कुत्ते के काटने की कुछ घटनाओं के बाद, हाई राइज अपार्टमेंट्स का आरडब्ल्यूए उन लोगों के खिलाफ सख्त हुआ है, जिन्होंने अपने अपने घरों पर कुत्ते पाले हैं. बताया जा रहा है कि घटनाओं के सामने आने के बाद कुत्ते के मालिकों को मनमाने ढंग से नोटिस और अवैध जुर्माना जारी किया गया है. कहीं कुत्ता मालिक इसलिए आरडब्लूए के निशाने पर हैं क्योंकि उनके कुत्ते ने सोसाइटी या अपार्टमेंट को गंदा किया है. तो कहीं विवाद का विषय कुत्तों का अनावश्यक भौंकना और आस पड़ोस के लोगों को परेशान करना है. आरडब्ल्यूए की सख्ती का लेवल क्या है? इसे ग्रेटर नोएडा स्थित ATS Paradiso के आरडब्ल्यूए द्वारा जारी उस फाइन से समझा जा सकता है जो उन्होंने दो कुत्ता मालिकों पर लगाया है. मामले में दिलचस्प ये कि आरडब्ल्यूए ने फाइन तो उसूला ही. साथ ही उसपर जीएसटी भी लगाया है. जिन दो लोगों का फाइन हुआ है उनमें एक व्यक्ति का कुत्ता जहां पूरी सोसाइटी में मूत्र विसर्जन करता था तो वहीं दूसरे मामले में फाइन सिर्फ इसलिए लगा क्योंकि कुत्ता मालिक अपने कुत्ते को लिफ्ट में ले जा रहे थे.
वहीं नॉएडा की वो चार्म्स काउंटी सोसाइटी जहां अभी बीते दिनों लिफ्ट में महिला ओनर के साथ जा रहे कुत्ते ने एक बच्चे को अपना निशाना बनाया था. वहां सोसाइटी ने सभी कुत्ता मालिकों को नोटिस जारी किया है कि वे अपने कुत्तों के लिए लिफ्ट का उपयोग न करें और टहलने के लिए बाहर ले जाते समय कुत्ते के मुंह पर स्नॉट लगाएं. ऐसे ही कई मामले ग्रेटर नॉएडा वेस्ट में भी सामने आ रहे हैं जहां कुत्तों को लेकर आरडब्ल्यूए की मनमानी चल रही है और अजीबो गरीब...
कुत्ते के काटने की कुछ घटनाओं के बाद, हाई राइज अपार्टमेंट्स का आरडब्ल्यूए उन लोगों के खिलाफ सख्त हुआ है, जिन्होंने अपने अपने घरों पर कुत्ते पाले हैं. बताया जा रहा है कि घटनाओं के सामने आने के बाद कुत्ते के मालिकों को मनमाने ढंग से नोटिस और अवैध जुर्माना जारी किया गया है. कहीं कुत्ता मालिक इसलिए आरडब्लूए के निशाने पर हैं क्योंकि उनके कुत्ते ने सोसाइटी या अपार्टमेंट को गंदा किया है. तो कहीं विवाद का विषय कुत्तों का अनावश्यक भौंकना और आस पड़ोस के लोगों को परेशान करना है. आरडब्ल्यूए की सख्ती का लेवल क्या है? इसे ग्रेटर नोएडा स्थित ATS Paradiso के आरडब्ल्यूए द्वारा जारी उस फाइन से समझा जा सकता है जो उन्होंने दो कुत्ता मालिकों पर लगाया है. मामले में दिलचस्प ये कि आरडब्ल्यूए ने फाइन तो उसूला ही. साथ ही उसपर जीएसटी भी लगाया है. जिन दो लोगों का फाइन हुआ है उनमें एक व्यक्ति का कुत्ता जहां पूरी सोसाइटी में मूत्र विसर्जन करता था तो वहीं दूसरे मामले में फाइन सिर्फ इसलिए लगा क्योंकि कुत्ता मालिक अपने कुत्ते को लिफ्ट में ले जा रहे थे.
वहीं नॉएडा की वो चार्म्स काउंटी सोसाइटी जहां अभी बीते दिनों लिफ्ट में महिला ओनर के साथ जा रहे कुत्ते ने एक बच्चे को अपना निशाना बनाया था. वहां सोसाइटी ने सभी कुत्ता मालिकों को नोटिस जारी किया है कि वे अपने कुत्तों के लिए लिफ्ट का उपयोग न करें और टहलने के लिए बाहर ले जाते समय कुत्ते के मुंह पर स्नॉट लगाएं. ऐसे ही कई मामले ग्रेटर नॉएडा वेस्ट में भी सामने आ रहे हैं जहां कुत्तों को लेकर आरडब्ल्यूए की मनमानी चल रही है और अजीबो गरीब नियमों का हवाला दिया जा रहा है.
