प्यारे मुरादाबाद के वो दंगाई मुसलमानों,
आशा करता हूं कि कोरोना वायरस (CoronaVirus) की जांच करने आई टीम पर हमले और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) द्वारा लिए गए एक्शन के बाद स्थिति नियंत्रण में होगी. न भी हुई तो मुझे यकीन है प्रशासन ने मुस्तैदी दिखाते हुए कर ली होगी. मुझे आपसे ढेर सारी बातें करनी हैं. कुछ अपनी बतानी हैं. कुछ आप की सुननी हैं. मैं जानता हूं कि आपके तरकश में तर्कों के तीर तैयार हैं. आप कहेंगे कि सरकार हमारी दुष्मन है और उसका इरादा हमारे अस्तित्व को खत्म करना और हमें डराना है. तो ये भी जान लीजिए कि मैं बीते दो दिन से देख रहा हूं. एक गिरोह है जो उन हमलावरों के बचाव में आ गया है जिन्होंने कोरोना वायरस की जांच के लिए आई टीम पर पथराव किया. उन्हें लहूलुहान किया. यक़ीन मानिए ये जो कुछ भी हुआ है आपके शहर मुरादाबाद (Moradabad) में, इसने पूरी इंसानियत को शर्मसार कर के रख दिया है. लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या कोई इस हद तक भी गिर सकता है जैसे आप यानी मुरादाबाद के लोग गिरे हैं?
क्या दोष था उन डॉक्टर्स और पारा मेडिकल स्टाफ का? क्या आप इस बात से आहत थे कि आपकी जान को लेकर आप से ज्यादा फिक्रमंद डॉक्टर्स और सरकार हैं? ध्यान रखिएगा कि तबलीगी जमात द्वारा की गई मूर्खता का खामियाजा आज न केवल मुसलमानों को बल्कि पूरे देश को भुगतना पड़ रहा है ऐसे में सरकार की फिक्र लाजमी है. सरकार नहीं चाहती कि भारत में भी बीमारी महामारी का रूप लेकर हज़ारों लाखों लोगों को अपनी चपेट में ले.
धर्म कोई भी हो जान लेने वाले के बजाए प्राथमिकता उसे ही दी गयी है जो जान बचाने वाला होता है. इन बातों के अलावा जितना व्यक्तिगत रूप से मैंने...
प्यारे मुरादाबाद के वो दंगाई मुसलमानों,
आशा करता हूं कि कोरोना वायरस (CoronaVirus) की जांच करने आई टीम पर हमले और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) द्वारा लिए गए एक्शन के बाद स्थिति नियंत्रण में होगी. न भी हुई तो मुझे यकीन है प्रशासन ने मुस्तैदी दिखाते हुए कर ली होगी. मुझे आपसे ढेर सारी बातें करनी हैं. कुछ अपनी बतानी हैं. कुछ आप की सुननी हैं. मैं जानता हूं कि आपके तरकश में तर्कों के तीर तैयार हैं. आप कहेंगे कि सरकार हमारी दुष्मन है और उसका इरादा हमारे अस्तित्व को खत्म करना और हमें डराना है. तो ये भी जान लीजिए कि मैं बीते दो दिन से देख रहा हूं. एक गिरोह है जो उन हमलावरों के बचाव में आ गया है जिन्होंने कोरोना वायरस की जांच के लिए आई टीम पर पथराव किया. उन्हें लहूलुहान किया. यक़ीन मानिए ये जो कुछ भी हुआ है आपके शहर मुरादाबाद (Moradabad) में, इसने पूरी इंसानियत को शर्मसार कर के रख दिया है. लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या कोई इस हद तक भी गिर सकता है जैसे आप यानी मुरादाबाद के लोग गिरे हैं?
क्या दोष था उन डॉक्टर्स और पारा मेडिकल स्टाफ का? क्या आप इस बात से आहत थे कि आपकी जान को लेकर आप से ज्यादा फिक्रमंद डॉक्टर्स और सरकार हैं? ध्यान रखिएगा कि तबलीगी जमात द्वारा की गई मूर्खता का खामियाजा आज न केवल मुसलमानों को बल्कि पूरे देश को भुगतना पड़ रहा है ऐसे में सरकार की फिक्र लाजमी है. सरकार नहीं चाहती कि भारत में भी बीमारी महामारी का रूप लेकर हज़ारों लाखों लोगों को अपनी चपेट में ले.
धर्म कोई भी हो जान लेने वाले के बजाए प्राथमिकता उसे ही दी गयी है जो जान बचाने वाला होता है. इन बातों के अलावा जितना व्यक्तिगत रूप से मैंने इस्लाम को समझा है जान बचाने वाले को ख़ुदा कहा गया है. ऐसे में एक सवाल ये भी उठता है कि आप नफरत की आग में कुछ इस दर्जे अंधे हो गए कि आपने अपने खुदा पर ही हमला कर दिया. उसे खून से लतपथ कर दिया. हो सकता है कि आपको मेरी बात बुरी लग जाए लेकिन सच यही है कि आपका ईमान बहुत खोखला और कमज़ोर है.
