'अल्लाह हू अकबर' का नारा लगाकर जाने कौन से मासूम लोगों ने न जाने कितने लोगों को फ़्रांस (France) में घायल किया और 3 लोगों की जान चली गयी. उनको कोई आतंकवादी (Terrorist) न कहना. न इनकी निंदा करना. ये मासूम लोग हैं, जो ग़ुस्सा में हैं फ़्रांस सरकार (French Government) और उसके राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) से. तो अब कुछ लोगों की हत्या ही कर दी तो क्या हुआ. वैसे भी आतंकवाद (Terrorism) का कहां कोई धर्म होता है. जब भारत में ये शांतिदूत आतंक फैला रहे थे सभी पश्चिम देश एक सुर में बोल रहे थे कि नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है. अब भुगतिए और एन्जॉय कीजिए. सवाल किया जाता है कि दुनिया के किसी देश में मुस्लिम कोई गुनाह करता है तो भारत में रहने वाले मुसलमानों (Indian Muslims) से क्यों सवाल होता है? या उनको कठघरे में क्यों उतारा जाता है?
जवाब जानने के लिए मुंबई के भिंडी बाज़ार की सड़क को देखिए, ज़रा भोपाल के इक़बाल मैदान में फ़्रांस के राष्ट्रपति के लिए हो रहे विरोध को देखिए. अगर फिर भी जवाब नहीं मिलता है तो अपने ज़मीर में झांकिए और ख़ुद को खंगालिए. आपके अंदर का इंसान मर रहा है, इंसानियत मर रही है.
हमला फ़्रांस में हुआ और मासूमों का सिर काटा गया इस पर आपने दुःख ज़ाहिर करना तक ज़रूरी नहीं समझा लेकिन आतंकवाद के ख़िलाफ़ इस लड़ाई में भारत फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ खड़ा है तो आप उनके पोस्टर जला रहें हैं. उनकी तस्वीर को सड़क पर चिपका कर उनको पैरों से कुचल रहें हैं. क्या ये भारत में रह रहें उन मुसलमानों की मानसिकता को बयान करने के लिए काफ़ी नहीं है कि आतंकवाद के ख़िलाफ़ खड़े हैं या उसके साथ.
अरे ज़मीर बेचने से...
'अल्लाह हू अकबर' का नारा लगाकर जाने कौन से मासूम लोगों ने न जाने कितने लोगों को फ़्रांस (France) में घायल किया और 3 लोगों की जान चली गयी. उनको कोई आतंकवादी (Terrorist) न कहना. न इनकी निंदा करना. ये मासूम लोग हैं, जो ग़ुस्सा में हैं फ़्रांस सरकार (French Government) और उसके राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) से. तो अब कुछ लोगों की हत्या ही कर दी तो क्या हुआ. वैसे भी आतंकवाद (Terrorism) का कहां कोई धर्म होता है. जब भारत में ये शांतिदूत आतंक फैला रहे थे सभी पश्चिम देश एक सुर में बोल रहे थे कि नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है. अब भुगतिए और एन्जॉय कीजिए. सवाल किया जाता है कि दुनिया के किसी देश में मुस्लिम कोई गुनाह करता है तो भारत में रहने वाले मुसलमानों (Indian Muslims) से क्यों सवाल होता है? या उनको कठघरे में क्यों उतारा जाता है?
जवाब जानने के लिए मुंबई के भिंडी बाज़ार की सड़क को देखिए, ज़रा भोपाल के इक़बाल मैदान में फ़्रांस के राष्ट्रपति के लिए हो रहे विरोध को देखिए. अगर फिर भी जवाब नहीं मिलता है तो अपने ज़मीर में झांकिए और ख़ुद को खंगालिए. आपके अंदर का इंसान मर रहा है, इंसानियत मर रही है.
हमला फ़्रांस में हुआ और मासूमों का सिर काटा गया इस पर आपने दुःख ज़ाहिर करना तक ज़रूरी नहीं समझा लेकिन आतंकवाद के ख़िलाफ़ इस लड़ाई में भारत फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ खड़ा है तो आप उनके पोस्टर जला रहें हैं. उनकी तस्वीर को सड़क पर चिपका कर उनको पैरों से कुचल रहें हैं. क्या ये भारत में रह रहें उन मुसलमानों की मानसिकता को बयान करने के लिए काफ़ी नहीं है कि आतंकवाद के ख़िलाफ़ खड़े हैं या उसके साथ.
अरे ज़मीर बेचने से पहले और दूसरों से सवाल करने से पहले ज़रा ख़ुद को टटोलिए. ग़लत को ग़लत कहिए फिर आप पर कोई अंगुली नहीं उठेगा. ऐसे कैसे चलेगा कि आप आतंकवाद को सपोर्ट भी कीजिएगा. काफिरों की मौत पर जश्न मनाइएगा और फिर आप ही दूसरे लोगों से सवाल भी कीजिएगा. मानती हूं धर्म ग़लत नहीं होता है लेकिन अगर आपके धर्म का कोई शख़्स ग़लत कर रहा है और उस पर चुप रहना कितना सही है? सोच कर देखिएगा. बाक़ी अल्लाह सब देख रहा है.
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