निर्भया (Nirbhaya) के दोषियों को फांसी के तख्ते (Capital Punishment) तक ले जाने का रास्ता साफ हो चुका है. सजा सुना दी गई है. 22 जनवरी सुबह 7 बजे इन चारों को फांसी दे दी जाएगी. निर्भया की मौत के करीब 7 साल बाद आखिरकार निर्भया को इंसाफ मिलेगा. निर्भया के साथ जिस हैवानियत से इन दरिंदों ने रेप (Rape) किया था और जिसकी वजह से उसकी मौत भी हो गई, उसके लिए इनके साथ ऐसा ही होना चाहिए था. पूरा देश भी यही चाहता था कि इन्हें जल्द से जल्द फांसी दी जाए. तो 22 जनवरी सुबह 7 बजे इन चारों को फांसी के फंदे पर झूलता देखने के बाद देश क्या करेगा? क्या उसके बाद फिर ऐसी घटनाएं नहीं होगीं? अपराधियों में डर पैदा होगा कि रेप किया तो फांसी हो सकती है? अगर हां, तो हैदराबाद में दिशा गैंगरेप केस (Hyderabad Disha Rape case) तो निर्भया मामले से भी वीभत्स था, वह तो निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा दिए जाने से भी नहीं डरे. वहीं रंगा बिल्ला (Ranga Billa) को पहले ही कोर्ट की ओर से दो भाई-बहन को अगवा करने, रेप करने और फिर मार देने के लिए फांसी दी जा चुकी थी, तो फिर अब तक स्थिति सुधरी क्यों नहीं? 22 जनवरी सुबह 7 बजे निर्भया के दोषी तो फांसी के फंदे पर लटक जाएंगे, लेकिन पीछे छोड़ जाएंगे कुछ सवाल, जिन पर अब नहीं सोचा तो बहुत देर हो जाएगी.
जिसे फांसी मिली वो तो डरा, लेकिन बाकी का क्या?
तिहाड़ जेल (Tihar Jail) के रिटायर्डज लीगल ऑफिसर सुनील गुप्ता ने फांसियों को लेकर एक किताब लिखी है, ब्लैक वारंट (Black Warrant). इस किताब में उन्होंने बताया है कि जब किसी को फांसी दी जाने वाली होती है तो कुछ अपने मन का खाना खाकर सो जाते हैं तो कुछ दीवारों पर लात मारते हैं और चीखते-चिल्लाते रहते हैं....
निर्भया (Nirbhaya) के दोषियों को फांसी के तख्ते (Capital Punishment) तक ले जाने का रास्ता साफ हो चुका है. सजा सुना दी गई है. 22 जनवरी सुबह 7 बजे इन चारों को फांसी दे दी जाएगी. निर्भया की मौत के करीब 7 साल बाद आखिरकार निर्भया को इंसाफ मिलेगा. निर्भया के साथ जिस हैवानियत से इन दरिंदों ने रेप (Rape) किया था और जिसकी वजह से उसकी मौत भी हो गई, उसके लिए इनके साथ ऐसा ही होना चाहिए था. पूरा देश भी यही चाहता था कि इन्हें जल्द से जल्द फांसी दी जाए. तो 22 जनवरी सुबह 7 बजे इन चारों को फांसी के फंदे पर झूलता देखने के बाद देश क्या करेगा? क्या उसके बाद फिर ऐसी घटनाएं नहीं होगीं? अपराधियों में डर पैदा होगा कि रेप किया तो फांसी हो सकती है? अगर हां, तो हैदराबाद में दिशा गैंगरेप केस (Hyderabad Disha Rape case) तो निर्भया मामले से भी वीभत्स था, वह तो निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा दिए जाने से भी नहीं डरे. वहीं रंगा बिल्ला (Ranga Billa) को पहले ही कोर्ट की ओर से दो भाई-बहन को अगवा करने, रेप करने और फिर मार देने के लिए फांसी दी जा चुकी थी, तो फिर अब तक स्थिति सुधरी क्यों नहीं? 22 जनवरी सुबह 7 बजे निर्भया के दोषी तो फांसी के फंदे पर लटक जाएंगे, लेकिन पीछे छोड़ जाएंगे कुछ सवाल, जिन पर अब नहीं सोचा तो बहुत देर हो जाएगी.
जिसे फांसी मिली वो तो डरा, लेकिन बाकी का क्या?