बीते कुछ वक्त से पूरा देश आपको देख रहा है. कोशिश की जा रही है कि आपकी समस्याओं को समझा जाए. अगर हल निकाला जा सके तो उन समस्याओं का निवारण भी किया जाए. लेकिन जैसे जैसे आपकी समस्याओं पर गौर किया तो मिला कि आपकी तो समस्याएं ही निराधार हैं. आपकी हालत उस कठपुतली की तरह है जिसकी डोर हर उस आदमी के हाथों में है जिसके एजेंडे में देश के प्रति नफरत और जिसका उद्देश्य देश की अखंडता और एकता को प्रभावित करना है.
बात कड़वी है जाहिर है आप आहत होंगे तो कुछ उदाहरणों पर गौर करिये. बात ज्यादा पुरानी नहीं है. दिन ही कितने बीते हैं. नए नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में आप सड़कों पर थे. ख़ुद याद करिये कि कितना उत्पात मचाया आप लोगों ने. क्या क्या नहीं हुआ. पुलिस पर हमला हुआ. लॉ एंड आर्डर की धज्जियां उड़ीं. सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया. शाहीन बाग़ बना. लोग मरे. इस नए कानून से आपकी नागरिकता प्रभावित हो रही थी?
जवाब है नहीं मगर इसके बावजूद आप सड़कों पर थे एयर एक ऐसी बात के लिए माथा पच्ची कर रहे थे जिसका आपसे कोई मतलब नहीं था. ये सब क्यों हुआ जवाब पूरा देश जानता है. चंद मौका परस्तों ने आपके कंधे पर बंदूक रखी और आप चल दिये खोखिली 'क्रांति का बिगुल बजाने' इसके बाद जो रही गयी कसर बची थी वो तब्लीगी जमात के लोगों ने पूरी कर दी. आज देश के हालात कैसे हो गए हैं ये न आप से छुपा है न आपके आकाओं से.
इंदौर तो याद ही होगा आप लोगों को. आपके भाइयों ने वहां भी ठीक ऐसा ही किया . वहां भी उनकी ठीक इसी तरह आलोचना हुई. जिस वक़्त आप ये पढ़ रहे हैं आपको बताना बहुत जरूरी है कि मध्य प्रदेष के इंदौर में कोरोना वायरस के चलते अब तक 33 से ऊपर लोग मर चुके हैं और 328 के आस पास लोग इस जानलेवा बीमारी की चपेट में हैं. क्यों कि मुरादाबाद में भी कोरोना के कारण मौत का मामला सामने आ चुका है तो डर यही बना हुआ है कि एक छोटी सी मूर्खता एक बड़ी विपदा की वजह न बन जाए.
किसी जमाने में पोलियो ड्राप और आज कोरोना की जांच का विरोध करते और देव तुल्य डॉक्टर्स को मारते मुरादाबाद के लोगों को समझना चाहिए कि बीमारी से हम तभी लड़ पाएंगे जब हम एक साथ आएंगे यदि ऐसा हो गया तो ठीक वरना इस माहौल में शायद ही कभी कोरोना को परास्त किया जा सके.
अब वो वक़्त आ गया है जब जान बचाने वाले डॉक्टर्स और पुलिस पर हमला करते लोगों को समझना होगा कि अब वो दौर निकल चुका है जिसमें किसी भी गलती के दौरान बचने के लिए विक्टिम कार्ड निकाला जाता था. आज जब गलती होगी तो आलोचना भी होगी और सजा की मांग भी उठेगी.
मुस्लिम समाज को याद रखना होगा कि आज उनका दुश्मन कोई और नहीं बल्कि उनकी अपनी हठधर्मिता और कट्टरपंथ हैं. इन्हीं के कारण आज समुदाय को भारत समेत दुनिया भर में जगहंसाई का सामना करना पड़ रहा है.
बाक़ी भले ही अल्पमात्रा में हो. मगर हर चीज में सुधार की संभावना रहती है. तो हम भी यही कामना करते हैं कि मुरादाबाद के अलावा देश का मुसलमान बैठे और ठंडे दिमाग से सोचे कि जो प्रयास सरकार उसके लिए कर रही है वो ठीक दिशा में हैं. साथ ही उनका मदद की आखिरी उम्मीद बने डॉक्टर्स पर पत्थर चलाना निंदनीय है.
चाहे मुरादाबाद हो या फिर इंदौर देश के मुसलमानों को याद रखना होगा कि बीमारी का इस्लाज हठधर्मिता नहीं है. इससे हम तभी लड़ सकते हैं जब हम एक साथ हों और अपने देश के निजाम पर विश्वास करें. हम फिर इस बात को दोहराएंगे कि ये वक़्त आत्मसात करने का है कहीं ऐसा न हो कि जब तक चीजों को समझें हमारी बेवकूफी के चलते हमारे सामने लाशों का अंबार हो और कराहते शरीर हमसे मदद की भीख मांगें.
पत्र काफी लंबा हो गया है. अब हम अपनी बातों को विराम देते हुए बस इतनी ही कहेंगे कि अब भी वक़्त है संभल जाइये क्योंकि वक़्त के आगे किसी की नहीं चली है. उसकी बदौलत हम ठहर गए हैं. और हां हो सके तो कम लिखे को ज्यादा बल्कि बहुत ज्यादा समझते हुए चिंतन कीजिये क्या पता उस चिंतन के बाद उम्मीद की एक किरण दिखाई दे जो अंधकार से भरे हुए इस जेहन को कुछ राहत और सुकून दे.
आपका
इस देश का एक आम नागरिक
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