किसी सेक्स स्लेव की जिंदगी कैसे होती है? नरक से भी बद्तर जहां उसे ऐसे लोगों को खुश करना होता है जो उन्हें खुद से घृणा करने पर मजबूर कर देता है. अगर सेक्स स्लेव की बात करें तो सबसे पहले किसी ऐसी लड़की के बारे में सोचा जाता है जिसे अपने घर वालों से दूर कैद करके रखा गया हो और जिनके साथ रोज़ रेप होता हो! पर अगर किसी जानवर के बारे में ऐसे बात पता चले तो? किसी जानवर को कैद कर उसके साथ रेप किया जाए और उसे सेक्स स्लेव बना दिया जाए ये कितनी भयानक कहानी लगती है. पर ये कहानी झूठी नहीं बल्कि सच्ची है.
ये कहानी है पोनी की जो एक ऑरेंगोटैन है. orangutan: सबसे अकलमंद बंदर जो इंसानों की तरह हरकतें कर सकता है. ये प्रजाती संरक्षित है और इसका व्यापार भी बहुत ज्यादा होता है.
जानवर कौन वो या हम?
पोनी (जिस ऑरेंगोटैन को स्लेव बनाया गया) एक वैश्यालय के एक गंदे से कमरे में चेन से बंधी हुई लेटी रहती थी. उसके बाल पूरी तरह से शेव कर दिए जाते थे जिससे उसकी त्वचा भी खराब हो गई थी और उसे जगह-जगह घाव भी हो गए थे. पोनी जैसे ही किसी अन्य पुरुष को अपने पास आते हुए देखती तो उसे समझ आ जाता कि अब क्या होने वाला है. वो तैयार हो जाती और अपना काम करने के लिए. एक के बाद एक हर दिन उसके साथ ये होता.
पास की तेल फैक्ट्री से काम करके मजदूर आते और कम पैसे देकर पोनी के साथ रेप करते. पोनी के चेहरे पर भयानक मेकअप लगाया जाता और उसे इयररिंग भी पहनाए जाते. उसे हर रोज़ कई तरह के सेक्स एक्ट भी करने पड़ते अपने ग्राहकों को लुभाने के लिए.
पोनी को 2003 में इस वैश्यालय से छुड़वाया गया था, लेकिन हाल ही में द सन ने...
किसी सेक्स स्लेव की जिंदगी कैसे होती है? नरक से भी बद्तर जहां उसे ऐसे लोगों को खुश करना होता है जो उन्हें खुद से घृणा करने पर मजबूर कर देता है. अगर सेक्स स्लेव की बात करें तो सबसे पहले किसी ऐसी लड़की के बारे में सोचा जाता है जिसे अपने घर वालों से दूर कैद करके रखा गया हो और जिनके साथ रोज़ रेप होता हो! पर अगर किसी जानवर के बारे में ऐसे बात पता चले तो? किसी जानवर को कैद कर उसके साथ रेप किया जाए और उसे सेक्स स्लेव बना दिया जाए ये कितनी भयानक कहानी लगती है. पर ये कहानी झूठी नहीं बल्कि सच्ची है.
ये कहानी है पोनी की जो एक ऑरेंगोटैन है. orangutan: सबसे अकलमंद बंदर जो इंसानों की तरह हरकतें कर सकता है. ये प्रजाती संरक्षित है और इसका व्यापार भी बहुत ज्यादा होता है.
जानवर कौन वो या हम?
पोनी (जिस ऑरेंगोटैन को स्लेव बनाया गया) एक वैश्यालय के एक गंदे से कमरे में चेन से बंधी हुई लेटी रहती थी. उसके बाल पूरी तरह से शेव कर दिए जाते थे जिससे उसकी त्वचा भी खराब हो गई थी और उसे जगह-जगह घाव भी हो गए थे. पोनी जैसे ही किसी अन्य पुरुष को अपने पास आते हुए देखती तो उसे समझ आ जाता कि अब क्या होने वाला है. वो तैयार हो जाती और अपना काम करने के लिए. एक के बाद एक हर दिन उसके साथ ये होता.
पास की तेल फैक्ट्री से काम करके मजदूर आते और कम पैसे देकर पोनी के साथ रेप करते. पोनी के चेहरे पर भयानक मेकअप लगाया जाता और उसे इयररिंग भी पहनाए जाते. उसे हर रोज़ कई तरह के सेक्स एक्ट भी करने पड़ते अपने ग्राहकों को लुभाने के लिए.
पोनी को 2003 में इस वैश्यालय से छुड़वाया गया था, लेकिन हाल ही में द सन ने ऑरेंगोटैन्स को लेकर एक स्टोरी की जिसमें पोनी के साथ काम कर रहे एक्सपर्ट्स से बात की गई. उस समय जो जानकारी सामने आई वो चौंकाने वाली थी.
पोनी को शायद उसकी मां से बचपन में ही छीन लिया गया था क्योंकि ऑरेंगोटैन अपनी मां के साथ 7 से 11 साल की उम्र तक रहते हैं और पोनी को जब छुड़वाया गया तब उसकी उम्र 6 साल थी. न जाने कितने सालों से उसके साथ ये चल रहा था.
