आज सुबह मेरी नजर एक खबर पर पड़ी. मुंबई के अंधेरी स्टेशन के पास गोखले रोड ओवरब्रिज का एक हिस्सा मंगलवार सुबह गिर गया. इस हादसे में 6 लोग घायल हुए हैं, जिनमें से दो लोग आईसीयू में हैं. इस खबर को पढ़कर मन थोड़ा विचलित हो गया. ये वही ब्रिज था जिससे मैं कभी गुजरी थी.
2015 नवंबर का कोई दिन रहा होगा जब मैं इसी ब्रिज से जा रही थी. मुंबई में वैसे तो हर जगह भीड़ रहती है, लेकिन अगर बात ऑफिस टाइम और लोकल स्टेशन या लोकल ब्रिज की हो रही हो तो यकीनन ये सबसे खतरनाक स्थिति कही जा सकती है. मैं भी अधेंरी स्टेशन पर ही थी. स्लो लोकल की जगह फास्ट लोकल पकड़ने के कारण मुझे ट्रेन बदलने के लिए अंधेरी स्टेशन पर उतरना पड़ा. जब मैं उतरी तो स्टेशन पर काफी भीड़ थी.
थोड़ा इंतज़ार के बाद ट्रेन आई, लेकिन मैं उसमें चढ़ न सकी. मुंबई में नई थी मैं और उस समय इतनी भरी हुई लोकल में चढ़ना नहीं आता था मुझे. थोड़ा इंतज़ार करने के बाद मैंने सोचा कि स्टेशन के बाहर जाकर कोई ऑटो या टैक्सी ले लेती हूं. बाहर निकलने पर देखा तो पता चला कि मैं ईस्ट साइड थी और वेस्ट साइड जाकर मेरे लिए ऑटो लेना सही होगा.
उस समय मैं भी इसी ब्रिज पर चढ़ी थी. उस समय भी ये ब्रिज खचाखच भरा हुआ था. कुछ स्कूल के बच्चे, कई ऑफिस जाने वाले लोग, कुछ डब्बे वाले, कुछ महिलाएं सभी तेज़ी से इस ओर से उस ओर जा रहे थे. एक छोटा सा ब्रिज पार करने में मुझे 10 मिनट से ज्यादा का समय लग गया था. कारण थी भीड़. इसी बीच कुछ लड़के तेज़ी से भागते हुए भी मेरे पास से निकले थे. मैं लगभग लड़खड़ा ही गई थी. उस समय ब्रिज से निकलने की जितनी जल्दी थी वो मैं बता नहीं सकती. ये वो समय था जब मुंबई डरा रही थी. चारों तरफ लोग ही लोग.
अगर उस जैसी स्थिति आज होती तो यकीनन ये हादसा और बड़ा हो सकता था. आज जब ब्रिज का एक हिस्सा गिरा तो लोग कम थे....
आज सुबह मेरी नजर एक खबर पर पड़ी. मुंबई के अंधेरी स्टेशन के पास गोखले रोड ओवरब्रिज का एक हिस्सा मंगलवार सुबह गिर गया. इस हादसे में 6 लोग घायल हुए हैं, जिनमें से दो लोग आईसीयू में हैं. इस खबर को पढ़कर मन थोड़ा विचलित हो गया. ये वही ब्रिज था जिससे मैं कभी गुजरी थी.
2015 नवंबर का कोई दिन रहा होगा जब मैं इसी ब्रिज से जा रही थी. मुंबई में वैसे तो हर जगह भीड़ रहती है, लेकिन अगर बात ऑफिस टाइम और लोकल स्टेशन या लोकल ब्रिज की हो रही हो तो यकीनन ये सबसे खतरनाक स्थिति कही जा सकती है. मैं भी अधेंरी स्टेशन पर ही थी. स्लो लोकल की जगह फास्ट लोकल पकड़ने के कारण मुझे ट्रेन बदलने के लिए अंधेरी स्टेशन पर उतरना पड़ा. जब मैं उतरी तो स्टेशन पर काफी भीड़ थी.
