'मैं पुंछ में मंदिर के अंदर देखने गई थी. मंदिर में किसी ने बड़ी श्रद्धा से मेरे हाथ में लोटा रख दिया, मैं मंदिर में किसी का दिल नहीं तोड़ सकती थी'. ये कहना है पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) का, जिन्होंने पुंछ जिले में नवग्रह मंदिर का दौरा करने के बाद पूजा अर्चना की और शिवलिंग पर जल चढ़ाया. इतना ही नहीं उन्होंने मंदिर परिसर में बनी यशपाल शर्मा की प्रतिमा पर फूल भी चढ़ाए. इसी के बाद सोशल मीडिया पर बवाल मचा हुआ है.
शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए और हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हुए उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. उन्होंने मंदिर परिसार की परिक्रमा भी की. इस पर बीजेपी का कहना है कि मंदिर यात्रा सिर्फ राजनीतिक नौटंकी है. 2008 में महबूबा मुफ्ती और उनकी पार्टी ने अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड को भूमि आवंटन का विरोध किया था. वहीं कुछ मुस्लिम धर्मगुरु भी महबूबा के मंदिर में पूजा करने का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह इस्लाम के खिलाफ है. हालांकि महबूबा का कहना है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और किसी के मंदिर जाने पर बवाल नहीं होना चाहिए. यह गंगा-जमुनी तहजीब है.
अगर यही बात है तो फिर उन्हें अपने किए पर सफाई देने की क्या जरूरत पड़ गई? औऱ वैसे भी किसी ने मंदिर में शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए मजबूर नहीं किया था, ना ही कोई जबरदस्ती की थी.
इसी बात को लेकर अब सोशल मीडिया पर महबूबा की किरकिरी हो रही है. अजीत कुमार सिंह ने लिखा है कि, यही बोली थी कि अगर धारा 370 और 35A को हटाया गया तो कश्मीर में तिरंगा को कोई कंधा देने वाला नहीं मिलेगा. अब ये खुद कंधा देने पहुंच गई. वहीं संजीव शर्मा का कहना है कि अगर किसी के अंदर सकारात्मक बदलाव आता है तो हमें उसका स्वागत करना चाहिए. हरशद धमेचा नामक यूजर का कहना है कि, ये तो बहुत पहले करना था. सब को साथ रखना था. मगर आप ने वो नहीं किया. भगवान आप को सद्बुद्धि प्रदान करे और आप की जबान से कभी भी पाकिस्तान का नाम ना निकले,...
'मैं पुंछ में मंदिर के अंदर देखने गई थी. मंदिर में किसी ने बड़ी श्रद्धा से मेरे हाथ में लोटा रख दिया, मैं मंदिर में किसी का दिल नहीं तोड़ सकती थी'. ये कहना है पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) का, जिन्होंने पुंछ जिले में नवग्रह मंदिर का दौरा करने के बाद पूजा अर्चना की और शिवलिंग पर जल चढ़ाया. इतना ही नहीं उन्होंने मंदिर परिसर में बनी यशपाल शर्मा की प्रतिमा पर फूल भी चढ़ाए. इसी के बाद सोशल मीडिया पर बवाल मचा हुआ है.
शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए और हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हुए उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. उन्होंने मंदिर परिसार की परिक्रमा भी की. इस पर बीजेपी का कहना है कि मंदिर यात्रा सिर्फ राजनीतिक नौटंकी है. 2008 में महबूबा मुफ्ती और उनकी पार्टी ने अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड को भूमि आवंटन का विरोध किया था. वहीं कुछ मुस्लिम धर्मगुरु भी महबूबा के मंदिर में पूजा करने का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह इस्लाम के खिलाफ है. हालांकि महबूबा का कहना है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और किसी के मंदिर जाने पर बवाल नहीं होना चाहिए. यह गंगा-जमुनी तहजीब है.
अगर यही बात है तो फिर उन्हें अपने किए पर सफाई देने की क्या जरूरत पड़ गई? औऱ वैसे भी किसी ने मंदिर में शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए मजबूर नहीं किया था, ना ही कोई जबरदस्ती की थी.
इसी बात को लेकर अब सोशल मीडिया पर महबूबा की किरकिरी हो रही है. अजीत कुमार सिंह ने लिखा है कि, यही बोली थी कि अगर धारा 370 और 35A को हटाया गया तो कश्मीर में तिरंगा को कोई कंधा देने वाला नहीं मिलेगा. अब ये खुद कंधा देने पहुंच गई. वहीं संजीव शर्मा का कहना है कि अगर किसी के अंदर सकारात्मक बदलाव आता है तो हमें उसका स्वागत करना चाहिए. हरशद धमेचा नामक यूजर का कहना है कि, ये तो बहुत पहले करना था. सब को साथ रखना था. मगर आप ने वो नहीं किया. भगवान आप को सद्बुद्धि प्रदान करे और आप की जबान से कभी भी पाकिस्तान का नाम ना निकले, जयहिंद.
अरुण यादव का कहना है कि आपके एक वोट की ताकत, महादेव की शरण में महबूबा मुफ्ती. मेजर सुरेंद्र पुनिया ने लिखा है कि पाकिस्तान के गीत गाने वाली महबूबा मुफ़्ती मंदिर में शिवलिंग पर जलाभिषेक कर रही हैं. देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान, कितना बदल गया इंसान! जैश,हिज़बुल और लश्कर वाले ‘भाई’ तो नाराज़ हो जाएंगे.
अभय प्रताप सिंह ने लिखा है कि रमजान से पहले महबूबा मुफ्ती ने देवाधिदेव महादेव को चढ़ाया जल, क्या मौलानाओं के लिए कुफ्र नहीं है? लश्कर-हिजबुल-जैश ने ऐसे कश्मीर की तो कल्पना नहीं की थी? सियासी पर्यटन?
वैसे महबूबा मुफ्ती का मंदिर जाकर पूजा करना आपको कैसा लगा? क्या आपको लगता है कि यह सिर्फ वोटबैंक हांसिल करने का एक तरीका है या फिर सच में उनकी श्रद्धा है? इस बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?
देखें वीडियो-
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.