आरडब्ल्यूए के अचानक बदले रवैये से तमाम अलग अलग सोसाइटी के उन लोगों में रोष है जो अपने को एनिमल और उसमें भी डॉग लवर कहते हैं. ऐसे लोगों का मानना है कि कुछ मामलों की आड़ लेकर सोसाइटी के आरडब्ल्यूए आपदा में अवसर तलाश रहे हैं. चूंकि कई सोसाइटीज में अब कुत्ता मालिक कुत्तों को घुमाने के लिए सोसाइटी की लिफ्ट का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे. इसपर भी तमाम तरह के तर्क दिए जा रहे हैं. तमाम लोग हैं जिनका मानना है कि किसी भी हाल में सोसाइटियों के आरडब्लूए अपने नियम नहीं बना सकते हैं, उन्हें लॉ ऑफ लैंड का पालन करना होगा जोकि संविधान है.
सवाल ये भी किया जा रहा है कि कोई व्यक्ति या फिर कोई ऐसा बुजुर्ग जो 30 वे. 32 वें या 40 वें फ्लोर पर रह रहा है वो आखिर सीढ़ी का इस्तेमाल करके अपने कुत्ते को कैसे टहलाने ले जाएगा. सोसाइटी के आरडब्ल्यूए के खिलाफ आए लोगों का मानना है कि यह न केवल अवैध है बल्कि अमानवीय भी है.कहा तो ये भी जा रहा है कि जब ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा किसी कुत्ते के मालिक पर जुर्माना लगाने का कोई नियम नहीं है तो फिर ऐसे में आरडब्ल्यूए स्वतंत्र रूप से किसी कुत्ते के मालिक पर जुर्माना किस आधार और अधिकार से लगा रहा है?
ध्यान रहे नॉएडा में पिटबुल द्वारा एक बच्चे को बेहरहमी से काटे जाने के बाद तमाम तरह की बहस को पंख मिल गए हैं. वहीं बात अगर अलग अलग सोसाइटीज के आरडब्लूए की हो तो वो भी नींद से जागे हुए दिखाई दे रहे हैं. घटनाओं के बाद जिस तरह पेट ओनर्स की मुसीबतें बढ़ी हैं और जैसे उन्हें तमाम तरह के तानों और तिरस्कार का सामना करना पड़ रहा है सवाल ये है कि आखिर इस समस्या का समाधान क्या है? आखिर वो तरीका क्या है जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे?
विषय बहुत सीधा है. कुत्तों और इंसान का साथ कोई नया नहीं है. इतिहास में कई घटनाएं हैं जो बताती हैं कि चाहे वो दुःख के क्षण हो या फिर वात्सल्य के पल तमाम मौके ऐसे आए हैं जब कुत्तों ने इंसान का साथ दिया है. कुत्तों की वफादारी का लेवल तो कुछ ऐसा है कि आज भी जब जब बात वफ़ादारी की होती है तो कुत्ते वो जीव हैं जो हमारी कल्पना में आते हैं. क्योंकि जहां मिठास होती है वहीं खटास का भी वास् होता है इसलिए ऐसा बिलकुल नहीं है कि कुत्तों ने हमेशा ही इंसान को प्यार किया. कुछ मामले ऐसे भी आए हैं जहां कुत्तों ने अपने मालिकों को काटा.
अब चाहे वो ग्रेटर नॉएडा का कुत्ता हो या फिर नॉएडा का यहां हमें इस बात को समझना होगा कि इन मामलों में कुत्ते ने अपने मालिक को नहीं काटा बल्कि उन लोगों को निशाना बनाया जो आम लोग थे. जिनका कुत्तों से कभी सामना नहीं हुआ था. कुत्तों को दोष देने से पहले हमें इस बात को समझना होगा कि, 'काटना' कुत्ते का स्वाभाव है. मगर मालिक...अब वो वक़्त आ गया है कि जब Basic Obedience Training बेजुबान कुत्ते को नहीं, उनके मालिकों को दी जाए. क्या पता इस ट्रेनिंग के बाद मालिक अपने अपने कुत्ते को हैंडल करना ही सीख जाएं और घटनाएं न हों या फिर ना के बराबर हों.
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