कभी-कभी कुछ घटनाएं सिर्फ खबर भर नहीं होतीं क्योंकि उसके पीछे कई सालों का कहानी छिपी होती है. अब यह तो हमारी आंखों पर निर्भर करता है कि हम क्या देखने की कोशिश करते हैं. क्या जो सामने है वही पूरा सच है या फिर कुछ ऐसा है जो हम देख नहीं पाते
दरअसल, केरल के वायनाड में दो नाबालिग लड़कियों (minor girls kerala) ने मां को प्रताड़ित करने वाले व्यक्ति को कुल्हाड़ी से काटकर मार डाला. वह उनके सामने ही मां के साथ यौन उत्पीड़न कर रहा था. पहल तो मां और बच्चियों ने उससे बचने की बहुत कोशिश की लेकिन जब वह हावी हो गया तो उसे पीटना शुरु कर दिया. वह फिर भी नहीं माना और जबरदस्ती करने लगा. इसके बाद 15 और 16 साल की दो नाबालिग बहनों ने उसे कुल्हाड़ी अपने हाथ में ली और उसके ऊपर वार कर दिया. यौन उत्पीड़न करने वाला कोई औऱ नहीं बल्कि महिला की बहन का पति था. बच्चियां उसे मौसा कहती थीं.
गांव वाले और पड़ोसियों का कहना है कि वह व्यक्ति हमेशा उन्हें परेशान करता था. उन्हें प्रताड़ित करता था. हम यह नहीं कह रहे कि नाबानिग लड़कियों ने सही किया लेकिन इतनी बातें यह बताने के लिए काफी है कि उनकी मनोदशा क्या थी.
15-16 साल की बच्चियां आखिर किस हद तक टॉर्चर हो रही थीं जो उन्होंने खुद ही शस्त्र उठा लिए. वरना इस उम्र में तो लड़कियां सुनहरे सपनों के दौर में होती हैं. उनके हाथों में किताबें ही होती हैं. जो बच्चियां एक चूहे से डर जाएं वे कबसे इतनी खतरनाक हो गईं जो किसी की हत्या कर दें...जरूर उनके सहनशक्ति खत्म हो गई होगी और बच्चों का मन तो वैसे भी कितना नाजुक होता है.
तो अगर कोई उनके सामने ही मां के साथ गलत करेगा तो आप औऱ क्या उम्मीद कर सकते हैं? बच्चियों ने अपराध किया लेकिन उन्हें इस हद तक किसने मजबूर किया?
कभी-कभी कुछ घटनाएं सिर्फ खबर भर नहीं होतीं क्योंकि उसके पीछे कई सालों का कहानी छिपी होती है. अब यह तो हमारी आंखों पर निर्भर करता है कि हम क्या देखने की कोशिश करते हैं. क्या जो सामने है वही पूरा सच है या फिर कुछ ऐसा है जो हम देख नहीं पाते
दरअसल, केरल के वायनाड में दो नाबालिग लड़कियों (minor girls kerala) ने मां को प्रताड़ित करने वाले व्यक्ति को कुल्हाड़ी से काटकर मार डाला. वह उनके सामने ही मां के साथ यौन उत्पीड़न कर रहा था. पहल तो मां और बच्चियों ने उससे बचने की बहुत कोशिश की लेकिन जब वह हावी हो गया तो उसे पीटना शुरु कर दिया. वह फिर भी नहीं माना और जबरदस्ती करने लगा. इसके बाद 15 और 16 साल की दो नाबालिग बहनों ने उसे कुल्हाड़ी अपने हाथ में ली और उसके ऊपर वार कर दिया. यौन उत्पीड़न करने वाला कोई औऱ नहीं बल्कि महिला की बहन का पति था. बच्चियां उसे मौसा कहती थीं.
गांव वाले और पड़ोसियों का कहना है कि वह व्यक्ति हमेशा उन्हें परेशान करता था. उन्हें प्रताड़ित करता था. हम यह नहीं कह रहे कि नाबानिग लड़कियों ने सही किया लेकिन इतनी बातें यह बताने के लिए काफी है कि उनकी मनोदशा क्या थी.
15-16 साल की बच्चियां आखिर किस हद तक टॉर्चर हो रही थीं जो उन्होंने खुद ही शस्त्र उठा लिए. वरना इस उम्र में तो लड़कियां सुनहरे सपनों के दौर में होती हैं. उनके हाथों में किताबें ही होती हैं. जो बच्चियां एक चूहे से डर जाएं वे कबसे इतनी खतरनाक हो गईं जो किसी की हत्या कर दें...जरूर उनके सहनशक्ति खत्म हो गई होगी और बच्चों का मन तो वैसे भी कितना नाजुक होता है.
तो अगर कोई उनके सामने ही मां के साथ गलत करेगा तो आप औऱ क्या उम्मीद कर सकते हैं? बच्चियों ने अपराध किया लेकिन उन्हें इस हद तक किसने मजबूर किया?
बच्चियों ने मौसा की हत्या कर दी और आत्मसमपर्ण कर दिया. पुलिस ने कुएं से बोरे में रखे शव को बरामद कर लिया. असल में मौसा ने मां के ऊपर हमला करने की कोशिश की जिसके बाद कथित तौर पर लड़कियों ने हमले को रोकने की कोशिश की और इसी प्रक्रिया में उन्होंने हत्या कर दी. फिलहाल दोनों बहनों को एक शेल्टर होम में रखा गया है. जिन्हें जुवेनाइल कोर्ट में पेश किया जाएगा.
लंबे समय तक जब कोई किसी चीज के लिए संघर्ष करता है तो उसकी हालात क्या हो जाती है यह हमें इस घटना से सीखने को मिल रही है.उन लड़कियों ने कितनी पीड़ा सही होगी कहने में तो बड़ा आसान लगता है कि, सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो लेकिन असल जीवन में जब कोई लड़की सट में हथियार उठा लेती है तो उसके साथ क्या होता है, यह आपको भी पता है.
वे लड़कियां रोज प्रताड़ित होकर तिल-तिल मर रही होंगी. अपनी नजरों के सामने मां के साथ गलत होते हुए ना जाने कितनी बार देखा होगा. धीरे-धीरे उनके मन में गुबार भर गया होगा. बच्चों का मन कोमल होता है, लेकिन इन बच्चियों की जिंदगी का फैसला अब उनके हाथ में नहीं है.
अब द्रोपदी कविताओं से निकलकर असलियत में आ गईं हैंमहिलाओं के साथ गलत करने वाले फिर भी सबक नहीं लेंगे तो क्या अब सच में लड़कियों ने अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद लेली है. भले कीमत कोई भी क्यों ना हो? इन लड़कियों ने मां पर उस व्यक्ति को हावी होते देखा और कुल्हाड़ी उठाहर सिर औऱ गर्दन पर वार कर दिया...अब नतीजा आपके सामने हैं.
अब समझ नहीं आ रहा है कि लड़कियों के अच्छे या बुरे किस वर्ग में रखा जाए. आने वाला उनका भविष्य तो अधर में गया...लोग उन्हें किस नजरों से देखेंगे...उनकी पढ़ाई-लिखाई गई चूल्हे में...पहले भी वे प्रताड़ित थीं औऱ आगे का क्या ही कहा जाए? जो भी हो, लड़कियों का यौन शौषण करने वाले को थोड़ा खौफ तो खा ही लेना चाहिए, क्योंकि अब द्रोपदी कविताओं से निकलकर असलियत में आ गईं हैं...
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.