दुनिया एक बार फिर खौफ के साए में है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की बातों पर यकीन करें तो दुनिया के कोई 77 देश कोविड के ताजा वेरिएंट Omicron की चपेट में हैं. क्योंकि इस वेरिएंट की रफ्तार पूर्व में आए अन्य वेरिएंट के मुकाबले कहीं ज्यादा तीव्र है इसलिए खतरा बड़ा है. हालात किस हद तक भयावह है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अभी बीते दिन ही सिर्फ ब्रिटेन में Omicron के रिकॉर्ड 88376 एक्टिव केस मिले हैं. वहीं सुपर पावर अमेरिका भी omicron के आगे बेबस और लाचार नजर आ रहा है. अमेरिका के 36 स्टेट्स ऐसे हैं जो इस बीमारी की गिरफ्त में हैं. पूरे विश्व की ही तरह Omicron को लेकर भारत की भी स्थिति कुछ खास अच्छी नहीं है. भारत में Omicron के मरीजों का आंकड़ा 300 के करीब है, और लगातार बढ़ता जा रहा है. चूंकि एक बार फिर Omicron के आगे पूरा विश्व बेबस और लाचार खड़ा है, इसलिए हमारे लिए भी ये जरूरी हो जाता है कि हम भी बीमारी के शुरुआती लक्षणों की पहचान करें. बात जब शुरुआती लक्षणों की चल रही है तो यदि आपको गले की खराश है या आप बीते कुछ दिनों से बार बार गले में तकलीफ का सामना कर रहे हैं तो आपको परेशान होने की जरूरत है. लक्षणों को लेकर जो ताजा जानकारी आई है वो गले की खराश से जुड़ी है. यदि व्यक्ति को ये तकलीफ है तो उसे इसे किसी भी सूरत में हल्के में नहीं लेना चाहिए.
ध्यान रहे कि एक ऐसे समय में जब पूरा विश्व Omicron से दहला हो दुनिया भर के वैज्ञानिक ओमिक्रॉन पर शोध में जुट गए हैं. वैज्ञानिकों द्वारा Omicron के व्यवहार को समझने के प्रयास किये जा रहे हैं. Omicron के विषय में दिलचस्प ये कि जो डेटा अब तक सामने आया है वो ये जी बता रहा है कि कोरोना वायरस का ये वैरिएंट पिछले...
दुनिया एक बार फिर खौफ के साए में है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की बातों पर यकीन करें तो दुनिया के कोई 77 देश कोविड के ताजा वेरिएंट Omicron की चपेट में हैं. क्योंकि इस वेरिएंट की रफ्तार पूर्व में आए अन्य वेरिएंट के मुकाबले कहीं ज्यादा तीव्र है इसलिए खतरा बड़ा है. हालात किस हद तक भयावह है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अभी बीते दिन ही सिर्फ ब्रिटेन में Omicron के रिकॉर्ड 88376 एक्टिव केस मिले हैं. वहीं सुपर पावर अमेरिका भी omicron के आगे बेबस और लाचार नजर आ रहा है. अमेरिका के 36 स्टेट्स ऐसे हैं जो इस बीमारी की गिरफ्त में हैं. पूरे विश्व की ही तरह Omicron को लेकर भारत की भी स्थिति कुछ खास अच्छी नहीं है. भारत में Omicron के मरीजों का आंकड़ा 300 के करीब है, और लगातार बढ़ता जा रहा है. चूंकि एक बार फिर Omicron के आगे पूरा विश्व बेबस और लाचार खड़ा है, इसलिए हमारे लिए भी ये जरूरी हो जाता है कि हम भी बीमारी के शुरुआती लक्षणों की पहचान करें. बात जब शुरुआती लक्षणों की चल रही है तो यदि आपको गले की खराश है या आप बीते कुछ दिनों से बार बार गले में तकलीफ का सामना कर रहे हैं तो आपको परेशान होने की जरूरत है. लक्षणों को लेकर जो ताजा जानकारी आई है वो गले की खराश से जुड़ी है. यदि व्यक्ति को ये तकलीफ है तो उसे इसे किसी भी सूरत में हल्के में नहीं लेना चाहिए.
ध्यान रहे कि एक ऐसे समय में जब पूरा विश्व Omicron से दहला हो दुनिया भर के वैज्ञानिक ओमिक्रॉन पर शोध में जुट गए हैं. वैज्ञानिकों द्वारा Omicron के व्यवहार को समझने के प्रयास किये जा रहे हैं. Omicron के विषय में दिलचस्प ये कि जो डेटा अब तक सामने आया है वो ये जी बता रहा है कि कोरोना वायरस का ये वैरिएंट पिछले वैरिएंट की तुलना में ज्यादा संक्रामक लेकिन कम गंभीर है. कोरोना के मुकाबले Omicron के लक्षण हल्के हैं. हालांकि, ओमिक्रॉन के अब तक जितने भी मरीज मिले हैं उनमें एक लक्षण आम है और वो है गले में खराश का होना.
