एक समय था जब बच्चा इंजीनियर बन जाए तो जॉब पक्की हो जाया करती थी. लेकिन अब ऐसा बिलकुल नहीं है. माता-पिता खुद बच्चे को इंजीनियरिंग करने से रोकते हैं. कोई दूसरा सब्जेक्ट दिलाते हैं जिससे आने वाले समय में करियर में कोई बाधा ना जाए.
अब तो ये भी सुनने को नहीं मिलता कि पड़ोस में रहने वाले शर्मा जी के इंजीनियर लड़के का कैंपस सलैक्शन हो गया है और लाखों का पैकेज मिला है. एक समय था जब भारतीय इंजीनियरों की दुनिया में भारी मांग थी. लेकिन अब ये पुरानी बातें हो गई हैं. अब सच्चाई ये है कि इंजीनियरों की स्थिति काफी खराब हो चुकी है. ऐसे में पीएम मोदी ने इसके लिए नया प्लान तैयार किया है जिससे इंजीनियरों को नया रोजगार मिल सकेगा.
क्यों पिछड़ रहे हैं भारतीय इंजीनियर्स
सुंदर पिचाई जैसे बहुत से प्रतिभाशाली भारतीय इंजीनियरों ने विदेशों में अपनी पहचान बनाई है. इसके बावजूद सच्चाई यही है कि भारतीय संस्थानों से निकलने वाले ज्यादातर छात्र नौकरी पाने के लिए जरूरी क्षमता नहीं रखते. हाल ही में हुए एक स्टडी में यह चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 80 फीसदी छात्रों में रोजगार की योग्यता ही नहीं है.
एस्पाइरिंग माइंड्स की नेशनल इम्प्लायबिलिटी रिपोर्ट के अनुसार 80 फीसदी इंजीनियर रोजगार के काबिल नहीं है. रिपोर्ट में दिल्ली के संस्थानों को योग्य इंजीनियर देने में बेहतर बताया गया है. इसमें दूसरा स्थान बेंगलूरू का है और इसके बाद मुंबई और पुणे के कॉलेजों का नंबर आता है.
वैसे रिपोर्ट के अनुसार छोटे शहरों से भी रोजगार की योग्यता रखने वाले इंजीनियर निकल रहे हैं. राज्यों की...
एक समय था जब बच्चा इंजीनियर बन जाए तो जॉब पक्की हो जाया करती थी. लेकिन अब ऐसा बिलकुल नहीं है. माता-पिता खुद बच्चे को इंजीनियरिंग करने से रोकते हैं. कोई दूसरा सब्जेक्ट दिलाते हैं जिससे आने वाले समय में करियर में कोई बाधा ना जाए.
अब तो ये भी सुनने को नहीं मिलता कि पड़ोस में रहने वाले शर्मा जी के इंजीनियर लड़के का कैंपस सलैक्शन हो गया है और लाखों का पैकेज मिला है. एक समय था जब भारतीय इंजीनियरों की दुनिया में भारी मांग थी. लेकिन अब ये पुरानी बातें हो गई हैं. अब सच्चाई ये है कि इंजीनियरों की स्थिति काफी खराब हो चुकी है. ऐसे में पीएम मोदी ने इसके लिए नया प्लान तैयार किया है जिससे इंजीनियरों को नया रोजगार मिल सकेगा.
क्यों पिछड़ रहे हैं भारतीय इंजीनियर्स
सुंदर पिचाई जैसे बहुत से प्रतिभाशाली भारतीय इंजीनियरों ने विदेशों में अपनी पहचान बनाई है. इसके बावजूद सच्चाई यही है कि भारतीय संस्थानों से निकलने वाले ज्यादातर छात्र नौकरी पाने के लिए जरूरी क्षमता नहीं रखते. हाल ही में हुए एक स्टडी में यह चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 80 फीसदी छात्रों में रोजगार की योग्यता ही नहीं है.
एस्पाइरिंग माइंड्स की नेशनल इम्प्लायबिलिटी रिपोर्ट के अनुसार 80 फीसदी इंजीनियर रोजगार के काबिल नहीं है. रिपोर्ट में दिल्ली के संस्थानों को योग्य इंजीनियर देने में बेहतर बताया गया है. इसमें दूसरा स्थान बेंगलूरू का है और इसके बाद मुंबई और पुणे के कॉलेजों का नंबर आता है.
वैसे रिपोर्ट के अनुसार छोटे शहरों से भी रोजगार की योग्यता रखने वाले इंजीनियर निकल रहे हैं. राज्यों की बात करें तो बिहार-झारखंड, दिल्ली, पंजाब और उत्तराखंड की स्थिति थोड़ी ठीक है. लेकिन तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल, छत्तीसगढ़ और उत्तरप्रदेश की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है.
देश में अंग्रेजी की बढ़ती लोकप्रियता के बावजूद ज्यादातर इंजीनियरिंग छात्रों के लिए यह भाषा ‘कमजोर कड़ी' साबित हो रही है. आईसीटीई (ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन) ने भी देशभर में बेरोजगार इंजीनियरों की बढ़ रही संख्या को देखते हुए इंजीनियरिंग की सीटों को कम करने की योजना बनाई है. वैसे अब छात्रों में भी इंजीनियरिंग के प्रति मोह लगातार भंग हो रहा है. पिछले 2-3 सालों से देश के कई इंजीनियरिंग कॉलेजों में सीटें नहीं भर पा रही हैं.
क्या है पीएम मोदी का प्लान
पीएम मोदी ने बेरोजगारी से बचने के लिए एक शानदार प्लान निकाला है. कुछ दिन पहले ही एक रिपोर्ट आई थी कि इंजीनियरिंग कोर्स करने के बावजूद भी काफी युवा बेरोजगार हैं. उन्हें जॉब मिलने में मुश्किल हो रही है. इस समस्या का सॉल्यूशन निकालते हुए ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) ने इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स के बेहतर भविष्य के लिए एक अहम फैसला लिया है.
अब जो स्टूडेंट्स इंजीनियरिंग कर रहे हैं, उन्हें तब तक डिग्री नहीं दी जाएगी जब तक वह इंटर्नशिप पूरी नहीं कर लेते. कहा जा रहा है कि इंजीनियरिंग के स्टूडेंट के लिए ये फैसला लेने का मकसद है कि उन्हें मार्केट में काम करने के लायक बनाया जाए, वे इंडस्ट्री को समझें कि वहां काम करने का तरीका कैसा है.
2022 तक होंगी 10 करोड़ जॉब्स
पीएम मोदी अपने ड्रीम प्रोजेक्ट 'मेक इन इंडिया' के तहत बेरोजगार इंजीनियरों को नौकरी देने की प्लानिंग में हैं. वो 2022 तक 10 करोड़ जॉब्स देने वाले हैं. जिनको इंजीनियरिंग करने के बाद जॉब की तलाश है उनके लिए ये सुनहरा अवसर साबित हो सकता है.
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