मां भी ना कमाल ही करती हैं...जिन कामों को करने में हमें नानी याद आ जाए वो चुटकी बजाकर झट से कर देती हैं. हम इधर सोचते ही रह जाते हैं कि, मम्मी ने इतना कठिन काम इतनी आसानी से कैसे कर लिया. ऐसा ही कारनामा एक 53 साल की मां ने किया है. जिनका नाम कल्पना है. इनकी कहानी इनके बेटे प्रसाद जंभाले (Prasad Jambhale) ने अपने लिंक्डइन (LinkedIn) अकाउंट पर शेयर किया है. जो पेशे से मास्टरकार्ड में सीनियर सॉफ़्टवेयर इंजीनियर हैं और आयरलैंड में रहते हैं.
LinkedIn पर एक सॉफ़्टवेयर इंजीनियर बेटे की पोस्ट देखने के लिए यहां क्किल करें-
हां तो हम बात उस महिला की कर रहे हैं जो पढ़ने में काफी होनहार थी, लेकिन पिता की मौत के बाद घर की आर्थिक स्तिथी कमजोर हो गई. कल्पना के घर पर मुसीबत आन पड़ी. इसलिए उसने अपनी पढ़ाई छोड़कर 16 साल की उम्र में नौकरी करनी शुरु कर दी, ताकि उसके छोटे-भाई बहन पढ़ सकें. एक दिन कल्पना की शादी हो गई और वह अपनी गृहस्थी को संभालने में लग गईं.
एक गृहिणी को अपने घर, बच्चों, पति, सास, सुसुर, देवर, ननद और दूसरे रिश्तेदारों की भी ख्याल रखना होता है. रसोई में खाना बनाने के साथ ही पूरे घर की छोटी से छोटी और बड़ी जिम्मेदारी को संभालना पड़ता है. वह दूसरों की खुशी का ध्यान रखने में खुद को तो भूल ही जाती है. इस मां की उम्र लगभग 90 के दशक के बच्चों की मांओं के बराबर ही होगी.
उस जमाने की अधिकतर मांओं ने अपनी आधी से अधिक जिंदगी अपने घर-संसार और बच्चों को संभालने में ही बिता दी. कई माएं तो ऐसी हैं जो अनपढ़ हैं. उन्होंने अपने सपने को बच्चों को सपनों को पूरा करने में झोंक दिया. वे सारी उम्र ना अपने बारे में सोची ना कुछ...
मां भी ना कमाल ही करती हैं...जिन कामों को करने में हमें नानी याद आ जाए वो चुटकी बजाकर झट से कर देती हैं. हम इधर सोचते ही रह जाते हैं कि, मम्मी ने इतना कठिन काम इतनी आसानी से कैसे कर लिया. ऐसा ही कारनामा एक 53 साल की मां ने किया है. जिनका नाम कल्पना है. इनकी कहानी इनके बेटे प्रसाद जंभाले (Prasad Jambhale) ने अपने लिंक्डइन (LinkedIn) अकाउंट पर शेयर किया है. जो पेशे से मास्टरकार्ड में सीनियर सॉफ़्टवेयर इंजीनियर हैं और आयरलैंड में रहते हैं.
LinkedIn पर एक सॉफ़्टवेयर इंजीनियर बेटे की पोस्ट देखने के लिए यहां क्किल करें-
हां तो हम बात उस महिला की कर रहे हैं जो पढ़ने में काफी होनहार थी, लेकिन पिता की मौत के बाद घर की आर्थिक स्तिथी कमजोर हो गई. कल्पना के घर पर मुसीबत आन पड़ी. इसलिए उसने अपनी पढ़ाई छोड़कर 16 साल की उम्र में नौकरी करनी शुरु कर दी, ताकि उसके छोटे-भाई बहन पढ़ सकें. एक दिन कल्पना की शादी हो गई और वह अपनी गृहस्थी को संभालने में लग गईं.
एक गृहिणी को अपने घर, बच्चों, पति, सास, सुसुर, देवर, ननद और दूसरे रिश्तेदारों की भी ख्याल रखना होता है. रसोई में खाना बनाने के साथ ही पूरे घर की छोटी से छोटी और बड़ी जिम्मेदारी को संभालना पड़ता है. वह दूसरों की खुशी का ध्यान रखने में खुद को तो भूल ही जाती है. इस मां की उम्र लगभग 90 के दशक के बच्चों की मांओं के बराबर ही होगी.
उस जमाने की अधिकतर मांओं ने अपनी आधी से अधिक जिंदगी अपने घर-संसार और बच्चों को संभालने में ही बिता दी. कई माएं तो ऐसी हैं जो अनपढ़ हैं. उन्होंने अपने सपने को बच्चों को सपनों को पूरा करने में झोंक दिया. वे सारी उम्र ना अपने बारे में सोची ना कुछ अपने लिए किया.
एक बार पढ़ाई छूटी तो दोबारा शुरु करना आसाना नहीं होता. वो भी 53 की उम्र में घर की महिलाएं जिम्मेदारियों के बोझ तले थक चुकी होती हैं. घर संभालने में रमी यह मां भी 37 सालों तक पढ़ाई से दूर रहीं. वे बच्चों की पढ़ाई, नौकरी और फिर उनकी शादी की चिंता में लगी रहीं. एक दिन वह किसी काम से सरकारी स्कूल गई.