पोनी को छुड़वाने के लिए करनी पड़ी थी मेहनत-
पोनी को छुड़वाना कोई आसान काम नहीं था. जिस वैश्यालय की बात हो रही है वहां की मैडम (वैश्यालय की मालकिन) ने पोनी को नहीं छोड़ने की बात कही. पोनी को छुड़वाने के लिए रेस्क्यू टीम को 35 पुलिस अधिकारियों के साथ वैश्यालय जाना पड़ा था पोनी को छुड़वाने. इंडोनेशिया के एक गांव में पोनी को रखा गया था और उसे छुड़वाने के लिए रेस्क्यू टीम को कई दिन का इंतजार भी करना पड़ा था. जब रेस्क्यू टीम ने पोनी को देखा तो उसकी हालत बेहद खराब थी. उसके शरीर में कई फोड़े और घाव थे, उसे मेकअप और इयरिंग पहनाया गया था, उसके साथ ही परफ्यूम भी लगाया गया था, लेकिन जिस जगह उसे रखा गया था वो बहुत भयानक थी. वो चेन से बंधी हुई थी और पूरे शरीर में बालों को शेव कर दिया गया था.
पोनी की हालत ऐसी थी कि वो पुरुषों को देखकर भी डर जाती थी. उसे जब छुड़वाया गया तो वो पुरुष केयरटेकर तक को देखकर डर जाती थी. उसके पास कई महीनों तक सिर्फ महिलाओं को ही ले जाया गया. फिर उसे कुछ अन्य ऑरेंगोटैन्स के साथ रखा गया, लेकिन वो भी सब मादा ही थीं.
धीरे-धीरे पोनी की हालत में सुधार आया और वो पुरुष केयरटेकर पर भी भरोसा करने लगी. इस घटना को अब 15 साल बीत चुके हैं और अब पोनी स्वस्थ्य है.
पोनी को कभी भी जंगल में नहीं छोड़ा जा सकेगा क्योंकि उसने अपनी जिंदगी का अहम हिस्सा चेन से बंधे हुए एक कमरे में बिताया है और वो अपने लिए न तो खाना खोज पाएगी न ही अन्य जीवों से खुद की रक्षा कर पाएगी. फिलहाल पोनी Nyaru Menteng Rehabilitation Centre में 7 अन्य ऑरेंगोटैन के साथ रहती है और अब वो अपना घर अच्छे से पहचानने लगी है.
क्यों ऑरेंगोटैन है संरक्षित-
ये प्रजाति बेहद अक्लमंद होती है और इन्हें ही इंसानों से सबसे ज्यादा करीब होती है. उन्हें बहुत कुछ सिखाया जा सकता है और इसी कारण ब्लैक मार्केट में उनकी मांग भी बहुत है.
इंटरनेट पर सर्च करेंगे तो ऐसे कई वीडियो मिल जाएंगे जहां ये पता चलता है कि ऑरेंगोटैन असल में कितना कुछ सीख सकते हैं. सेलेब्स जैसे पैरिस हिल्टन आदि ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट्स पर इनके साथ तस्वीरें भी पोस्ट की हैं. कई लोग इन्हें खरीदने के लिए आतुर रहते हैं, लेकिन इससे इनकी प्रजाति और खतरे में पड़ जाती है. बच्चों के झुंड से अलग कर दिया जाता है और अक्सर मां को मार दिया जाता है. ये प्रजाति 50 साल तक जीती है और अब ये विलुप्ती की कगार पर आ गई है.
वो लोग जो किसी जानवर के साथ सेक्स करते हैं?
कुछ मानसिक बीमार लोगों को अपनी कामेच्छा शांत करने के लिए एक जानवर बहुत ही सुलभ साधन लगता है. उन्हें काबू किया जा सकता है, यहां कंसेंट का सवाल ही नहीं उठता, वो अपने मुंह से किसी को अपनी कहानी बता नहीं सकते. ये लोग ज्यादातर कुत्ते, गधे, भेड़, बकरी और बिल्ली जैसे जानवरों के साथ जबरन संबंध बनाते हैं, उसका आनंद लेते हैं. ऐसे में एक ऑरेंगोटैन जो असल में इंसानों जैसी हरकतें भी कर सकता है उसके साथ ऐसी हरकत करना कितना आसान होगा?
इंसान और जानवर के बीच अप्राकृतिक संबंधों को bestiality या zoophilia कहते हैं. और वो इंसान जो ऐसा करते हैं उन्हें zoophiles कहा जाता है. ऐसे लोगों की संख्या काफी कम है लेकिन सच ये है कि ऐसा हजारों सालों से होता आया है. अमेरिकन साइकिएट्रिक असोसिएशन के ICD-10 और DSM-V के अनुसार ये एक मानसिक विकार है जिसे पैराफीलिया कहा जाता है. ब्राजील, मैक्सिको, थाइलैंड, फिनलैंड, हंगरी और रोमानिया में bestiality को वैध माना गया है. और बाकी देशों में इसके खिलाफ अलग कानून और कायदे हैं.
ये घटना तो पुरानी है, लेकिन जिस तरह से ये सामने आई है उससे लगता है जैसे इंसानों की इस दुनिया में खुद इंसानों का कोई मोल नहीं है फिर जानवरों की भावनाओं और उनकी तकलीफ के बारे में कौन सोचे? किसी भी हाल में जो पोनी के साथ हुआ वो सुनकर सिर्फ यही कहा जा सकता है कि इंसानियत शायद अब सिर्फ नाम के लिए ही रह गई है.
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