तिहाड़ जेल (Tihar Jail) के रिटायर्डज लीगल ऑफिसर सुनील गुप्ता ने फांसियों को लेकर एक किताब लिखी है, ब्लैक वारंट (Black Warrant). इस किताब में उन्होंने बताया है कि जब किसी को फांसी दी जाने वाली होती है तो कुछ अपने मन का खाना खाकर सो जाते हैं तो कुछ दीवारों पर लात मारते हैं और चीखते-चिल्लाते रहते हैं. 1978 में दो किशोर भाई बहन की किडनैपिंग, रेप और हत्या के लिए रंगा और बिल्ला को फांसी हुई थी. सुनील गुप्ता बताते हैं कि रंगा हमेशा खुश रहता था, जबकि बिल्ला हमेशा रोता रहता था और रंगा को ही इस अपराध और मौत की सजा के लिए जिम्मेदार ठहराता रहता था. निर्भया के दोषियों के मामले में मुकेश शुरू से ही रंगा की तरह रहा है. फांसी की सजा मिलने के बाद भी उसकी हेकड़ी में कोई कमी नहीं दिखी, उल्टा उसने तो लड़कियों और उनके पहनावे को ही रेप के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया. बाकी के दोषी थोड़ा डरे हुए जरूर दिखे. हालांकि, अब आखिरी समय में तो मुकेश भी अपनी मां से मिलकर रोने लगा, क्यों फांसी का फंदा उसे सामने दिख रहा है.
हर 15 मिनट में होता है एक रेप
एक रेप की घटना का फैसला आते-आते 7 साल लग गए, जबकि देश में हर 15 मिनट में एक रेप रिपोर्ट होता है. ध्यान रहे, ये वो आंकड़े हैं, जिनकी शिकायत आती है. न जाने कितने ही लोग समाज में शर्मिंदगी से घबराकर घटना के बारे में रिपोर्ट ही नहीं करते. अगर नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी के डेटा की ओर देखें तो सिर्फ 2018 में ही 34000 रेप के मामले सामने आए हैं. 2017 करीब 32,500 मामले सामने आए थे. 2016 में तो 39,000 मामले रिपोर्ट हुए थे. निर्भया के दोषियों को जब पहली बार फांसी की सजा सुनाई गई थी तो लगा था कि अब रेप के मामलों में गिरावट आएगी, लेकिन 2018 के आंकड़े हैरान करते हैं. इसके अनुसार 94 फीसदी रेपिस्ट तो ऐसे हैं, जिन्हें पीड़िता पहले से जानती थी. वहीं इन रेप की सबसे भयावह बात ये है कि इसमें हर चौथी पीड़िता नाबालिग है. खैर, इन सबसे एक बात तो साफ हो जाती है कि रेप जैसे अपराध रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं, भले ही रेप के दोषियों को फांसी की सजा ही क्यों न दे दी गई हो.
शुरुआत शुरू से करनी होगी
रेप और उसके बाद हत्या जैसी घटनाओं को रोकना है तो सिर्फ फांसी दे देने भर से कुछ नहीं होगा. आंकड़े देखकर आप ये तो समझ ही गए होंगे कि रेप की घटनाएं अभी भी रोज हो रही हैं. हर 15 मिनट में एक रेप हो रहा है. सबको तो फांसी नहीं दे सकते ना. इस तरह आखिर कितने लोगों को फांसी देंगे. वैसे भी, ये घटनाएं ना रुकने का मतलब है कि मानसिकता में ही दिक्कत है. 94 फीसदी ऐसे लोगों ने रेप किया जो जान-पहचान के थे. ऐसे में ये भी नहीं कहा जा सकता कि सिर्फ अपराधी मानसिकता के लोग ही रेप कर रहे हैं, हां ये जरूर कह सकते हैं कि विकृत मानसिकता बहुत से लोगों को अपराध की ओर ले जा रही है. ऐसे में जरूरत है शुरुआत से ही विकृतियों को दूर किया जाए.
समाज को ये सोचना होगा कि जब कोई लड़का किसी लड़की को छेड़ता है तो उसके साथ कैसा बर्ताव किया जाता है. क्या तभी से उसे कंट्रोल करना शुरू नहीं करना चाहिए, ताकि आगे चलकर वह रेप जैसा घिनौना अपराध ना करे? बच्चे भी ऐसी घटनाओं को अंजाम देने लगे हैं. निर्भया मामले में भी एक नाबालिग था. अब सवाल ये है कि बच्चे ये सब सीख कहां से रहे हैं, अपने बड़ों से. तो बच्चों को सुधारने से पहले हमें खुद को सुधारना होगा. समाज में महिलाओं को देवी का दर्जा दिया जाता है, लेकिन जरूरत है देवी जैसा सम्मान देने की. उसकी आन-बान-शान की रक्षा करने का विचार सबके मन में पैदा करना होगा.
