कई महिलाएं ऐसी हैं जो कपड़े रिपीट करने में झिझकती हैं. एक बार जो साड़ी औऱ जूलरी किसी की शादी में पहन ली उसे दोबारा किसी फंक्शन में नहीं पहनती हैं. उनके लिए यह एक शर्मिंदगी का विषय है. वे सोचती हैं कि उन्हें देखने वाले रिश्तेदार क्या कहेंगे? देखने में आता है कि पुरुषों को इन बातों से खास फर्क नहीं पड़ता है. वे एक ही जींस रोज पहन सकते हैं मगर कुछ महिलाओं के लिए यह तनाव का विषय बन जाता है.
वे अपने कपड़ों को लेकर टेंशन लेती हैं और फिजूल खर्ची करने लगती हैं. इतना ही नहीं वे कुछ ऐसे जुगाड़ लगाने लगती हैं जिससे वे कपड़े तो रिपीट करें मगर किसी को पता न चले. वैसे पुराने कपड़ों को रिक्रिएट करने पहनने में कोई बुरी बात नहीं है. अगर ये काम आप अपने खुशी के लिए करती हैं तब तो ठीक है मगर अगर आप दूसरे क्या कहेंगे इसलिए करती हैं तो एक बार सोचने की जरूरत है.
नीता अंबानी चाहें तो हर घंटे सोने से जड़ी हुई साड़ी बदल सकती हैं. वे जब चाहें दूसरी जूलरी पहन सकती हैं. उनके पास किसी चीज की कमी नहीं है. मगर उन्होंने अपने बेटे अनंत अंबानी की सगाई में वही गले का हार पहना जो उनकी बेटी ईशा अंबानी ने अपनी शादी में पहना था. वे पुराने नेकलेस में उतनी की खूबसूरत लग रही थीं जितना किसी नए हार को पहन कर लगतीं.
ऐसा उन्होंने किसी मजबूरी में नहीं की बल्कि अपनी मर्जी अपनी खुशी के लिए की. वो चाहती तो दूसरी जूलरी पहन सकती थीं मगर हो सकता है कि उन्हें वह पसंद हो औऱ उन्हें इस बात से फर्क ना पड़ता हो कि लोग क्या कहेंगे? लोग आम महिला के लिए भले कुछ कह दें, लेकिन जिसके पास सब है उसके लिए क्या ही कमेंट करेंगे? महिलाओं को तो नीता अंबानी के इस एटीट्यूड को अपनाने की जरूरत है. ताकि कपड़े,...
कई महिलाएं ऐसी हैं जो कपड़े रिपीट करने में झिझकती हैं. एक बार जो साड़ी औऱ जूलरी किसी की शादी में पहन ली उसे दोबारा किसी फंक्शन में नहीं पहनती हैं. उनके लिए यह एक शर्मिंदगी का विषय है. वे सोचती हैं कि उन्हें देखने वाले रिश्तेदार क्या कहेंगे? देखने में आता है कि पुरुषों को इन बातों से खास फर्क नहीं पड़ता है. वे एक ही जींस रोज पहन सकते हैं मगर कुछ महिलाओं के लिए यह तनाव का विषय बन जाता है.
वे अपने कपड़ों को लेकर टेंशन लेती हैं और फिजूल खर्ची करने लगती हैं. इतना ही नहीं वे कुछ ऐसे जुगाड़ लगाने लगती हैं जिससे वे कपड़े तो रिपीट करें मगर किसी को पता न चले. वैसे पुराने कपड़ों को रिक्रिएट करने पहनने में कोई बुरी बात नहीं है. अगर ये काम आप अपने खुशी के लिए करती हैं तब तो ठीक है मगर अगर आप दूसरे क्या कहेंगे इसलिए करती हैं तो एक बार सोचने की जरूरत है.
नीता अंबानी चाहें तो हर घंटे सोने से जड़ी हुई साड़ी बदल सकती हैं. वे जब चाहें दूसरी जूलरी पहन सकती हैं. उनके पास किसी चीज की कमी नहीं है. मगर उन्होंने अपने बेटे अनंत अंबानी की सगाई में वही गले का हार पहना जो उनकी बेटी ईशा अंबानी ने अपनी शादी में पहना था. वे पुराने नेकलेस में उतनी की खूबसूरत लग रही थीं जितना किसी नए हार को पहन कर लगतीं.
