बात अगर खूबसूरत दिखने की हो तो सौंदर्य प्रतियोगिताओं में महज रंग रूप देखकर ये निर्णय ले लिया जाता कि फलां लड़की सबसे ज्यादा सुंदर है. लेकिन वहां सिर्फ शारीरिक नहीं बल्कि हर लिहाज से महिलाओं की खूबसूरती को आंका जाता है, और अहमियत दी जाती है बुद्धिमानी को. यानी विजेता होती है beauty with brains. उसी महिला को क्वीन का दर्जा दिया जाता है जो खूबसूरत भी हो और दिमाग और विचारों से औरों से बेहतर भी हो.
लेकिन इस खूबसूरत सोच को इन पीजेंट्स की कुछ अजीब बातें नगण्य कर देती हैं. और कारण बनते हैं वो नियम और शर्तें जो थोड़े अजीब लगते हैं. अजीब इसलिए क्योंकि ये महिलाओं में फर्क करते हैं. उदाहरण के तौर पर उनकी लंबाई जो 5 फुट- 5 इंच से कम नहीं होनी चाहिए, उम्र 18 से 25 साल ही हो, वो सिंगल हों, अविवाहित हों और सगाई भी न हुई हो. यानी इनके हिसाब से वही महिलाएं खूबसूरत की श्रेणी में आती हैं जो 5 फुट- 5 इंच हो अगर 5 फुट- 4.5 इंच हुईं तो खूबसूरत नहीं हैं. 25 के बजाए 26 की हो गईं तो खूबसूरत नहीं रहीं. फिर विवाहित और अविवाहित की तो बात ही क्या करें.
हाल ही में हुए एक ब्यूटी पीजेंट में भी एक विवाद हुआ जिसने एक बहस को जन्म दिया है. मिस यूक्रेन 2018 का ताज 23 साल की वेरोनिका डिडुसेनको के सिर रखा गया. और एक सप्ताह भी नहीं हुआ कि उनसे वो ताज छीन लिया गया. उन्हें मिस यूक्रेन प्रतियोगिता से डिस्क्वालिफाई कर दिया गया. क्योंकि पाया गया कि वेरोनिका तलाकशुदा के साथ-साथ एक बच्चे की मां भी थीं.
हाल ही में इस ईवेंट की ऑर्गनाइजिंग कमेटी ने ये कहा कि - वेरोनिका ने इस प्रतियोगिता के नियमों का उल्लंघन किया है. राष्ट्रीय स्तर की इस प्रतियोगिता मिस यूक्रेन में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियों के लिए ये जरूरी है कि वो -...
बात अगर खूबसूरत दिखने की हो तो सौंदर्य प्रतियोगिताओं में महज रंग रूप देखकर ये निर्णय ले लिया जाता कि फलां लड़की सबसे ज्यादा सुंदर है. लेकिन वहां सिर्फ शारीरिक नहीं बल्कि हर लिहाज से महिलाओं की खूबसूरती को आंका जाता है, और अहमियत दी जाती है बुद्धिमानी को. यानी विजेता होती है beauty with brains. उसी महिला को क्वीन का दर्जा दिया जाता है जो खूबसूरत भी हो और दिमाग और विचारों से औरों से बेहतर भी हो.
लेकिन इस खूबसूरत सोच को इन पीजेंट्स की कुछ अजीब बातें नगण्य कर देती हैं. और कारण बनते हैं वो नियम और शर्तें जो थोड़े अजीब लगते हैं. अजीब इसलिए क्योंकि ये महिलाओं में फर्क करते हैं. उदाहरण के तौर पर उनकी लंबाई जो 5 फुट- 5 इंच से कम नहीं होनी चाहिए, उम्र 18 से 25 साल ही हो, वो सिंगल हों, अविवाहित हों और सगाई भी न हुई हो. यानी इनके हिसाब से वही महिलाएं खूबसूरत की श्रेणी में आती हैं जो 5 फुट- 5 इंच हो अगर 5 फुट- 4.5 इंच हुईं तो खूबसूरत नहीं हैं. 25 के बजाए 26 की हो गईं तो खूबसूरत नहीं रहीं. फिर विवाहित और अविवाहित की तो बात ही क्या करें.
हाल ही में हुए एक ब्यूटी पीजेंट में भी एक विवाद हुआ जिसने एक बहस को जन्म दिया है. मिस यूक्रेन 2018 का ताज 23 साल की वेरोनिका डिडुसेनको के सिर रखा गया. और एक सप्ताह भी नहीं हुआ कि उनसे वो ताज छीन लिया गया. उन्हें मिस यूक्रेन प्रतियोगिता से डिस्क्वालिफाई कर दिया गया. क्योंकि पाया गया कि वेरोनिका तलाकशुदा के साथ-साथ एक बच्चे की मां भी थीं.
हाल ही में इस ईवेंट की ऑर्गनाइजिंग कमेटी ने ये कहा कि - वेरोनिका ने इस प्रतियोगिता के नियमों का उल्लंघन किया है. राष्ट्रीय स्तर की इस प्रतियोगिता मिस यूक्रेन में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियों के लिए ये जरूरी है कि वो - शादीशुदा न हों/पहले भी शादी न की हो और बच्चे भी पैदा न किए हों.
