श्रीनगर के पास बीएसएफ कैम्प में NSG कमांडो को ट्रेनिंग करते देखना बताता है कि कश्मीर में हालात कितने बिगड़ गए हैं. पिछले दो हफ्ते से NSG की हाउस इंटरवेंशन टीम(HIT कमांडो) यहां है. स्पेशल ऑपरेशंस को बिना किसी चूक के खत्म करने के लिए NSG कमांडो खासतौर पर तैयार किए जाते हैं. अब सवाल उठता है कि वे कश्मीर में क्यों हैं ?
कश्मीर में NSG कमांडो का क्या काम..
होम मिनिस्ट्री का कहना है कि अगले कुछ दिनों में लगभग 100 NSG कमांडो वहां भेजे जाएंगे. खास तौर पर वो एयरपोर्ट के आस-पास लगाए जाएंगे क्योंकि वो एंटी हाईजैक ट्रेनिंग लिए हुए हैं. आतंकियों के खिलाफ खास कार्रवाई में यदि जरूरत पड़ी तो ये कमांडो सेना, अर्धसैनिक बल और पुलिस की मदद करेंगे. इनके आपस में तालमेल के लिहाज से भी ये तैनाती महत्वपूर्ण हो गई है. ऐसे समय में जबकि कश्मीर में होने वाले एनकाउंटर में सेनिकों की शहादत ज्यादा हो रही है, ऐसे में अधिकारियों का मानना है कि NSG कमांडो घाटी में होने वाली मौतों को कम करने में सहायक होंगे.
NSG स्नाइपर्स अपनी अचूक निशानेबाजी के लिए मश्हूर हैं, उनके पास वैसे उपकरण हैं जो भारत में सबसे एडवांस माने जाते हैं. उनमें थ्रू वॉल राडार (दीवार के आर-पार की गतिविधि नापने के लिए), स्नाइपर राइफल और कॉर्नर शॉट असॉल्ट वेपन (बेहतर निशाना लगाने और गोली चलाने के लिए) आदि शामिल हैं. मिनिस्ट्री का मानना है कि इससे जम्मू-कश्मीर के सैन्य ऑपरेशनों में मदद मिलेगी.
कश्मीर के हालात किसी से छुपे नहीं हैं. आतंकी आए-दिन लाशों के ढेर बिछाते रहते हैं और भारतीय सेना के जवानों से लेकर आम कश्मीरी नागरिकों तक सब शहीद होते रहते हैं. जब आतंकी किसी घर में छुप जाते हैं तो उन्हें वहां से निकालना और बाकी लोगों को सुरक्षा में रखना बहुत जरूरी...
श्रीनगर के पास बीएसएफ कैम्प में NSG कमांडो को ट्रेनिंग करते देखना बताता है कि कश्मीर में हालात कितने बिगड़ गए हैं. पिछले दो हफ्ते से NSG की हाउस इंटरवेंशन टीम(HIT कमांडो) यहां है. स्पेशल ऑपरेशंस को बिना किसी चूक के खत्म करने के लिए NSG कमांडो खासतौर पर तैयार किए जाते हैं. अब सवाल उठता है कि वे कश्मीर में क्यों हैं ?
कश्मीर में NSG कमांडो का क्या काम..
होम मिनिस्ट्री का कहना है कि अगले कुछ दिनों में लगभग 100 NSG कमांडो वहां भेजे जाएंगे. खास तौर पर वो एयरपोर्ट के आस-पास लगाए जाएंगे क्योंकि वो एंटी हाईजैक ट्रेनिंग लिए हुए हैं. आतंकियों के खिलाफ खास कार्रवाई में यदि जरूरत पड़ी तो ये कमांडो सेना, अर्धसैनिक बल और पुलिस की मदद करेंगे. इनके आपस में तालमेल के लिहाज से भी ये तैनाती महत्वपूर्ण हो गई है. ऐसे समय में जबकि कश्मीर में होने वाले एनकाउंटर में सेनिकों की शहादत ज्यादा हो रही है, ऐसे में अधिकारियों का मानना है कि NSG कमांडो घाटी में होने वाली मौतों को कम करने में सहायक होंगे.
NSG स्नाइपर्स अपनी अचूक निशानेबाजी के लिए मश्हूर हैं, उनके पास वैसे उपकरण हैं जो भारत में सबसे एडवांस माने जाते हैं. उनमें थ्रू वॉल राडार (दीवार के आर-पार की गतिविधि नापने के लिए), स्नाइपर राइफल और कॉर्नर शॉट असॉल्ट वेपन (बेहतर निशाना लगाने और गोली चलाने के लिए) आदि शामिल हैं. मिनिस्ट्री का मानना है कि इससे जम्मू-कश्मीर के सैन्य ऑपरेशनों में मदद मिलेगी.
कश्मीर के हालात किसी से छुपे नहीं हैं. आतंकी आए-दिन लाशों के ढेर बिछाते रहते हैं और भारतीय सेना के जवानों से लेकर आम कश्मीरी नागरिकों तक सब शहीद होते रहते हैं. जब आतंकी किसी घर में छुप जाते हैं तो उन्हें वहां से निकालना और बाकी लोगों को सुरक्षा में रखना बहुत जरूरी होता है. ऐसे समय पर NSG काम आएगी. ऐसे हालात में एनएसजी की HIT टीम बेहतर काम कर सकती है.
