संकट के इस समय में सब को एक नज़रिए से देखना चाहिए. चाहे जो भी हो, ज़िंदगी सबकी क़ीमती है. लेकिन यहां अब ये नजरिया बदल गया है. देश भर में तबलीगी जमात से जुड़े लोग विशिष्ट दर्जे के हो गये हैं. ढूंढ- ढूंढकर इनकी जांच, इनकी ज़िंदगी की रक्षा की चौकीदारी करेगी. देश के जिन-जिन ठिकानों में मरकज़ के लोग मुस्लिम समाज (Muslim Community) में इस्लाम की हिदायतों की जागरुकता फैलाने गये वो लोग भी जांच का भरपूर लाभ उठा सकेंगे. जबकि जनता कर्फ्यू (Janata Curfew) से लेकर सख्त लॉकडाउन (Lockdown) का जब से सिलसिला शुरु हुआ है तब से देश के कोने-कोने में भीड़ लगने के रिकार्ड क़ायम हो गये है. किसी एक भीड़ समूह की भी जांच होती तो नतीजे काफी गंभीर और सतर्क करने वाले ही होते.
दिल्ली में तबलीगी जमात के हेड ऑफिस मरकज़ में हमेशा की तरह विदेशी लोगों के आने का तांता लगा रहा. हमेशा की तरह यहां बड़ी तादाद में लोगों का प्रवास था. इस्लाम की हिदायतों के प्रति भारतीय मुसलमानों को जागरूक करने के लिए दर्जनों देशों से उलमा भारत आ रहे थे. इन पर ना तो भारतीय खुफिया तंत्र की नजर थी,
ना गृहविभाग इन्हें लेकर सतर्क था, ना विदेश मंत्रालय कोई सुध ले रहा था और ना ही दिल्ली सरकार ने इनकी आमदरफ्त को लेकर कोई गंभीरता दिखाई. सब क्यों सोये हुए थे, इस बात पर अब चर्चा ये हो रही है कि तबलीगी जमातें चलाने वाले मरकज की फंडिंग खाड़ी देशों के किंग/शेख करते हैं. लगभग पिछले एक वर्ष के दौरान इन शेखों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद अच्छे रिश्ते स्थापित हो रहे थे.
प्रधानमंत्री मोदी ने खाड़ी देशों के कई दौरे किये थे, इसी क्रम में यूनाइटेड अरब अमीरात के किंग/शेख भारत यात्रा पर भी आये थे. बताया जाता है कि मरकज खाड़ी देशों...
संकट के इस समय में सब को एक नज़रिए से देखना चाहिए. चाहे जो भी हो, ज़िंदगी सबकी क़ीमती है. लेकिन यहां अब ये नजरिया बदल गया है. देश भर में तबलीगी जमात से जुड़े लोग विशिष्ट दर्जे के हो गये हैं. ढूंढ- ढूंढकर इनकी जांच, इनकी ज़िंदगी की रक्षा की चौकीदारी करेगी. देश के जिन-जिन ठिकानों में मरकज़ के लोग मुस्लिम समाज (Muslim Community) में इस्लाम की हिदायतों की जागरुकता फैलाने गये वो लोग भी जांच का भरपूर लाभ उठा सकेंगे. जबकि जनता कर्फ्यू (Janata Curfew) से लेकर सख्त लॉकडाउन (Lockdown) का जब से सिलसिला शुरु हुआ है तब से देश के कोने-कोने में भीड़ लगने के रिकार्ड क़ायम हो गये है. किसी एक भीड़ समूह की भी जांच होती तो नतीजे काफी गंभीर और सतर्क करने वाले ही होते.
दिल्ली में तबलीगी जमात के हेड ऑफिस मरकज़ में हमेशा की तरह विदेशी लोगों के आने का तांता लगा रहा. हमेशा की तरह यहां बड़ी तादाद में लोगों का प्रवास था. इस्लाम की हिदायतों के प्रति भारतीय मुसलमानों को जागरूक करने के लिए दर्जनों देशों से उलमा भारत आ रहे थे. इन पर ना तो भारतीय खुफिया तंत्र की नजर थी,
ना गृहविभाग इन्हें लेकर सतर्क था, ना विदेश मंत्रालय कोई सुध ले रहा था और ना ही दिल्ली सरकार ने इनकी आमदरफ्त को लेकर कोई गंभीरता दिखाई. सब क्यों सोये हुए थे, इस बात पर अब चर्चा ये हो रही है कि तबलीगी जमातें चलाने वाले मरकज की फंडिंग खाड़ी देशों के किंग/शेख करते हैं. लगभग पिछले एक वर्ष के दौरान इन शेखों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद अच्छे रिश्ते स्थापित हो रहे थे.
