चाहे फेसबुक (Facebook) स्क्रॉल करिये या फिर ट्विटर (Twitter) और इंस्टाग्राम (Instagram) की फ़ीड पर जाइये स्क्रॉल करिये एक न एक वीडियो ऐसा आ ही जाएगा जिसमें कोई फेमिनिस्ट, बड़े बड़े स्त्री समर्पित मुद्दों पर बात कर रहा होगा. अजीब बात है जैसे जैसे सोशल मीडिया एडवांस हो रहा है वैसे वैसे तमाम मुद्दों पर बातचीत करने का चलन बढ़ गया है. आम से लेकर खास लोगों की एक बड़ी संख्या ऐसी है जो अपनी बात कहने और उसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए वीडियो का सहारा ले रही है और उसे अपनी अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल पर अपलोड कर रही है. हमने अपनी बात फेमिनिस्ट (Feminist) और उनके मुद्दों से शुरू की है तो कुछ और कहने से पहले आपको नीना गुप्ता (Neena Gupta) से अवगत करा दें. बॉलीवुड एक्ट्रेस नीना गुप्ता किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं और अलग- अलग मुद्दों पर बेबाक होकर अपनी बात कहने के लिए जानी जाती हैं.फिलहाल नीना ने महिला मुद्दों को लेकर बात की हैं और उन्होंने डकार (Burp) और गैस (Gas) का जिक्र किया है. नीना अपनी बात तो कह चुकी हैं मगर शायद ये भूल गईं कि फेमिनिज्म (Feminism) महिलाओं की डकार और गैस नहीं है.
बता दें कि नीना ने अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो डाला है और उसमें डकार, गैस और फार्ट की बात की है और व्यंग्य करते हुए कहा है कि महिलाओं को गैस नहीं होती. नीना ने अपना ये वीडियो मुक्तेश्वर में अपने घर पर शूट किया है और ग्रीन ड्रेस में अपने गार्डन में टहल रही हैं. वीडियो में नीना कह रही हैं कि यदि कोई पुरूष पब्लिक प्लेस पर डकार ले लेता है या फिर फार्ट कर देता है तो कोई उससे सवाल नहीं करता वहीं अगर कोई महिला अगर ऐसा कर दे तो भूचाल आ जाता...
चाहे फेसबुक (Facebook) स्क्रॉल करिये या फिर ट्विटर (Twitter) और इंस्टाग्राम (Instagram) की फ़ीड पर जाइये स्क्रॉल करिये एक न एक वीडियो ऐसा आ ही जाएगा जिसमें कोई फेमिनिस्ट, बड़े बड़े स्त्री समर्पित मुद्दों पर बात कर रहा होगा. अजीब बात है जैसे जैसे सोशल मीडिया एडवांस हो रहा है वैसे वैसे तमाम मुद्दों पर बातचीत करने का चलन बढ़ गया है. आम से लेकर खास लोगों की एक बड़ी संख्या ऐसी है जो अपनी बात कहने और उसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए वीडियो का सहारा ले रही है और उसे अपनी अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल पर अपलोड कर रही है. हमने अपनी बात फेमिनिस्ट (Feminist) और उनके मुद्दों से शुरू की है तो कुछ और कहने से पहले आपको नीना गुप्ता (Neena Gupta) से अवगत करा दें. बॉलीवुड एक्ट्रेस नीना गुप्ता किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं और अलग- अलग मुद्दों पर बेबाक होकर अपनी बात कहने के लिए जानी जाती हैं.फिलहाल नीना ने महिला मुद्दों को लेकर बात की हैं और उन्होंने डकार (Burp) और गैस (Gas) का जिक्र किया है. नीना अपनी बात तो कह चुकी हैं मगर शायद ये भूल गईं कि फेमिनिज्म (Feminism) महिलाओं की डकार और गैस नहीं है.
बता दें कि नीना ने अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो डाला है और उसमें डकार, गैस और फार्ट की बात की है और व्यंग्य करते हुए कहा है कि महिलाओं को गैस नहीं होती. नीना ने अपना ये वीडियो मुक्तेश्वर में अपने घर पर शूट किया है और ग्रीन ड्रेस में अपने गार्डन में टहल रही हैं. वीडियो में नीना कह रही हैं कि यदि कोई पुरूष पब्लिक प्लेस पर डकार ले लेता है या फिर फार्ट कर देता है तो कोई उससे सवाल नहीं करता वहीं अगर कोई महिला अगर ऐसा कर दे तो भूचाल आ जाता है.
वीडियो में नीना ने कहा है कि,' औरतों को गैस नहीं होती. उनको बदहज़मी नहीं होती. उनको डकार नहीं आते, हैं न? तो आजकल लॉक डाउन है एयर इसमें ज्यादा भी खाना खाया जाता है. बच्चों के लिए कुछ स्पेशल बनाया वो भी खा लिया. और तो कुछ है नहीं करने को है, खाना पीना.ऐसे में न, आप फार्ट भी करते हैं हिंदी में बोलूं तो सबको बुरा लगेगा. तो महिलाएं फार्ट क्यों नहीं सकतीं. साथ ही नीना ने ये भी पूछा कि वो (महिलाएं) डकार क्यों नहीं ले सकती.वो क्यों नहीं बैठ सकतीं जब उन्हें बैठना होता है. क्या वो बदहजमी का शिकार नहीं होतीं. वो डकार नहीं लेती हैं न? लॉक डाउन है इसलिए महिलाएं करें भो तो क्या करें.
नीना गुप्ता ने महिलाओं से अनुरोध किया है कि वो अपने शरीर में गैस रोककर अपने प्राणों के साथ खिलवाड़ न करें. वीडियो में जो बातें नीना ने कही हैं यदि उनका अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि गैस को लेकर महिला और पुरुषों के बीच एक गहरी खाई है.
अपने वीडियो में नीना ने अधिकारों की बात भी की है.नीना ने ये बात भी दोहराई है कि क्या अधिकार केवल और केवल पुरुषों के ही होते हैं? क्या महिलाओं को कोई अधिकार नहीं है? नीना ने इस बात को भी कहा है कि गैस के संदर्भ में अधिकारों की बात करना भी गलत है. अगर किसी को गैस निकालनी है तो इसमें क्या महिला क्या पुरुष किसी भी क्षण उसे निकाला जा सकता है.
साफ़ है कि इस वीडियो में नीना ने महिलाओं को उनके अधिकार बताए हैं और साथ ही ये भी कहा है कि कभी भी उन्हें अपने अधिकारों से समझौता नहीं करना चाहिए. बेशक महिलाओं को खुलकर व अपनी शर्तों पर जिंदगी जीने को कहा है लेकिन साथ ही उन्हें ये भी समझना होगा कि हर चीज में स्त्री पुरुष या फेमिनिज्म नहीं ढूंढना चाहिए.
नीना साधारण लहजे में भी अपनी बात कह सकती थीं उन्हें अपनी बात कहने के लिए लिए इतना व्यंग्यपूर्ण लहजा इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं थी. विषय एकदम सीधा है फेमिनिज्म और महिला अधिकार अपने आप में एक बहुत बड़ा मुद्दा हैं उन्हें डकार, गैस, फार्ट में समाहित करना न इन मुद्दों की तौहीन हैं बल्कि ये कई मायनों में बचकाना भी है.
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