आम प्रेमियों के लिए इस साल मौसम थोड़ा कम मीठा रहा है. इस मौसम में लगातार आए तूफान, धूल भरी आंधियां और असमय बारिश ने भारत के अग्रणी आम उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में आम उत्पादन को प्रभावित किया है. इससे न सिर्फ फलों के राजा की कीमत पर असर पड़ेगा बल्कि इसकी गुणवत्ता भी कम होगी. मतलब अच्छे खासे पैसे खर्च करने के बाद भी खरीददारों को आम के स्वाद का वो मजा नहीं मिल पाएगा.
आखिर आम खट्टे कैसे हो गए-
लगभग 99 प्रतिशत आमों के फूल समय से आए थे. किसान लगभग 50 लाख मीट्रिक टन आम की बम्पर फसल होने की उम्मीद कर रहे थे. लेकिन फिर चीजें बदलनी शुरु हुई.
उत्तर प्रदेश के जो क्षेत्र दशहरी, चौसा और लंगड़ा जैसी सबसे अच्छी आमों की किस्मों का उत्पादन करते हैं, वहां तापमान ने प्रतिकूल भूमिका निभाई है. अप्रत्याशित तूफान और बारिश ने तापमान गिरा दिया. वो भी तब जब फल आने के लिए तापमान को ज्यादा रहने की जरुरत होती है. इससे आम की गुणवत्ता पर फर्क पड़ा है.
और इसके बाद कीट पतंगों ने कहर बरपा दिया-
आम उत्पादक आमतौर पर कीट नियंत्रण के लिए दो या तीन राउंड कीटनाशक स्प्रे करते हैं. हालांकि उत्पादकों ने कहा कि इस बार कीटों को नियंत्रित करने के लिए उन्हें सात से आठ राउंड कीटनाशक स्प्रे करना पड़ा. हालांकि, फिर भी कीटों ने फसल को बर्बाद करने का अपना काम जरुर किया.
फलों का राजा तूफान का सामना नहीं कर पाया-
किसानों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में मूसलधार बारिश और तेज हवाओं के कारण पकने से पहले ही आम के 50-60 प्रतिशत फसल नष्ट हो गए थे. इससे बाजारों में बेकार आमों की आपूर्ति हुई. इस वर्ष लगभग 50 लाख मीट्रिक टन आम उत्पादन होने का अनुमान था, लेकिन अब केवल 25-30 लाख...
आम प्रेमियों के लिए इस साल मौसम थोड़ा कम मीठा रहा है. इस मौसम में लगातार आए तूफान, धूल भरी आंधियां और असमय बारिश ने भारत के अग्रणी आम उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में आम उत्पादन को प्रभावित किया है. इससे न सिर्फ फलों के राजा की कीमत पर असर पड़ेगा बल्कि इसकी गुणवत्ता भी कम होगी. मतलब अच्छे खासे पैसे खर्च करने के बाद भी खरीददारों को आम के स्वाद का वो मजा नहीं मिल पाएगा.
आखिर आम खट्टे कैसे हो गए-
लगभग 99 प्रतिशत आमों के फूल समय से आए थे. किसान लगभग 50 लाख मीट्रिक टन आम की बम्पर फसल होने की उम्मीद कर रहे थे. लेकिन फिर चीजें बदलनी शुरु हुई.
उत्तर प्रदेश के जो क्षेत्र दशहरी, चौसा और लंगड़ा जैसी सबसे अच्छी आमों की किस्मों का उत्पादन करते हैं, वहां तापमान ने प्रतिकूल भूमिका निभाई है. अप्रत्याशित तूफान और बारिश ने तापमान गिरा दिया. वो भी तब जब फल आने के लिए तापमान को ज्यादा रहने की जरुरत होती है. इससे आम की गुणवत्ता पर फर्क पड़ा है.
और इसके बाद कीट पतंगों ने कहर बरपा दिया-
आम उत्पादक आमतौर पर कीट नियंत्रण के लिए दो या तीन राउंड कीटनाशक स्प्रे करते हैं. हालांकि उत्पादकों ने कहा कि इस बार कीटों को नियंत्रित करने के लिए उन्हें सात से आठ राउंड कीटनाशक स्प्रे करना पड़ा. हालांकि, फिर भी कीटों ने फसल को बर्बाद करने का अपना काम जरुर किया.
फलों का राजा तूफान का सामना नहीं कर पाया-
किसानों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में मूसलधार बारिश और तेज हवाओं के कारण पकने से पहले ही आम के 50-60 प्रतिशत फसल नष्ट हो गए थे. इससे बाजारों में बेकार आमों की आपूर्ति हुई. इस वर्ष लगभग 50 लाख मीट्रिक टन आम उत्पादन होने का अनुमान था, लेकिन अब केवल 25-30 लाख मीट्रिक टन तक ही होने की उम्मीद है.
यह निश्चित रूप से इससे बाजारों में आम की कीमतों पर फर्क पड़ेगा और सीजन की शुरुआत में इनकी दर 200 रुपये प्रति किलो तक हो सकती है.
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