जहां उन्हें एक टीचर ने बताया कि जो लोग किसी भी वजह से 10वीं की परीक्षा नहीं दे पाए थे, वे दोबारा पढ़ाई शुरु कर सकते हैं. उनकी कॉपी, किताबें ऑफलाइन, ऑनलाइन पढ़ाई और ट्रेंनिंग का खर्चा सरकार ही उठाएगी.
इसके बाद इस मां ने बिना किसी को बताए सीक्रेट तरीके से दिसंबर 2021 में 37 साल बाद दोबारा से अपनी पढ़ाई शुरु की. इस बात की जानकारी उनके पति और दोनों बेटों को भी नहीं थी. उन्होंने नाइट स्कूल में चुपके से अपना दाखिला भी करा लिया. वे महीने भर रोज शाम को स्कूल जाती थीं और घर में छोटे बेटे और पति को पता था कि वे वॉक करने गईं है.
बड़ा बेटा जब आयरलैंड से फोन पर मां के बारे में पूछता तो उसे यही बताया जाता कि वह तो टहलने गईं है. बेटे को लगता है कि शायद मां को अपनी हेल्थ ती टेंशन में टहलने का शौक आ गया है. अब 53 साल की उम्र में टहलने जाना कौन सी बड़ी बात है.
जब बेटा घर आया तो उसने मां को रात में पढ़ते हुए देखा. बेटे ने मां के नोट्स देखे तो पाया कि वह एलजेब्रा और अंग्रेजी में कमाल कर रही हैं. अब सभी को पता चल गया था कि वो 10वीं का पेपर देने वाली हैं. उनकी परीक्षा मार्च में थी और बेटे की शादी फरवरी में. उन्होंने बेटे की शादी का सारा काम भी संभाला और परीक्षा भी दी.
अब जिसने इतने साल घर संभाला हो, उसके लिए शादी और अपनी परीक्षा संभालना कौन सी बड़ी बात थी. मां ने खूब मेहनत की, रातों को जगी और 10वीं की परीक्षा 79.6 यानी 80 प्रतिशत नबरों के साथ पास की. जब परिणाम आया तो बच्चों की खुशी का ठिकाना नहीं था. मां बिल्कुल उस क्लास 10 की बच्ची की तरह चहक रही थी जो अच्छे नंबर लाने पर खुश होती है. बेटे हैरान था और मां पर गर्व महसूस कर रहा था. उसने लिखा है कि जो सुविधाएं हमें मिली अगर वह मां को मिली होतीं तो आज वे ना जाने क्या कमाल कर रही होतीं.
सच में हमेशा माता-पिता बच्चों के अच्छे नंबर आने पर उन्हें प्राउड ऑफ यू बोलते हैं लेकिन आज एक बेटे ने बड़े ही गर्व के साथ मां की मार्कशीट शेयर की है. कोई महिला जब उम्र के इस पड़ाव पर आकर कुछ नया करती है या सीखती है तो लोग उसका मजाक उड़ाते हैं. हालांकि अगर मन में कुछ करने की ललक हो तो उम्र मायने नहीं रखती है. इस मां ने बताया है कि कुछ करने की ललक हो तो उम्र मायने नहीं रखती है. हमारे जनरेशन में ऐसे कई बच्चों की मां हैं जो पढ़-निख नहीं पातीं, लेकिन अगर वे अपना हस्ताक्षर करना ही सीख लें तो खुश हो जाती हैं कि वे अपना नाम लिख सकती हैं. उन्हें अब अंगूठा नहीं लगाा पड़ेगा.
नील बटे सन्नाटा सी कहानी-
साल 2016 में एक फिल्म आई थी नील बटे सन्नाटा. जिसमें मां अपनी बेटी की पढ़ाई के लिए उसके स्कूल में एडमिशन ले लेती है. वह 10वीं की परीक्षा पास करने के लिए जोतोड़ मेहनत करती है. वह चाहती है कि उसकी बेटी अच्छे नंबरों से पास हो. हालांकि बेटी नहीं चाहती कि उसकी मां स्कूल आए, उसे इसमें अपनी बेइज्जती महसूस होती है. इसस पर मां कहती है कि अगर वह गणित में उससे अधिक नंबर लाएगी तो वह स्कूल जाना बंद कर देगी...
इस मां ने 10वीं की परीक्षा पास करके बता दिया है कि मेहनत, हिम्मत और फोकस रहे तो गृहिणियां वह सब कर सकती हैं जो वे चाहती हैं. तो अगर आप भी फिर से पढ़ना चाहती हैं तो अपने पास के सरकारी स्कूल में जाकर फॉर्म भर सकती हैं. सच में इस मां ने हाउसवाइफ की आंखों में एक बार फिर से सपनों का बीज बो दिया है और उनकी आदर्श बन गईं हैं...बधाई हो मां तुमने आखिरकार कर दिखाया है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.