हालांकि नियम कायदे की बात की जाए तो ये सच है कि वेरोनिका ने प्रतियोगिता में हिस्सा लेने से पहले अपनी शादी और बच्चे के बारे में नहीं बताया या इसे ये भी कह सकते हैं कि उन्होंने इस सच को छिपाया था. प्रतियोगिता के नियम के हिसाब से इसे उल्लंघन तो कहेंगे लेकिन सोचकर देखिए कि ये कितना जायज है. और यही क्यों, क्या बाकी नियम भेदभाव की दृष्टि से सही हैं?
अब वेरोनिका ने छेड़ दी है जंग
वेरोनिका से उनका ताज छीन लिया गया, जाहिर है ये उनके लिए बड़ा झटका था, लेकिन उन्होंने इस हार का ही अपना हथियार बनाने की ठानी और अब वो सौंदर्य प्रतियोगिताओं में मांओं के साथ किए जाने वाले भेदभाव के खिलाफ एक ग्लोबल कैंपेन की शुरुआत कर रही हैं. उनका कहना है कि ये 21वीं सदी है और किसी भी महिला के साथ किसी भी तरह से भेदभाव नहीं किया जा सकता खासतौर पर उसके मां होने से.
सिर्फ शादीशुदा होने पर वो शायद न भी भड़कतीं लेकिन मां होने को लेकर उन्हें जो सुनना पड़ा वो बेहद अपमानजनक था. इस प्रतियोगिता की ज्यूरी में बैठे 'मिस्टर वर्ल्ड यूक्रेन 2014' बोहडन यूसिप्चुक, जिन्हें दुनिया का सबसे हैंडसम पुरुष भी कहा जाता है, ने बहुत ही अजीब बात कही, जिसको सुनकर ही वेरोनिका ने कैंपेन शुरू करने की ठानी. बोहडन का कहना था कि - 'वो जब 19 साल की थीं तब वो मां बनी और फिर उनका तलाक हो गया. मुझे लगता है कि दूसरों के सामने अनुसरण करने के लिए इस तरह के इंसान को एक रोल मॉडल के रूप में स्थापित करना गलत है'. जरा सोचिए इस सोच के साथ ये मिस्टर यूक्रेन बन सकते हैं, लेकिन एक सिंगल मदर मिस यूक्रेन नहीं बन सकती. मिस्टर यूक्रेन की इस बात से हमारा समाज कितना इत्तेफाक रखता है?
क्यों तलाकशुदा माएं रोल मॉडल नहीं हो सकतीं
देखा जाए तो एक सिंगल मदर के लिए इस तरह के विचार रखना कोई आश्चर्य की बात नहीं है. समाज महिलाओं को लेकर इसी तरह की सोच रखता है. वो अगल तलाकशुदा है और अकेले बच्चों की परवरिश कर रही है तो उसके प्रति समाज का रवैया औरों से अलग होगा, क्योंकि कहीं न कहीं समाज उन्हें अच्छा नहीं मानता. वोरोनिका 4 सालों से अपने बच्चे को अकेले पाल रही हैं, बल्कि वही क्यों, ऐसी तमाम माएं हैं जो बच्चों के लिए संघर्ष कर रही हैं. क्या उनका सिंगल होना, या तलाकशुदा होना उनको इस मंच से वंचित कर सकता है? वो रोल मॉडल क्यों नहीं हो सकतीं, जबकि उनके संघर्ष उन तमाम अविवाहित लड़कियों से कहीं ज्यादा होंगे.
जाहिर है कुछ लोगों के पास इसका जवाब भी होगा...कि मिसेज़ वर्ल्ड जैसी प्रतियोगिताएं भी तो इसीलिए आयोजित की जा रही हैं. वेरोनिका जैसों को उसमें हिस्सा लेना चाहिए. लेकिन मुद्दा अब भी वहीं का वहीं है कि महिलाओं के साथ उनके रंग-रूप और उनके स्टेटस की वजह से भेदभाव किया जा रहा है. हालात ये हैं कि मोटी महिलाएं जो अपनी फिगर की वजह से इन सौंदर्य प्रतियोगिताओं में हिस्सा नहीं ले पातीं उनके लिए अलग से 'Miss Obese' पीजेंट भी होने लग गए हैं. और लोग कहते हैं हर महिला खूबसूरत होती है...क्योंकि तन की सुंदरता से कहीं ज्यादा अहम होती है मन की सुंदरता. क्या बकवास है...मन की सुंदरता तक पहुंच ही कहां पाते हैं लोग. चेहरा और स्टेटस देखकर महिला के सही और गलत होने का फैसला कर लेते हैं. ऐसे में वेरोनिका के इस कैंपेन का सफल होना काफी मुश्किल प्रतीत होता है.
अब भले ही मिस यूक्रेन का खिताब किसी और को दे दिया गया हो, लेकिन मेरे लिए मिस यूक्रेन वेरोनिका ही हैं. इसलिए नहीं कि वो खूबसूरत हैं, बल्कि इसलिए कि एक मां होने से खूबसूरती खत्म नहीं होती.
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