आपसे अगर पूछा जाए कि 'मां' का एक शब्द में वर्णन कीजिए तो कैसे करेंगे? एक-मात्र शब्द? कविता-कहानी-उपन्यास तो दूर, कोई वाक्य तक नहीं। केवल और केवल एक शब्द में मां को समेटने की कोशिश तो कीजिए ज़रा!
मां 'क्षमा' है। जानते हैं 'क्षमा' का अर्थ? जानते ही होंगे। माफ़ करना, ग़लती भूल जाना। जानते हैं हमारी सबसे बड़ी मां कौन है? जानते हैं 'क्षमा' किसे कहते हैं? 'क्षमा' पृथ्वी का पर्यायवाची है। वह मां जो सबको-सबका-सब-कुछ सहती है, वही क्षमा है। वह हमें माफ़ करती आ रही है, हमारी नादानियों को नज़रअंदाज़ करती। कोई ताज़्ज़ुब की बात नहीं कि उर्दू की माफ़ी (मुआफ़ी) और हिन्दी की क्षमा में 'मा' की ध्वनि गूँजती है. मां की तरह कोई हमें माफ़ भी तो नहीं कर सकता न !
लेकिन 'मा' का संस्कृत में अर्थ 'नहीं' भी होता है। मां हमें क्षमा करती जा रही है , वह हमें माफ़ी-पे-माफ़ी दे रही है लेकिन 'मा' भी कर रही है। मत करो बेटे, मत करो बेटी। मत करो, मत करो, मत करो। बस, बस, बस। इसी 'क्षम' से 'सक्षम' बना है। जो माफ़ करने की क़ाबिलियत रखता है, वह पहले झेलने और सहने की क़ाबिलियत रखता होगा। मां पहले सहने में सक्षम है, इसीलिए वह क्षमा है।
लेकिन सक्षम वह हमें दण्ड देने में भी है। वह यह कर सकती है, लेकिन करती नहीं है। उसके पास 'क्ष' है लेकिन 'म' भी है। जानते हैं 'क्ष' किसे कहते हैं? 'क्ष' कहते हैं प्रलय को, नाश को, विप्लव को। मां के 'क्ष' पर उसका 'म' भारी है, इसीलिए हम-सब ज़िन्दा हैं। प्रयास कीजिए कि मां 'क्ष' का प्रयोग न करे, 'म' में ही बनी रहे। नहीं तो हम नहीं बचेंगे। पृथ्वी को वृद्धाश्रम मत बनाइए...!!!
मां 'क्षमा' है। जानते हैं 'क्षमा' का अर्थ? जानते ही होंगे। माफ़ करना, ग़लती भूल जाना। जानते हैं हमारी सबसे बड़ी मां कौन है? जानते हैं 'क्षमा' किसे कहते हैं? 'क्षमा' पृथ्वी का पर्यायवाची है। वह मां जो सबको-सबका-सब-कुछ सहती है, वही क्षमा है। वह हमें माफ़ करती आ रही है, हमारी नादानियों को नज़रअंदाज़ करती। कोई ताज़्ज़ुब की बात नहीं कि उर्दू की माफ़ी (मुआफ़ी) और हिन्दी की क्षमा में 'मा' की ध्वनि गूँजती है. मां की तरह कोई हमें माफ़ भी तो नहीं कर सकता न !
लेकिन 'मा' का संस्कृत में अर्थ 'नहीं' भी होता है। मां हमें क्षमा करती जा रही है , वह हमें माफ़ी-पे-माफ़ी दे रही है लेकिन 'मा' भी कर रही है। मत करो बेटे, मत करो बेटी। मत करो, मत करो, मत करो। बस, बस, बस। इसी 'क्षम' से 'सक्षम' बना है। जो माफ़ करने की क़ाबिलियत रखता है, वह पहले झेलने और सहने की क़ाबिलियत रखता होगा। मां पहले सहने में सक्षम है, इसीलिए वह क्षमा है।
लेकिन सक्षम वह हमें दण्ड देने में भी है। वह यह कर सकती है, लेकिन करती नहीं है। उसके पास 'क्ष' है लेकिन 'म' भी है। जानते हैं 'क्ष' किसे कहते हैं? 'क्ष' कहते हैं प्रलय को, नाश को, विप्लव को। मां के 'क्ष' पर उसका 'म' भारी है, इसीलिए हम-सब ज़िन्दा हैं। प्रयास कीजिए कि मां 'क्ष' का प्रयोग न करे, 'म' में ही बनी रहे। नहीं तो हम नहीं बचेंगे। पृथ्वी को वृद्धाश्रम मत बनाइए...!!!
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.