थोड़ा इंतज़ार के बाद ट्रेन आई, लेकिन मैं उसमें चढ़ न सकी. मुंबई में नई थी मैं और उस समय इतनी भरी हुई लोकल में चढ़ना नहीं आता था मुझे. थोड़ा इंतज़ार करने के बाद मैंने सोचा कि स्टेशन के बाहर जाकर कोई ऑटो या टैक्सी ले लेती हूं. बाहर निकलने पर देखा तो पता चला कि मैं ईस्ट साइड थी और वेस्ट साइड जाकर मेरे लिए ऑटो लेना सही होगा.
उस समय मैं भी इसी ब्रिज पर चढ़ी थी. उस समय भी ये ब्रिज खचाखच भरा हुआ था. कुछ स्कूल के बच्चे, कई ऑफिस जाने वाले लोग, कुछ डब्बे वाले, कुछ महिलाएं सभी तेज़ी से इस ओर से उस ओर जा रहे थे. एक छोटा सा ब्रिज पार करने में मुझे 10 मिनट से ज्यादा का समय लग गया था. कारण थी भीड़. इसी बीच कुछ लड़के तेज़ी से भागते हुए भी मेरे पास से निकले थे. मैं लगभग लड़खड़ा ही गई थी. उस समय ब्रिज से निकलने की जितनी जल्दी थी वो मैं बता नहीं सकती. ये वो समय था जब मुंबई डरा रही थी. चारों तरफ लोग ही लोग.
अगर उस जैसी स्थिति आज होती तो यकीनन ये हादसा और बड़ा हो सकता था. आज जब ब्रिज का एक हिस्सा गिरा तो लोग कम थे. बहुत कम, लेकिन अगर ये लोग ज्यादा होते तो?
आज ब्रिज के गिरने से वेस्टर्न लाइन की लोकल सर्विसेज को अच्छा खासा नुकसान हुआ है. ब्रिज के दूसरी तरफ ही दो स्कूल हैं, पास में ही रेलवे स्टेशन है. यही कारण है कि ये ब्रिज काफी इस्तेमाल में आता है, हालांकि ये हादसा काफी सुबह हुआ इसलिए ब्रिज पर अधिक संख्या में लोग नहीं थे.
ये हादसा अगर दो घंटे बाद होता तो इसके कारण कई लोगों की जानें खतरे में पड़ सकती थीं. ज़रा सोचिए अगर कोई स्कूल का बच्चा इस ब्रिज की चपेट में आ जाता तो क्या होता. इस ब्रिज पर ऑफिस टाइमिंग में बहुत से लोग होते हैं और उस समय अगर ऐसा कुछ होता तो क्या होता इसका अंदाज़ा एल्फिन्सटन स्टेशन वाले हादसे से लगाया जा सकता है. पुल गिरने की सारी जिम्मेदारी बारिश पर डाल दी गई. हेडलाइन आईं कि बारिश के कारण ये ब्रिज गिर गया और लोग हताहत हुए. लेकिन क्या BMC को ये नहीं पता था कि बारिश आने वाली है? क्या मुंबई नगरपालिका को ये नहीं पता था कि मुंबई में कैसी बारिश होती है?
सोशल मीडिया पर भी लोगों ने इसी बात को लेकर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं..
सवाल ये है कि मुंबई में दो साल पहले जो स्थिति थी अब भी वही है, दो साल पहले जैसे हादसे हो सकते थे वैसे ही अभी हैं. पिछले साल जब एल्फिन्सटन स्टेशन के फुट ओवर ब्रिज का हादसा हुआ था तो मुंबई में मौजूद कई लोकल ब्रिज के खस्ता हाल पर से पर्दा उठा था. बाकायदा रिपोर्ट जारी की गई थी जिसमें गोखले ब्रिज का नाम भी था. तो मॉनसून आने से पहले इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हो गई. क्यों एल्फिन्सटन हादसे से सबक नहीं लिया गया? क्यों देश की सबसे अमीर नगर पालिका भी अपने शहर को बचाने के लिए कुछ नहीं कर पा रही? एक के बाद एक मुंबई में होते हादसे ये बताते हैं कि मुंबई शहर कितना असुरक्षित है और रोज़ न जाने कितनी जानें खतरे में जी रही हैं.
ये भी पढ़ें-
एक क्या अभी तो मुंबई जैसी सैंकड़ों दुर्घटनाएं बाकी हैं...
Mumbai Fire: इन्होंने आग लगाकर ली 14 लोगों की जान !
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.