2017 में 80 जवान और 70 आम-नागरिक मारे गए इस साल मई तक ही ये आंकड़ा 30 और 35 पहुंच चुका है.
सबसे अहम बात जो मिनिस्ट्री ने कही वो ये कि NSG खास उपकरणों के साथ तो आएगी और साथ ही उसके पास ट्रेनिंग भी है, लेकिन उनके पास रियल टाइम प्रैक्टिस नहीं है. शायद यही कारण है कि NSG की ट्रेनिंग हो रही है.
पर क्या वाकई NSG कारगर होगी?
NSG कमांडो भारत के सबसे एलीट कमांडो कहे जा सकते हैं. पीएम, प्रेसिडेंट और खास जगहों की सुरक्षा और आतंकी गतिविधियों से निपटने के लिए इन्हें ट्रेनिंग दी जाती है. जहां एनएसजी के लिए ट्रेनिंग देने की बात है तो किसी अचानक हुई घटना पर एनएसजी आसानी से काबू पा सकती है, जैसे मुंबई अटैक वाला मामला या कोई आतंकी किसी बिल्डिंग में छुपा हो वो मामला, लेकिन अगर बात यहां भीड़ पर काबू पाने की करें या फिर ऐसे हालात की जहां पत्थरबाज़ी चल रही हो वहां से निपटने के लिए अगर ट्रेनिंग देना है तो इजरायल की वो बॉर्डर फोर्स ज्यादा बेहतर साबित हो सकती है जिसने पहले से ही ये सब झेल रखा है. जो आतंकवादियों से भी लड़ने में सक्षम है और भीड़ का मुकाबला करने में भी.
ऐसे होती है ट्रेनिंग..
आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने लिए एनएसजी के कमांडो को टावर, मॉल, अस्पताल, बसों, वीआईपी सुरक्षा, मेट्रो में लोगों को आतंकवादियों से छुड़ाने की ट्रेनिंग दी जाती है. जिसके लिए इन्हें हेलिकॉप्टर की गड़गड़ाहट के बीच जंप करना, आतंकियों पर फायर करना, कुत्तों का प्रयोग करना, मुश्किल वक्त में आतंकी पर नजर रखने के कैमरे का इस्तेमाल, 8 हजार फुट की ऊंचाई से पैराशूट और पैरामोटर से उतरकर आतंकियों का सामना करने की कला सिखाई जाती है. साथ ही ट्रेनिंग के दौरान कमांडो को मुश्किल हालात में अपने को सुरक्षित रखते हुए आग की लपटों में से गुजरना भी सिखाया जाता है. ट्रेनिंग के दौरान इनके खाने-पीने का कोई स्थान नहीं होता और ये कई दिनों तक भूखे रह सकते हैं.
लेकिन, पत्थरबाजों से निपटने के लिए इजराइली तरीका ही कारगर है :
वैसे तो यकीनन NSG भारत के बेस्ट कमांडो हैं और किसी भी हालत में NSG को कम नहीं आंका जा सकता, लेकिन NSG के पास असल में कश्मीर घाटी जैसे हालात की रियल टाइम प्रैक्टिस नहीं है. कश्मीर के हालात की तुलना कुछ-कुछ फिलिस्तीन से की जा सकती है. जहां इजरायल और फिलिस्तीन के बीच लगातार झड़प होती ही रहती है. पत्थरबाजों से लेकर आंसू गैस तक और आतंकी हमलों तक से निपटने के लिए इजरायल की सयारट मटकल (Sayeret Matkal) फोर्स इसी काम के लिए खास तौर पर ट्रेन्ड होती है. ये फोर्स आतंकवाद को खत्म करने के लिए बनाई गई है. इसके सभी मेंबर शारीरिक और मानसिक तौर पर काफी मजबूत होते हैं. इनका सिलेक्शन कैम्प जिबुश कहलाता है जहां आने वालों को काफी कठिन ट्रेनिंग दी जाती है.
इजरायल और फिलिस्तीन के बीच की टेंशन खत्म करने में इस खास फोर्स ने काफी मदद की है. एक बहुचर्चित मामला है जिसमें इस फोर्स ने एक इजरायली टैक्सी ड्राइवर को छुड़वाया था. टैक्सी ड्राइवर को चार फिलिस्तीनियों को येरुसलम छोड़ते समय किडनैप कर लिया गया था. इस ड्राइवर को एक बंद पड़ी फैक्ट्री के 10 मीटर गहरे गड्ढे से छुड़वाकर लाया गया था.
इजराइल की ये फोर्स हर दिन वैसे ही हालात से जूझती है जैसे कश्मीर में बनते हैं. हमारे NSG कमांडो भी इजराइल भेजे जाते हैं ट्रेनिंग के लिए, लेकिन जैसी ट्रेनिंग इजराइली फोर्स की होती है वो अलग है.
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