ऐसा उन्होंने किसी मजबूरी में नहीं की बल्कि अपनी मर्जी अपनी खुशी के लिए की. वो चाहती तो दूसरी जूलरी पहन सकती थीं मगर हो सकता है कि उन्हें वह पसंद हो औऱ उन्हें इस बात से फर्क ना पड़ता हो कि लोग क्या कहेंगे? लोग आम महिला के लिए भले कुछ कह दें, लेकिन जिसके पास सब है उसके लिए क्या ही कमेंट करेंगे? महिलाओं को तो नीता अंबानी के इस एटीट्यूड को अपनाने की जरूरत है. ताकि कपड़े, जूलरी रिपीट करने में उन्हें झिझक ना हो. सोचिए जब नीता अंबनी जूलरी और कपड़ें रिपीट कर सकती हैं तो फिर आप क्यों नहीं? इसमें कोई शर्मिंदगी वाली बात नहीं है.
असल में कुछ चीजों से हमारा बेहद लगाव होता है. जैसे मां की साड़ी औऱ पिता की घड़ी हमारे लिए दुनिया में सबसे कीमती हो सकती है. दुनिया की कोई भी साड़ी मां की उस साड़ी की जगह नहीं ले सकती ना दुनिया की कोई घड़ी पिता की घड़ी को रिप्लेस कर सकती है. यह एक उदाहऱण भर है जिससे आप खुद को जोड़ सकते हैं.
बात सिर्फ यह नहीं है कि नीता अंबानी ने जूलरी रिपीट की तो हम क्यों नहीं कर सकते, उनमें औऱ हमसे बहुत अंतर है. यहां बात इस आदत को अपना लेने की है. हम सोचते हैं कि अगर हमने कपड़े रिपीट किए तो लोग क्या कहेंगे? हमारे स्टेटस का क्या होगा? दुनिया के सामने हमारी बेइज्जती होगी इसलिए हम ऐसा करने से बचते हैं औऱ यहीं पर हम गलती करते हैं.
आखिर एक आम महिला इतने कपड़ें कहां से लाइगी कि रोज बदल सके? वह कोई एक्ट्रेस तो है नहीं जो उसे हर रोज अपनी लाइफस्टाइल मेनटेन करनी है. वैसे आप जो एक्ट्रेस को रोज नए कपडों में देखते हैं वे स्पांसर होते हैं. उन्हें सिर्फ पहनना होता है. उनके बैग से लेकर सैंडल तक प्रचार के लिए होते हैं. वे हर कपड़े को सिर्फ एक बार इसलिए पहनती हैं. वे भी हर रोज अपने लिए नए कपड़े नहीं खरीदती हैं. इसलिए हम उनकी देखा-देखी नहीं कर सकते हैं.
ऐसा भी नहीं है कि अगर कोई रोज नए कपड़े पहन रहा है तो हम उसे भला-बुरा कहें. वह अपने लिए खुशी से यह सब कर रहा है. हां उसे देखककर अगर आप तनाव में आते हैं तो यह गलत होगा. हमें समझना होगा कि हर किसी का लाइफस्टाइल अलग होता है. जरूरी नहीं जो बहुत अमीर हो वह हर रोज नए स्टाइल के कपड़ें ही पहने. हो सकता है कि उसकी पसंद सीधा-सिंपल रहना है.
इसलिए दूसरों को देखकर आप आपने आप को तनाव में मत लाइए. आप रोज एक ही कपड़े पहनिए कोई कुछ नहीं कहेगा. किसी को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. लोग यहां आपकी आदतों को गौर करेंगे औऱ जो सिर्फ कपड़ों को नोटिस करें उन्हें अपने सर्किल में रखने की जरूरत ही क्या है? उनसे दूरी बना लीजिए.
कपड़े रिपीट करना है अगर खुशी देता है तो कीजिए मगर अगर पास इतने कपड़े नहीं है तो तनाव मत लीजिए, वह पहनिए जो आपके पास है. यकीन मानिए किसी को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, यह सिर्फ आपके मन का वहम है औऱ कुछ नहीं. इसलिए इसे समाजिक दबाव के रूप में मत लीजिए.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.