मान लिया कि पत्नी गृहस्थी की धुरी होती है. वह सब का ख्याल रखती है प्रेम बांटती है. लेकिन यह भी मानकर चलना चाहिए कि उसका भी शरीर है, और वह भी बीमार हो सकती है. कानपुर के शाहरुख ने अपनी पत्नी रुखसाना को सिर्फ इसलिए तलाक दे दिया, क्योंकि उसे सफेद दाग हो गया. उसकी शादी के 6 साल हो गए हैं और उसके छोटे-छोटे बच्चे भी हैं.
सोचिए, अगर शाहरुख को दाग हो जाता तो क्या उसकी बीवी उसे तलाक देकर अकेला छोड़ देती? पति ये क्यों भूल जाते हैं कि महिला का शरीर कोई मशीन नहीं है. अरे मशीन भी खराब हो जाती है ये तो फिर भी इंसान है. वह सिर्फ मांस और हड्डी नहीं है. उसके अंदर भी एक जान रहती है.
अरे महिलाओं की हालत तो ऐसी है कि वे अपने ऊपर ध्यान ही नहीं दे पाती हैं. उन्हें सुबह सबसे पहले जगना होता है. बतर्न, झाडू पोछा करना होता है. फिर गैस पर चाय चढ़ान के साथ ही नाश्ता बनाना, बच्चों औऱ पति का टिफिन तैयार करना. सास-सुसर की देखभाल करनी, कपड़े धोना औऱ घर की डस्टिंग करना शामिल है. बच्चों को स्कूल छोड़ना, उनको स्कूल से लाना, उनका होमवर्क कराना, मेहमानों और पड़ोसियों का ध्यान रखना भी उनका ही काम है.
जो लड़की शादी से पहले तैयार होने में एक घंटा लगाती थी. अब वह 5 मिनट में नहा धोकर बाल समेट कर जूड़ा बना लेती है. उसके पास इतना समय नहीं रहता कि किसी दिन अपने चेहरे पर फेस पैक लगा ले. अपने बालों की मसाज कर ले. शादी के बाद दुल्हन का रूप धीरे-धीरे एक कामवाली बाई का रूप ले लेता है. घर में भागते-भागते उसकी एड़ियां फट जाती है. मसालों में सनी उंगलियों के नाखून पीले पड़ जाते हैं. शरीर फैल जाता है. वे अपने काम में अपनी घर गृहस्थी में इतना रंग जाती है कि अपने आपको भूल जाती...
मान लिया कि पत्नी गृहस्थी की धुरी होती है. वह सब का ख्याल रखती है प्रेम बांटती है. लेकिन यह भी मानकर चलना चाहिए कि उसका भी शरीर है, और वह भी बीमार हो सकती है. कानपुर के शाहरुख ने अपनी पत्नी रुखसाना को सिर्फ इसलिए तलाक दे दिया, क्योंकि उसे सफेद दाग हो गया. उसकी शादी के 6 साल हो गए हैं और उसके छोटे-छोटे बच्चे भी हैं.
सोचिए, अगर शाहरुख को दाग हो जाता तो क्या उसकी बीवी उसे तलाक देकर अकेला छोड़ देती? पति ये क्यों भूल जाते हैं कि महिला का शरीर कोई मशीन नहीं है. अरे मशीन भी खराब हो जाती है ये तो फिर भी इंसान है. वह सिर्फ मांस और हड्डी नहीं है. उसके अंदर भी एक जान रहती है.
अरे महिलाओं की हालत तो ऐसी है कि वे अपने ऊपर ध्यान ही नहीं दे पाती हैं. उन्हें सुबह सबसे पहले जगना होता है. बतर्न, झाडू पोछा करना होता है. फिर गैस पर चाय चढ़ान के साथ ही नाश्ता बनाना, बच्चों औऱ पति का टिफिन तैयार करना. सास-सुसर की देखभाल करनी, कपड़े धोना औऱ घर की डस्टिंग करना शामिल है. बच्चों को स्कूल छोड़ना, उनको स्कूल से लाना, उनका होमवर्क कराना, मेहमानों और पड़ोसियों का ध्यान रखना भी उनका ही काम है.
जो लड़की शादी से पहले तैयार होने में एक घंटा लगाती थी. अब वह 5 मिनट में नहा धोकर बाल समेट कर जूड़ा बना लेती है. उसके पास इतना समय नहीं रहता कि किसी दिन अपने चेहरे पर फेस पैक लगा ले. अपने बालों की मसाज कर ले. शादी के बाद दुल्हन का रूप धीरे-धीरे एक कामवाली बाई का रूप ले लेता है. घर में भागते-भागते उसकी एड़ियां फट जाती है. मसालों में सनी उंगलियों के नाखून पीले पड़ जाते हैं. शरीर फैल जाता है. वे अपने काम में अपनी घर गृहस्थी में इतना रंग जाती है कि अपने आपको भूल जाती हैं. अच्छा यह सब पतिदेव के सामने ही हो रहा होता है. पति, अपनी बदलती हुई पत्नी को देखते हैं मगर कोई मदद नहीं करते हैं.
वे चाहते हैं कि पत्नी सब कुछ खुद ही मैनेज कर ले. वे चाहते हैं कि पत्नी एडजस्ट करके घऱ-बाहर सब कुछ अकेले ही संभाल ले. वे चाहते हैं कि जब उन्हें पत्नी की जरूरत हो तो वह किसी हिरोइन की तरह चकाचक बन जाए. जब वह काम करे तो एक दम कामवाई बाई की तरह काम करे. जब मां बने तो बच्चों पर जान न्योछावर कर दे और जब बहू बने तो आदर्श कहलाए.
वे नहीं देख पाते हैं कि एक ही महिला का इन सभी किरदारों में फिट होना कितना मुश्किल है. पतियों की नजरों में तो महिला सुपर वुमन है, वह सब कर सकती है. इतना सब होने के बाद जब उस महिला का शरीर ढल जाता है वे उसे ताने मारने में देरी नहीं करते.
अपने दिमाग में बिठा लें कि 'सफेद दाग' कोई बीमारी नहीं है. इसे कृपया कोढ़ से जोड़ने की कोशिश न करें. यह किसी को भी हो सकता है. यह नॉर्मल है.
पत्नी के बदलते शरीर की वजह से उसे छोड़ने वाले इतना बताएं कि क्या उनका शरीर नहीं बदला है? उनका रूप रंग पहले की तरह ही है? क्या वे हमेशा स्वस्थ औऱ जवान रहने वाले हैं? अरे जब अपना शरीर बदलने पर खुद को नहीं छोड़ सकते तो फिर पत्नी को सजा देने का अधिकार आपको किसने दिया?
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.