9 जुलाई 2017 को जब इराकी प्रधानमंत्री हैदर अल अबादी ने आधिकारिक तौर पर मोसुल को ISIS के चंगुल से मुक्त घोषित किया तो पूरे विश्व ने राहत की सांस ली. मोसुल ही वो जगह थी जहां के मस्जिद से साल 2014 में अबू बकर अल बग़दादी ने अपने आप को विश्व का खलीफा घोषित कर दिया था. बग़दादी के जेहादी शासन में मोसुल में चरमपंथियों ने इस्लामी कानून लागू कर दिया. जिसमें लोगों को मामूली गलती के लिए भी बर्बर सजाएं, महिलाओं के लिए अलग कानून समेत तमाम तरह की पाबंदियां लगायी गयी. हालांकि मोसुल अब ISIS के चंगुल से मुक्त हो चुका है, मगर ISIS ने पिछले तीन साल के दौरान इस शहर को जो जख्म दिए हैं उससे मुक्त होने में शायद इस शहर को कई वर्ष और लग जायेंगे.
ISIS से मुक्त होने के बाद आज इस शहर में सिवाय खंडहरों और नर कंकालों के आलावा कुछ भी नहीं बचा है. जिस शहर में कभी लगभग 20 लाख लोग जीवन यापन किया करते थे, वहां 8,75,000 लोगों को ISIS की कब्जे की बाद अपना घर छोड़ना पड़ा, इन लोगों में अधिकतर अपने घर वापस नहीं लौट सकते क्योंकि उनके घर की जगहों पर आज केवल मलबे ही बाकी रह गए हैं.
निनेवेह रिकंस्ट्रक्शन कमिटी के रिपोर्ट के अनुसार मोसुल की 75 फीसदी सड़कें बर्बाद हो चुकी हैं, रिपोर्ट के अनुसार शहर के लगभग सारे पुलों को बर्बाद कर दिया गया है. शहर की बिजली व्यवस्था की भी स्थिति दयनीय है, शहर की 65 फीसदी बिजली का नेटवर्क बर्बाद हो चुका है. ISIS ने शहर की पाइपलाइन नेटवर्क को भी पूरी तरह ध्वस्त कर दिया है.
ISIS की लड़ाकों ने जाते जाते मोसुल की नूरी मस्जिद को भी ध्वस्त कर दिया, 12वीं सदी का यह मस्जिद मोसुलवासिओं की लिए काफी खास था और इसी मस्जिद से...
9 जुलाई 2017 को जब इराकी प्रधानमंत्री हैदर अल अबादी ने आधिकारिक तौर पर मोसुल को ISIS के चंगुल से मुक्त घोषित किया तो पूरे विश्व ने राहत की सांस ली. मोसुल ही वो जगह थी जहां के मस्जिद से साल 2014 में अबू बकर अल बग़दादी ने अपने आप को विश्व का खलीफा घोषित कर दिया था. बग़दादी के जेहादी शासन में मोसुल में चरमपंथियों ने इस्लामी कानून लागू कर दिया. जिसमें लोगों को मामूली गलती के लिए भी बर्बर सजाएं, महिलाओं के लिए अलग कानून समेत तमाम तरह की पाबंदियां लगायी गयी. हालांकि मोसुल अब ISIS के चंगुल से मुक्त हो चुका है, मगर ISIS ने पिछले तीन साल के दौरान इस शहर को जो जख्म दिए हैं उससे मुक्त होने में शायद इस शहर को कई वर्ष और लग जायेंगे.
ISIS से मुक्त होने के बाद आज इस शहर में सिवाय खंडहरों और नर कंकालों के आलावा कुछ भी नहीं बचा है. जिस शहर में कभी लगभग 20 लाख लोग जीवन यापन किया करते थे, वहां 8,75,000 लोगों को ISIS की कब्जे की बाद अपना घर छोड़ना पड़ा, इन लोगों में अधिकतर अपने घर वापस नहीं लौट सकते क्योंकि उनके घर की जगहों पर आज केवल मलबे ही बाकी रह गए हैं.
निनेवेह रिकंस्ट्रक्शन कमिटी के रिपोर्ट के अनुसार मोसुल की 75 फीसदी सड़कें बर्बाद हो चुकी हैं, रिपोर्ट के अनुसार शहर के लगभग सारे पुलों को बर्बाद कर दिया गया है. शहर की बिजली व्यवस्था की भी स्थिति दयनीय है, शहर की 65 फीसदी बिजली का नेटवर्क बर्बाद हो चुका है. ISIS ने शहर की पाइपलाइन नेटवर्क को भी पूरी तरह ध्वस्त कर दिया है.
ISIS की लड़ाकों ने जाते जाते मोसुल की नूरी मस्जिद को भी ध्वस्त कर दिया, 12वीं सदी का यह मस्जिद मोसुलवासिओं की लिए काफी खास था और इसी मस्जिद से ISIS ने अपने साम्राज्य की भी घोषणा की थी.
फिर से उठ खड़ा होने की कवायद
हालांकि ISIS ने जिस बुरी तरह से मोसुल को बर्बाद किया है, उसमें इस शहर को फिर से बसाने में लगने वाले समय और पैसों का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सका है. प्रशासन अब भी इलाके में हुई बर्बादी का जायजा ले रही है. हालांकि जनवरी 2017 में इराक की सरकार ने ईस्ट मोसुल में पुनर्वास की लिए 27 योजनाओं की घोषणा की थी, मगर इनमें से ज्यादातर योजनाएं अभी भी शुरू नहीं की जा सकी हैं. मगर आम लोगों ने अपने इस शहर को फिर से बसाने की लिए अपने स्तर पर कई तरह की योजनाएं शुरू कर दी हैं.
आम लोग खुद ही शहर को फिर से बसाने में अपना सहयोग दे रहे हैं. हजारों लोगों ने छोटे-छोटे समूह बनाकर शहर के प्रमुख बिल्डिंग्स, हॉस्पिटल्स को सुचारु रूप से काम करने में मदद कर रहे हैं. लोगों ने कई अहम् चीजों को फिर से शुरू भी करा दिया है. और शहर के बाजार एक बार फिर गुलज़ार होते दिखाई दे रहे हैं.
हालांकि इराक के लिए तबाही कोई नयी बात नहीं है, पहले भी इराक युद्धों में बर्बाद हो चुका है, और हर बार उठ खड़ा हुआ है. और इस बार भी उम्मीद यही की जानी चाहिए कि विश्व के ऐतिहासिक शहरों में शुमार यह शहर फिर से गुलजार हो जाए.
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