हाल ही में मोरारी (Morari Bapu) बापू से भाजपा के पूर्व विधायक पबुभा माणेक (Pabubha Manek) के उत्तेजक व्यवहार की ख़बर सुर्ख़ियों में है. इस घटना के समय जब मोरारी बापू द्वारका मंदिर परिसर में बैठ मीडिया से बात कर रहे थे, तभी अचानक पबुभा माणेक उन पर बुरी तरह बिगड़ने लगे. उनका यह क्रोध भगवान श्रीकृष्ण के बारे में बापू द्वारा की गई एक कथित आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर अपने पूरे उबाल पर था. दरअसल बापू ने उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में रामकथा के दौरान एक सन्दर्भ में यह कह दिया था कि श्रीकृष्ण (Lord Krishna) के भाई बलराम मदिरापान करते थे. इस वाक़ये से मोरारी बापू के समर्थक जहां तनाव में हैं वहीं उस विरोधी ख़ेमे में ख़ुशी की लहर दौड़ गई है जो उनके सेकुलरिज्म को गाली की तरह देखता आया है.
लोग तो आहत हो जाने को तत्पर बैठे हैं
भूलना नहीं चाहिए कि हम उस देश मे रहते हैं जहां बहुत कुछ बर्दाश्त कर लिया जाता है. मुद्दों पर सेलेक्टिव चुप्पी भी किसी से छुपी नहीं. लेकिन जब धर्म से जुड़ी बात हो तो भावनाओं को आहत होने में पल भर भी नहीं लगता और पूरा देश एक साथ उठ खड़ा होता है. कृष्ण जो जन जन में समाए हैं.
सबके हॄदय में बसे हैं. उनकी छवि को कोई दाग लगे, यह कैसे बर्दाश्त होगा? कुल मिलाकर हमने ये अधिकार किसी को दिया ही नहीं कि वो हमारी सदियों से चली आ रही मान्यता और आस्था से खिलवाड़ कर चुपचाप बरी हो जाए.
धर्मगुरुओं को भी नहीं बख्शा जाता. ऐसे में आध्यात्म गुरु मोरारी बापू का वक्तव्य बर्र के छत्ते में हाथ डाल लेने जैसा है. यद्यपि पूरा वीडियो देख लेने के बाद उनका तात्पर्य कृष्ण की छवि को बिगाड़ने का कतई नहीं लग रहा बल्कि वे तो उनकी पीड़ा की ही बात कह रहे हैं.
हाल ही में मोरारी (Morari Bapu) बापू से भाजपा के पूर्व विधायक पबुभा माणेक (Pabubha Manek) के उत्तेजक व्यवहार की ख़बर सुर्ख़ियों में है. इस घटना के समय जब मोरारी बापू द्वारका मंदिर परिसर में बैठ मीडिया से बात कर रहे थे, तभी अचानक पबुभा माणेक उन पर बुरी तरह बिगड़ने लगे. उनका यह क्रोध भगवान श्रीकृष्ण के बारे में बापू द्वारा की गई एक कथित आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर अपने पूरे उबाल पर था. दरअसल बापू ने उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में रामकथा के दौरान एक सन्दर्भ में यह कह दिया था कि श्रीकृष्ण (Lord Krishna) के भाई बलराम मदिरापान करते थे. इस वाक़ये से मोरारी बापू के समर्थक जहां तनाव में हैं वहीं उस विरोधी ख़ेमे में ख़ुशी की लहर दौड़ गई है जो उनके सेकुलरिज्म को गाली की तरह देखता आया है.
लोग तो आहत हो जाने को तत्पर बैठे हैं
भूलना नहीं चाहिए कि हम उस देश मे रहते हैं जहां बहुत कुछ बर्दाश्त कर लिया जाता है. मुद्दों पर सेलेक्टिव चुप्पी भी किसी से छुपी नहीं. लेकिन जब धर्म से जुड़ी बात हो तो भावनाओं को आहत होने में पल भर भी नहीं लगता और पूरा देश एक साथ उठ खड़ा होता है. कृष्ण जो जन जन में समाए हैं.
सबके हॄदय में बसे हैं. उनकी छवि को कोई दाग लगे, यह कैसे बर्दाश्त होगा? कुल मिलाकर हमने ये अधिकार किसी को दिया ही नहीं कि वो हमारी सदियों से चली आ रही मान्यता और आस्था से खिलवाड़ कर चुपचाप बरी हो जाए.
धर्मगुरुओं को भी नहीं बख्शा जाता. ऐसे में आध्यात्म गुरु मोरारी बापू का वक्तव्य बर्र के छत्ते में हाथ डाल लेने जैसा है. यद्यपि पूरा वीडियो देख लेने के बाद उनका तात्पर्य कृष्ण की छवि को बिगाड़ने का कतई नहीं लग रहा बल्कि वे तो उनकी पीड़ा की ही बात कह रहे हैं.
क्या है विरोध की वज़ह?