बताते चलें कि दक्षिण अफ्रीका के डिस्कवरी हेल्थ के सीईओ डॉक्टर रेयान नोच Omicron को लेकर कुछ अहम जानकारियों के साथ सामने आए हैं. अभी हाल ही में उन्होंने एक प्रेस ब्रीफिंग में तर्क दिया था कि डॉक्टरों ने ओमिक्रॉन पॉजिटिव मरीजों के लक्षणों में थोड़ा अलग पैटर्न देखा है. इन सभी में संक्रमण का शुरुआती लक्षण गले में खराश थी. इसके बाद नाक बंद होना, सूखी खांसी, मांसपेशियों और पीठ के निचले हिस्से में दर्द जैसे लक्षण पाए गए.
डॉक्टर रेयान नोच का मानना है कि भले ही ये तमाम लक्षण हल्के प्रतीत हो रहे हों लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि ओमिक्रॉन कम खतरनाक है और हम लापरवाही बरतते हुए इसे हल्के में लें. वहीं डॉक्टर रेयान नोच के समर्थन में ब्रिटिश हेल्थ एक्सपर्ट भी आए हैं. ब्रिटिश हेल्थ एक्सपर्ट् सर जॉन बेल ने बीबीसी रेडियो से की अपनी बातों में कहा कि शुरुआती आंकड़ों से पता चलता है कि ओमिक्रॉन पिछले कोरोना वायरस की तुलना में बहुत अलग व्यवहार कर रहा है. उन्होंने कहा, 'इस विशेष वायरस के लक्षण पिछले वेरिएंट से अलग हैं. बंद नाक, गले में खराश, मांसपेशियों में दर्द और दस्त ऐसे लक्षण हैं जिन पर ध्यान देना चाहिए.'
बात Omicron और इसके संभावित खतरों के संदर्भ में हुई है तो साउथ अफ्रीकन DSI-NRF सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन एपिडेमायोलॉजिकल मॉडलिंग एंड एनालिसिस (SACEMA) की डायरेक्टर जूलियत पुलियम ने जो दावा किया है उसे जानकर भारत को चिंतित अवश्य होना चाहिए. पुलियम ने Omicron को लेकर जो शोध किया है उसमें इस बात की प्रबल संभावना है कि ओमिक्रॉन भारत में बड़ी ही तेजी के साथ फैलेगा.
दरअसल अभी हाल ही में पुलियम ने एक इंटरव्यू दिया है और चिंता जाहिर करते हुए कहा कि भारत में हॉस्पिटल प्लानिंग से जुड़े मामलों के लिए तैयार रहना समझदारी भरा कदम होगा. पुलियम ने कहा कि ओमिक्रॉन पहले संक्रमित हो चुके लोगों को भी अपनी चपेट में ले रहा है. इसका ट्रांसमिशन रेट पिछले सभी वैरिएंट से बहुत ज्यादा है. पुलियम के अनुसार शुरुआती आंकड़े बताते हैं कि पूरी तरह से वैक्सीनेट हो चुके लोग भी नए वैरिएंट से नहीं बच पा रहे हैं.
पुलियम ने कहा कि ओमिक्रॉन इंफेक्शन के जो हालात पहले दक्षिण अफ्रीका में देखने को मिले थे, अब वो दुनियाभर के कई देशों में दिखने लगे हैं. भारत में डेल्टा वैरिएंट के कारण आई दूसरी लहर में भी बदतर हालात देखने को मिले थे. बहरहाल एक ऐसे समय में जब बड़े बड़े एक्सपर्ट्स Omicron को लेकर रोज नए नए शोध कर रहे हों. बीमारी कितनी खतरनाक होगी या नहीं होगी इसपर अभी कुछ कहना जल्दबाजी है.
लेकिन जिस तरह वैक्सिनेटेड लोग तक इसकी चपेट में आ जा रहे हैं ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि इस बीमारी को हल्के में लेना या कहना कि अगर बीमारी की चपेट में आएंगे तो ठीक हो जाएंगे. अपने में एक बड़ी भूल है. क्यों कि बीमारी को लेकर अभी तक जो भी जानकारी आई है उसमें गले की खराश एक अहम लक्षण है इसलिए यदि किसी को भी अपने गले में किसी तरह की कोई तकलीफ हो रही है तो बिना लापरवाही बरते वो डॉक्टर के पास जाए और अपना सही और प्रभावी इलाज कराए.
चूंकि कोरोना के दौर में हम पहले ही देख चुके हैं कि जानकारी ही बचाव है. तो नियम आज भी वही है. चाहे कोरोना हो या ये Omicron व्यक्ति बच सकता है बशर्ते वो अपना ख्याल रखे और पहले की तरह भीड़भाड़ वाली जगह जाने से बचे और अगर जाना बहुत ज्यादा जरूरी है तो मास्क लगाकर ही निकले. पहले कोरोना और अब Omicron के इस दौर में हमें इस बात को समझना होगा कि भले ही लॉक डाउन अन लॉक में तब्दील हो गया हो. अभी भी स्थिति पूर्व जैसी और उतनी ही जानलेवा है. अंत में बस इतना ही कि गले की खराश इतनी डरावनी कभी न थी लेकिन ये हमें इस बीमारी से बचाने में निर्णायक भूमिका भी निभा सकती है. बस हमें धैर्य के साथ साथ अपने फैसले समझदारी से लेने होंगे.
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