की वजह से मैंने कई लोगों को परेशान देखा है, क्योंकि एक जैसे कई लोगों के नाम होने से लोग कंफ्यूज हो जाते हैं...
पता चलता है कि कॉलोनी में 5 लड़कियों का नाम नेहा है तो स्कूल में 10 तो अभिषेक नाम के बच्चे होंगे ही होंगे. यही हाल ऑफिस में होता है जब एक जैसे नाम वाले कई लोग मिल जाते हैं तो लोग शरीर के निशान को नाम के साथ जोड़ लेते हैं कि वही श्वेता ना, जिसकी आंखें भूरी हैं? अरे वही श्वेता जिसके छोटे बाल हैं.
इसलिए आजकल के माता-पिता बड़ी मेहनत और रिसर्च करके अपने बच्चों का यूनीक नाम रखते हैं. हालांकि इस शख्स को अपने नाम से दिक्कत इसलिए है क्योंकि यह कुछ ज्यादा ही यूनीक है. अब भला किसका नाम कोविड होता है?
करीब दो सालों से कोविड वायरस ने पूरी दुनिया में हाहाकार मचाया हुआ है. लोगों को इस नाम से नफरत हैं. कई लोग ये नाम सुनकर चिढ़ जाते हैं ऐसे में अगर किसी का शख्स का नाम कोविड हुआ तो सोचिए उसे कितना बुरा लगता होगा और इस कोरोना के कारण किस तरह उसकी जिंदगी बदलने लगती है.
हम जिस शख्स की बात कर रहे हैं उनका भी कुछ यही हाल है क्योंकि इनके नाम की वजह से ये एक तरह से छोटे-मोटे सेलिब्रिटी बन चुके हैं. इनका नाम कोविड है और इसलिए हर जगह इनका मजाक बनाया जाता है. इनके दोस्त इनके नाम पर चुटकुलें बनाते हैं. कोरोना काल से पहले तो सबकुछ ठीक था लेकिन जबसे कोविड-19 ने अपना विकराल रूप दिखाया तबसे ये सिर्फ इसलिए चर्चा में आ गए क्योंकि इनका नाम कोविड है.
इस नाम का इनकी जिंदगी पर कितना प्रभाव पड़ा है इस बात का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इन्होंने अपने ट्वीटर पर शाहरुख खान के डायलॉग 'माई नेम इज खान बट आई एम नॉट ए टेररिस्ट' की तर्ज पर लिखा है कि 'माई नेम इज कोविड बट आई एम नॉट ए वायरस'...
कौन हैं कोविड कुमार, कैस पड़ा यह नाम?
कोविड कुमार होलीडिफाई के सह-संस्थापक हैं और बेंगलुरु में रहते हैं. कोविद का हिंदी में मतलब विद्वान होता है. यह नाम इनकी मां ने हनुमान चालीसा से चुनकर रखा था. इन्होंने खुद ट्विटर पर इस बात का जिक्र किया है कि किस तरह वे 31 साल बाद अपने नाम का आनंद ले रहे हैं. ये कहते हैं कि 'मैं अपने नाम से खुश हूं और इसके लिए कोरोनोवायरस महामारी को धन्यवाद करता हूं. कोविड के बाद मैं भारत से पहली बाहर गया और मेरे नाम ने लोगों का खूब मनोरंजन किया. भविष्य की विदेश यात्राएं और भी मजेदार होने वाली हैं!'
ये जब भी किसी से अपना नाम बताते हैं तो लोग कोविड समझकर हंसने लगते हैं या मजाक बनाने लगते हैं. हालांकि अब ये इस बात को एंजॉयमेंट के रूप में लेते हैं. वैसे भी इनके पास ऐसा करने के सिवा विकल्प ही क्या है? या तो वे कोविड सुनकर चिढ़ते रहें या फिर हंसी में टाल दें.