मोरारी बापू ने श्रीकृष्ण और बलराम के बारे में जो कुछ भी कहा उसके कारण वे यदुवंशियों के कोपभाजन बन बैठे हैं. लोगों का कहना है कि बापू की टिप्पणी से भगवान श्रीकृष्ण और उनके भाई बलराम का अपमान हुआ है. हाल ही में कथित तौर पर मोरारी बापू ने भगवान श्रीकृष्ण के भाई बलराम को शराबी कहा था. कथा के इस अंश का वीडियो जब वायरल हुआ तो इसका जमकर विरोध हुआ और गुस्सा भी ख़ूब भड़का.
वीडियो का पूरा सच क्या है?
बापू ने कृष्ण की पीड़ा व्यक्त करते हुए उक्त बातें कहीं थीं. लेकिन जैसा कि होता आया है कि एक टुकड़े को उठाकर वायरल कर दिया जाता है. यहां भी यही हुआ. मोरारी बापू के शब्द हूबहू ये थे, 'जो कृष्ण ने गीता में कहा, धर्म संस्थापनार्थाय. मैं धर्म के स्थापन के लिए आता हूं. ये आदमी पूरे संसार में धर्म स्थापना के लिए टूट गया, द्वारका में धर्म स्थापन न कर सका Fail!! Totally Fail हुआ द्वारका में धर्म स्थापन? उसकी जनता, उसके बेटे, उसके बेटे के बेटे धूम शराब पीते थे.
द्वारका के राजमार्ग पर शराब पीते थे. कुछ बातें तो मैं आपको न बताऊं, वो ही अच्छा है लेकिन जो है, है. छेड़छाड़ होती थी. न दिन कोई देखता था, न रात. और उनके परिवार के लोग और पीने के लिए जब कोई पाबंदी आती, डराती तो चोरी करने में भी चूक नहीं करते थे. जो-जो अधर्म के लक्षण थे, सब दिखाई देते थे. ये तो तब जाना गया, शताब्दी के दूसरे दिन रात को.
नारद ने विदाई नहीं ली है, उद्धव ने विदाई नहीं ली है. दोनों कृष्ण की आज्ञा लेकर द्वारका की रात्रिचर्या देखने के लिए निकलते हैं कि द्वारका में क्या हो रहा है. कृष्ण के चेहरे से दोनों रो पड़ते हैं कि आदमी बहुत दुःखी है. गुजराती में कवि काग ने लिखा है. 'गोविन्द तूने अवतार लेकर सुख पाया कि दुःख पाया?' तेरे परिवार में तेरी कोई कही बात, जिसका शब्द सुनकर ब्रह्माण्ड हिल जाता था.
दुर्योधन की सभा में संधि का प्रस्ताव लेकर जब योगेश्वर जाते हैं. अस्सी-अस्सी हजार साल की तपस्या छोड़कर विन्ध्य्वासी, हिमालयवासी, मेरु के वासी, महात्मा समाधि छोड़कर भागे जा रहे थे हस्तिनापुर. किसी ने पूछा, 'योगियों कहां जा रहे हो?' बोले, 'आज भगवान कृष्ण बोलने वाले हैं. ये वचन यदि सुनने में रह गए तो हमारा तप बेकार गया.' उसका एक बोल (यह हिस्सा समझ नहीं आया) उसका बड़ा भाई दाऊ चौबीस घंटों पीता था बलराम!'
पूर्व विधायक का स्पष्टीकरण
पूर्व विधायक ने अपना पक्ष रखते हुए यह स्पष्ट किया कि उनकी भाव-भंगिमा का गलत अर्थ ले लिया गया है. उनकी हमला करने की या अन्य किसी भी तरह की कोई बुरी मंशा नहीं थी. वे तो बापू से बस ये जानना चाहते थे कि 'उन्होंने ऐसे शब्द क्यों कहे और कहां से उन्हें यह जानकारी प्राप्त हुई. बापू ने कथा के दौरान जो वक्तव्य दिया था, वह किस धार्मिक पुस्तक में लिखा है?'
बापू ने क्षमा मांग ली है
मोरारी बापू ने पहले भी सार्वजनिक रूप से क्षमा मांग ली थी पर यह विवाद शांत होता नज़र नहीं आ रहा था. इसी कारण वे गुजरात के द्वारकाधीश मंदिर में भगवान कृष्ण के भक्तों के सामने अपना पक्ष रखना चाहते थे. जहां इस मामले ने और तूल पकड लिया.
हाल ही में उन्होंने सोशल मीडिया पर एक भावुक वीडियो शेयर करते हुए व्यथित ह्रदय से कहा है कि 'संपूर्ण विश्व उनका परिवार है. उनके कारण किसी को दुख पहुंचे, उससे पहले वे समाधि लेना पसंद करेंगे'. उनकी आंखों से बहती अश्रुधारा के सन्दर्भ में वे बोले कि 'ये आंसू उनकी आंख से नहीं, आत्मा से निकल रहे हैं'.
उन्होंने यह भी कहा कि वे समूचे जगत को अपना परिवार मानते हैं, भले ही आप उन्हें अपना मानें या न मानें. इस समय जबकि हम पहले से ही कोरोना से जूझ रहे हैं. गलवान घाटी में चीनी सैनिकों की करतूत से देश भर में दुःख व्याप्त है. ऐसे में प्रार्थना कीजिये कि इस तरह की धार्मिक घटनाएं कहीं एक और नए महाभारत की नींव न रख दें.
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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.