धार्मिक रीति-रिवाजों और मान्यताओं का टकराव सोशल मीडिया पर आम है. हर तरह के विचारों वाले लोगों को अपना-अपना एजेंडा चलाते देखा जाता है. लेकिन, जब ऐसा ही कुछ 'सद्भावना सम्मेलन' में हो, तब थोड़ा आश्चर्य होता है. खासतौर पर तब जबकि एक ओर बुजुर्ग मौलाना हों, और उनका प्रतिकार करने के लिए एक विख्यात जैन संत को खड़ा होना पड़े. दिल्ली के रामलीला मैदान में उस समय माहौल गरमा गया, जब सहारनपुर से मौलाना अरशद मदनी ने सद्भावना सम्मेलन के मंच का उपयोग मेलमिलाप के लिए करने के बजाय अपने धार्मिक मकसद के लिए करना शुरू कर दिया. वे कहते गए कि इस्लाम से ही बाकी के सभी धर्म हैं. जो कुछ हैं वो अल्लाह है, आदम है. उन्होंने अपने विचारों में अन्य विचारों की आलोचना तक कर डाली. इस एकतरफा बयानबाजी से क्षुब्ध जैन संत आचार्य लोकेश मुनि को जब मौका मिला, तो उन्होंने मौलाना मदनी को धो डाला. और फिर एक चैलेंज देने के बाद सभा छोड़कर चले गए.
जमीयत-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी का बयान
अल्लाह और ओम एक हैं. जब कोई नहीं था, न श्री राम थे, न ब्रह्मा थे और न शिव थे तो मनु ओम को पूजते थे. ओम कौन है? ओम ही अल्लाह है, जिन्हें आप ईश्वर कहते हैं. इस्लाम बाहर से आया हुआ मजहब है, यह कहना गलता है. दुनिया का सबसे पुराना धर्म इस्लाम है और इस्लाम की पैदाइश भारत में हुई, भारत पर पहला हक मुस्लमानों का है.
हम सबसे पहले इसी देश में पैदा हुए, यह मुसलमानों का पहला वतन है...इसलिए घर वापसी और सारे मुसलमान भी हिंदू हैं, यह बयान जाहिल जैसा है. भारत जितना मोदी या भागवत का उतना ही मेरा है. ये धरती खुदा के सबसे पहले पैगंबर अब्दुल बशर सैदाला आलम की जमीन है, इसलिए इस्लाम को बाहरी कहना गलत है. उन्होंने कहा कि इस्लाम सबसे पुराना मजहब है.
मुसलमानों को पैगंबर का अपमान मंजूर नहीं है. पैगंबर के खिलाफ बयानबाजी भी सही नहीं है. शिक्षा का भगवाकरण हो रहा है. किसी भी धर्म की पुस्तकें दूसरों पर थोपी नहीं जानी चाहिए.