बधाई हो, बेटा (Son) हुआ है...यह सुनकर एक मां के मन को खुशी नहीं हुई, क्योंकि उसे बेटी (Daughter) चाहिए थी. वह जब से गर्भवती हुई थी यही मन्नत मांग रही थी कि उसे बेटी हो. वह हर दिन बेटी के लिए प्रार्थना कर रही थी. उसने अपनी भाभी से कहा भी था कि उसे बेटी ही चाहिए. मगर जब उसे बेटा पैदा हो गया तो वह दुखी हो गई. इतना दुखी कि उसने अपने बेटे को स्तनपान तक नहीं कराया.
वह अस्पताल से घर तो आ गई मगर उसके मन में बेटी की चाहत की बात खटकती रही. यही वजह थी कि वह बेटे को पसंद नहीं करती थी और 10 दिनों बाद उसने बेटे को घर के सामने कुएं में फेंक कर मार डाला. यह मामला कर्नाटक के मंगलुरु का है.
अभी तक ऐसी खबरें सामने आती रही हैं कि बेटी के पैदा होते ही उसे मार डाला क्यों कि बेटा चाहिए था. बेटी के पैदा होते ही उसे कूढ़े की ढेर पर लावारिस छोड़ा...ऐसे में यह मामला हैरान करने वाला है. लोगों को इस खबर पर यकीन करना मुश्किल हो रहा है, मगर यह सच है. घटना दक्षिण कन्नड़ जिला के सुलिया तालुक स्थित कूटकुंजा गांव की है.
अक्सर लोग बेटे की चाहत रखते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि बेटा बुढ़़ापे का सहारा होगा. वह खानदान के नाम को आगे बढ़ाएगा. वह वंश को चलाएगा. वह कुल का दीपक होगा. जबकि बेटियां तो पराया धन होती हैं जो शादी के बाद किसी दूसरे के घर चली जाती हैं.
नवजात को मारने का आरोप जिस महिला पर लगा है उसका नाम पवित्रा है. पवित्रा की 4 साल पहले पहली शादी हुई थी. शादी के बाद ही उसकी पति से अनबन होने लगी. उसकी पति से बनती नहीं थी, दोनों में विवाद इतना बढ़ गया है कि वे अलग हो गए. इसके बाद पवित्रा की दूसरी शादी तुमकुरु में सीरा के मणिकांत से की गई. पवित्रा इस शादी से भी खुश नहीं...
बधाई हो, बेटा (Son) हुआ है...यह सुनकर एक मां के मन को खुशी नहीं हुई, क्योंकि उसे बेटी (Daughter) चाहिए थी. वह जब से गर्भवती हुई थी यही मन्नत मांग रही थी कि उसे बेटी हो. वह हर दिन बेटी के लिए प्रार्थना कर रही थी. उसने अपनी भाभी से कहा भी था कि उसे बेटी ही चाहिए. मगर जब उसे बेटा पैदा हो गया तो वह दुखी हो गई. इतना दुखी कि उसने अपने बेटे को स्तनपान तक नहीं कराया.
वह अस्पताल से घर तो आ गई मगर उसके मन में बेटी की चाहत की बात खटकती रही. यही वजह थी कि वह बेटे को पसंद नहीं करती थी और 10 दिनों बाद उसने बेटे को घर के सामने कुएं में फेंक कर मार डाला. यह मामला कर्नाटक के मंगलुरु का है.
अभी तक ऐसी खबरें सामने आती रही हैं कि बेटी के पैदा होते ही उसे मार डाला क्यों कि बेटा चाहिए था. बेटी के पैदा होते ही उसे कूढ़े की ढेर पर लावारिस छोड़ा...ऐसे में यह मामला हैरान करने वाला है. लोगों को इस खबर पर यकीन करना मुश्किल हो रहा है, मगर यह सच है. घटना दक्षिण कन्नड़ जिला के सुलिया तालुक स्थित कूटकुंजा गांव की है.
अक्सर लोग बेटे की चाहत रखते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि बेटा बुढ़़ापे का सहारा होगा. वह खानदान के नाम को आगे बढ़ाएगा. वह वंश को चलाएगा. वह कुल का दीपक होगा. जबकि बेटियां तो पराया धन होती हैं जो शादी के बाद किसी दूसरे के घर चली जाती हैं.
नवजात को मारने का आरोप जिस महिला पर लगा है उसका नाम पवित्रा है. पवित्रा की 4 साल पहले पहली शादी हुई थी. शादी के बाद ही उसकी पति से अनबन होने लगी. उसकी पति से बनती नहीं थी, दोनों में विवाद इतना बढ़ गया है कि वे अलग हो गए. इसके बाद पवित्रा की दूसरी शादी तुमकुरु में सीरा के मणिकांत से की गई. पवित्रा इस शादी से भी खुश नहीं थी. आए दिन उसका पति से झगड़ा होता रहता. इस तरह उसे पुरुष जाति से ही नफरत होने लगी. इतनी नफरत कि वह बेटे को जन्म नहीं देना चाहती थी. वह मानसिक रूप से परेशान रहने लगी. वह सिर्फ बच्चे की डिलीवरी के लिए इस उम्मीद के साथ मायके गई कि उसे बेटी होगी. मगर जब उसने बेटे को जन्म दिया तो मन ही मन पछताने लगी. वह बेटे से मन ही मन इतना चिढ़ने लगी कि जन्म के बाद उसे हाथ तक नहीं लगाया.
भले ही महिला को दोनों शादियों में प्रताड़ित किया गया. भले ही उसकी शादियां नहीं निभ पाईं. भले ही वह बेटी को पैदा करना चाहती थी मगर उसने जो बेटे के साथ किया वह कहीं से भी माफी के लायक नहीं है.
पवित्रा की भाभी ने जब बच्चे को कुएं में देखा तो शोर मचाया. आस-पास मौजूद लोग इकट्ठा हो गए. उन्होंने बच्चे को कुएं से बाहर निकाला और अस्पताल लेकर गए मगर तब तक बच्चा मर चुका था. फिलहाल महिला जेल में है. काश की यह खबर झूठ होती मगर अफसोस की यह सही है....
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