प्रधानमंत्री मोदी ने खाड़ी देशों के कई दौरे किये थे, इसी क्रम में यूनाइटेड अरब अमीरात के किंग/शेख भारत यात्रा पर भी आये थे. बताया जाता है कि मरकज खाड़ी देशों के शेखों द्वारा वित्तपोषित है इसलिए मरकज के मिशन तबलीग को अंजाम देने के लिए विदेशों से आने वाले उलमा और मुस्लिम स्कॉलर भारत बिना रोकटोक आते रहे.
जब भारत में कोरोना वायरस जड़ जमाने लगा और यहां की सरकार अंततः जागी और तमाम सख्त कदम उठाये गये तब भी भीड़ इकट्ठा रखने वाले मरकज पर निगरानी नहीं रखी गयी. जबकि जनहित में पिछले करीब एक महीने से मस्जिदों में इकट्ठा होकर जमात में नमाज पढ़ने पर प्रतिबंध लगा हुआ है. इस दौरान यदि कहीं मस्जिद में जमात के साथ नमाज पढ़ी गयी तो पुलिस नमाजियों पर लाठियां बरसा रही थी.
जनहित में पुलिस के इस सख्त कदम की मुस्लिम समाज भी खूब सराहना करता रहा. किंतु दिल्ली स्थित मरकज की आफिशियल (सरकारी कागजों में भी दर्ज) गतिवियां जो हमेशा ही विदेशी लोगों के साथ जमावड़े पर आधारित हैं, इन्हें खाली करने का या यहां आने वाले विदेशी लोगों की जांच करने की.. या इन पर निगरनी रखने की ज़हमत भी नहीं की गई.
गौरतलब है कि दुनिया के जो ज्यादातर देश कोरोना वायरस की जद में आये वो इस वायरस से अंजान थे. क्योंकि इन देशों में वायरस ने तब प्रवेश किया जब तक चाइना वायरस की उत्पत्ति को छिपाये बैठा था. किंतु हमारे देश भारत में भीषण लापरवाही हुई. जब चाइना इस मुसीबात के खतरे की घोषणा कर चुका था और अन्य देशों में इसका फैलाव शुरु हो चुका था, तब भी हम सोते रहे.
जब ये जानलेवा वायरस अन्न देशों में दस्तक दे चुका था उसके बाद पिछले ढाई महीने बाद तक बिना जांच पड़ताड़ के विदेश से हजारों लोग आते रहे. यदि विदेश से भारत आने वालों के सिलसिले को सख्त किये जाने का फैसला कर दिया जाता तो भारत में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा नहीं हो पाती. क्योंकि उनके आने से महीना भर पहले ही अमेरिकी जासूसों और सुरक्षा अधिकारो़ ने दिल्ली, आगरा, गुजरात और भारत के अन्य ठिकानों पर डेरा डाल दिया था.
भारत ट्रंप की मेहमाननवाजी में उलझा था. जेएनयू, जामिया मीलिया इस्लामिया का विवाद, दिल्ली का चुनाव, शाहीनबाग का मसला, फिर दिल्ली के दंगे.. फिर मध्य प्रदेश सरकार की अस्थिरता और फिर एमपी में सरकार बनना ( ये सरकार प्रधानमंत्री द्वारा लॉकडाउन की घोषणा के एक दिन पहले बनी) इन गतिविधियों में भारत उलझा था. और कमज़ोर चौकीदारी का फायदा उठाकर कोरोना वायरस विदेश से आने वाले लोगों के जरिये भारत में प्रवेश कर रहा था.
कोरोना की दस्तक के बाद आम लोगों को तो छोड़िये,बड़ी-बड़ी हस्तियां डरी हुयी हैं. छींकते-खासते हर किसी की जांच नहीं हो पा रही है. ज़रुरत के हिसाब से दस प्रतिशत जांच किट तक मुहैया नहीं है. तमाम लोग चाहते हैं कि उनकी जांच हो जाये ताकि उन्हें इतमिनान हो जाये. लेकिन हर आम भारतीय नागरिकों के लिए फिलहाल जांच का इंतजाम नहीं है. फिलहाल अब तबलीग़ी जमात़ो के कनेक्शन वालों को जांच का लाभ नसीब ज़रूर होगा.
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