सोशल मीडिया ट्रोलिंग भी विकृत विचार धारा
अगर आप सोशल मीडिया पर ही चले जाएं तो आए दिन किसी न किसी महिला के पहनावे को लेकर उसे ट्रोल किया जाता है. कई बार बयानों को लेकर भी खूब ट्रोलिंग होती है. इन ट्रोलर्स के कमेंट पढ़कर दिल को एक धक्का सा लगता है कि समाज के एक तबके की मानसिकता कितना विकृत है. ऐसी मानसिकता वाले लोग तो जैसे एक मौका ढूंढते हैं और वो मौका मिलते ही अपराध को अंजाम दे देते हैं. ये भी नहीं सोचते कि इसके बाद उनके साथ क्या होगा.
मुकेश की बातें दिखाती हैं रेपिस्टों की विकृत मानसिकता
विकृत मानसिकता का जीता-जागता नमूना है निर्भया का दोषी मुकेश. उसकी बातें साफ करती हैं कि एक लड़की के बारे में ऐसी मानसिकता को लोग क्या सोचते हैं. मुकेश ने बीबीसी के की बातचीत में कहा था कि रेप के लिए महिलाएं ही जिम्मेदार हैं. मुकेश ने कहा था- 'शालीन महिलाओं को रात 9 बजे के बाद घर से बाहर नहीं घूमना चाहिए. बलात्कार के लिए लड़की लड़के से ज्यादा जिम्मेदार है. लड़की को घर का काम करना चाहिए, न कि रात को डिस्को या बार में जाकर गलत काम करने और खराब कपड़े पहनने चाहिए. बलात्कार के वक्त उसे विरोध नहीं करना चाहिए, सहना चाहिए था. ऐसा होतो तो बलात्कार कर के उसे छोड़ देते, बस उसके दोस्त की पिटाई करते.'
रुकने चाहिए रेप पर विवादित बयान
रेप जैसी घटनाओं को वो बयान और हवा देने का काम करते हैं, जो कभी नेता तो कभी समाज के अन्य तबकों की ओर से सामने आते हैं. ये बयान भी मुकेश जैसी मानसिकता ही सामने रखते हैं. अगर समाज के अहम लोग इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना बयान देंगे, तो उनका असर तो लोगों पर गलत ही होगा ना. कुछ एक बयानों की लिस्ट आप यहां देख सकते हैं.
- निर्भया के दोषियों के वकील एपीसिंह ने कहा था अगर मेरी बेटी या बहन शादी से पहले किसी के साथ संबंध रखती है या ऐसा कोई काम करती है तो मैं उसे पेट्रोल डालकर जला दूंगा.
- समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि जब आपस में मतभेद हो जाता है तो लड़की कहती है कि रेप हो गया, उन बेचारे लड़कों को फांसी दे दी गई, बताइए रेप कि लिए भी फांसी होगी क्या? लड़के हैं, लड़कों से गलती हो जाती है.
- मुलायम सिंह के भाई रामगोपाल यादव ने कहा था कि जब प्रेम संबंध खुलकर सामने आ जाता है तो उसे रेप कह दिया जाता है.
- सपा नेता अबू आजमी ने कहा था कि पेट्रोल और आग को एक साथ रखेंगे तो वह जलेगा ही. कम कपड़े पहनने पर प्रतिबंध लगना चाहिए.
- भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था कि जब सीताजी ने लक्ष्मण रेखा पार की थी, तभी उनका अपहरण हुआ था. अगर वह लक्ष्मण रेखा पार करती हैं तो सीताहरण होगा ही, क्योंकि इतने रावण घूम रहे हैं.
- रेप की घटनाओं पर भाजपा नेता संतोष गंगवार ने कहा था कि इतने बड़े देश में 1-2 घटनाएं हो जाएं तो बात का बतंगड़ नहीं ब नाना चाहिए.
- हिंदू महासभा ने कहा था कि रेप को कम करना है तो पहले लड़कियों को हाफ जीन्स पहनना छोड़ना होगा.
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