मैं हसंते हुए अपना नाम बताता हूं
कोविद कहते हैं कि जब कोरोना की दूसरी लहर थी तब हम सभी बहुत मुश्किल दौर से गुजर रहे थे औऱ अब एक बार कोविड धीरे-धीरे विकराल रूप ले रहा है. इस वक्त मैंने अपने नाम के मजाक को हल्के में लिया और अपने ऑफिस मीटिंग के समय भी मैं हसंते हुए अपना नाम बताता. मैं जब भी नए लोगों को कॉल करता हूं तो अपने नाम का मजाक के साथ बताता हूं. कोरोना काल के समय हम अपनी कंपनी के मैंनेजमेंट को लेकर तनाव में थे तब कोविड नाम सुनकर मैं मन को हल्का रख लेता था.
इनके दोस्तों ने भी इनके बर्थ डे पर इनका नाम #कोविड -30 लिखवा दिया था. एक बार इन्होंने कॉफी शॉप में अपना नाम बताया तो लोग हंसने लगे. तबसे ये कभी-कभी टेबल रिजर्वेशन बुक करते समय या कहीं बाहर अपना नाम कबीर कपूर बताते हैं, क्योंकि हर जगह खुद को एक्सप्लेन करने का मन नहीं करता. कभी-कभी ऐसा करना बोझिल सा लगता है क्योंकि हर वक्त हम अच्छे मूड में नहीं रह सकते. सोचिए कैसे एक इंसान को अपनी पहचान के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.
क्या कभी अपने मजाक उड़ाए जाने से परेशान हुए हैं?
कोविद कहते हैं कि उन्होंने यह सब अपने स्तर पर हैंडल करना सीख लिया है. यह एक ऐसा मजाक है जो शायद मेरे पूरे जीवनकाल में नहीं बदलेगा. इसलिए मैंने इसके साथ जीना सीख लिया है. मेरे नाम कोविड होने से मुझे अटेंशन तो मिलता ही है. साथ ही में मुझे इसके लिए लोग अब बधाई भी देते हैं.
पहली बार सुनकर कैसा था रिएक्शन?
जब मेरे दोस्त ने मुझे पहली बार बताया कि कोरोन वायरस के कारण होने वाली बीमारी को कोविड-19 के रूप में जाना जाएगा उस वक्त मुझे खुशी हुई थी. उस वक्त मुझे पता नहीं था कि यह महामारी कितनी बड़ी होगी? और इसका प्रभाव कितना बड़ा होगा? लेकिन इतना जरूर पता था कि कोविड नाम को झेलने के लिए मुझे अपने अंदर की मजाकिया अंदाज को बरकरार रखना होगा. यह जानते हुए कि लोग कोविड संक्रामक रोग का नाम अक्सर नस्लीय गाली के रूप में इस्तेमाल करते हैं और इस नाम से नफरत करते हैं.
थोड़ा अगल सोचें तो य़ह मजाक के लिए तो ठीक है लेकिन अगर कोई हमारे नाम का एक बार मजाक उड़ा दे तो हमें बुरा लग जाता है. ऐसे में अपनी पहचान के लिए रोज संघर्ष करना ही अपने आप में एक संघर्ष है. मजाक सहने की क्षमता विकसित करना इतना आसान नहीं है, लेकिन मजबूरी में आदत बनानी पड़ती है.
इतना होने के बाद भी कोविड कुमार अपना नाम बदलना नहीं है चाहते हैं. वे हंसते हुए कहते हैं कि अब इस नाम का इस्तेमाल करने वाला हूं...क्या वाकई किसी को कोविड कहलाना पसंद होगा? जिस वायरस ने लोगों को उनके अपनों से दूर कर दिया, उस नाम से पुकारा जाना दिल को दुखाता तो होगा...
उन्होंने कोविड के नाम को एंजॉय करते हुए अपनी कई तस्वीरें भी शेयर की हैं-
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.