एक समय में दो ख़बरें हैं. दोनों ही ख़बरें संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत से जुड़ी हैं. पहली खबर मुस्लिम बाहुल्य राष्ट्र मलेशिया से सम्बंधित है दूसरी खबर पाकिस्तान से है. पहली खबर के अनुसार मलेशिया ने फिल्म पद्मावत को बैन कर दिया है. अगर आप ये सोच रहे हैं कि मलेशिया के लोगों को भी करणी सेना से खतरा है या फिर उन्होंने करनी सेना के डर से फिल्म बैन की है तो आप गलत हैं. मलेशिया में फिल्म बैन होने का कारण बस इतना है कि वहां के नेशनल फिल्म सेंसरशिप बोर्ड (एलपीएफ) और उसके चेयरमैन को फिल्म "इस्लाम" के लिहाज से सही नहीं लगी. चेयरमैन साहब का मानना है कि फिल्म इस्लाम की छवि को धूमिल कर रही है जिससे देश में लोगों की भावना आहत हो सकती है.
बोर्ड के चेयरमैन मुहम्मद ज़ाम्बेरी अब्दुल अज़ीज़ ने फ्री मलेशिया टुडे को बताया है कि फिल्म की स्टोरीलाइन इस्लाम के संवेदनशील बिन्दुओं को छूती है जो लोगों को नागवार गुजर सकता है. अतः बेहतर है कि किसी भी बवाल या विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर फिल्म को बैन कर दिया जाए. ध्यान रहे कि मलेशिया में फिल्म के डिस्ट्रीब्यूटर्स ने फिल्म पर लगे बैन के खिलाफ एक याचिका डाली है जिसे फिल्म अपील कमिटी के सामने रखा जाएगा.
इसके ठीक विपरीत फिल्म को लेकर पाकिस्तान के चर्चा में आने का कारण ये है कि पाकिस्तान अपनी जनता को फिल्म का अनकट वर्जन दिखाएगा. जी हां भले ही ये सुनने में हास्यादपद हो, मगर ये सच है. पाकिस्तान सेंसर बोर्ड के अदिकारियों की मानें तो फिल्म को देश में दिखाने की मंजूरी दे दी गई है. फिल्म पाकिस्तान के सिनेमाघरों में सर्टिफिकेट के साथ रिलीज होगी. फिल्म डिस्ट्रिब्यूटर्स के अनुसार,शुरुआत में देश के...
एक समय में दो ख़बरें हैं. दोनों ही ख़बरें संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत से जुड़ी हैं. पहली खबर मुस्लिम बाहुल्य राष्ट्र मलेशिया से सम्बंधित है दूसरी खबर पाकिस्तान से है. पहली खबर के अनुसार मलेशिया ने फिल्म पद्मावत को बैन कर दिया है. अगर आप ये सोच रहे हैं कि मलेशिया के लोगों को भी करणी सेना से खतरा है या फिर उन्होंने करनी सेना के डर से फिल्म बैन की है तो आप गलत हैं. मलेशिया में फिल्म बैन होने का कारण बस इतना है कि वहां के नेशनल फिल्म सेंसरशिप बोर्ड (एलपीएफ) और उसके चेयरमैन को फिल्म "इस्लाम" के लिहाज से सही नहीं लगी. चेयरमैन साहब का मानना है कि फिल्म इस्लाम की छवि को धूमिल कर रही है जिससे देश में लोगों की भावना आहत हो सकती है.
बोर्ड के चेयरमैन मुहम्मद ज़ाम्बेरी अब्दुल अज़ीज़ ने फ्री मलेशिया टुडे को बताया है कि फिल्म की स्टोरीलाइन इस्लाम के संवेदनशील बिन्दुओं को छूती है जो लोगों को नागवार गुजर सकता है. अतः बेहतर है कि किसी भी बवाल या विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर फिल्म को बैन कर दिया जाए. ध्यान रहे कि मलेशिया में फिल्म के डिस्ट्रीब्यूटर्स ने फिल्म पर लगे बैन के खिलाफ एक याचिका डाली है जिसे फिल्म अपील कमिटी के सामने रखा जाएगा.
इसके ठीक विपरीत फिल्म को लेकर पाकिस्तान के चर्चा में आने का कारण ये है कि पाकिस्तान अपनी जनता को फिल्म का अनकट वर्जन दिखाएगा. जी हां भले ही ये सुनने में हास्यादपद हो, मगर ये सच है. पाकिस्तान सेंसर बोर्ड के अदिकारियों की मानें तो फिल्म को देश में दिखाने की मंजूरी दे दी गई है. फिल्म पाकिस्तान के सिनेमाघरों में सर्टिफिकेट के साथ रिलीज होगी. फिल्म डिस्ट्रिब्यूटर्स के अनुसार,शुरुआत में देश के लोगों द्वारा अलाउद्दीन खिलजी को नकारात्मक रोल में दिखाए जाने से आपत्ति थी, मगर अब देश में फिल्म की रिलीज का रास्ता साफ है.
गौरतलब है कि पाकिस्तान के फिल्म सर्टिफिकेशन बोर्ड के चेयरमैन मोबश्शिर हसन द्वारा फिल्म पद्मावत को पब्लिक एग्जीबिशन के लिए फिट करार दिया गया है. फिल्म को बिना किसी काट-छांट के सर्टिफिकेट के साथ रिलीज किया जाएगा. फिल्म को लेकर हसन का तर्क है कि आर्ट, क्रिएटिविटी और हेल्दी एंटरटेनमेंट के मामले में सीबीएफसी कभी पक्षपात नहीं करता.
इस फिल्म को दिखाकर क्या लिबरल बनना चाह रहा है पाकिस्तान
इस पूरे मामले में जो पहला सवाल दिमाग में आता है वो ये कि क्या पाकिस्तान फिल्म दिखाकर ये दर्शाना चाह रहा है कि पूर्व की अपेक्षा वर्तमान में वो लिबरल बन गया है? यदि कोई इस पर समर्थन दे और कहे कि अब पाकिस्तान सुधर गया है और बदलाव के मार्ग पर अग्रसर है तो ऐसे लोग जल्दबाजी को किनारे कर ठहरकर इस मुद्दे पर पुनर्विचार करें. ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान सुधर गया है और उसने अभिव्यक्ति की कद्र करनी शुरू कर दी है. इस पूरे प्रकरण में बात बस इतनी है भारत में, फिल्म पद्मावत की आलोचना करने वाले आलोचकों के अनुसार फिल्म में भारतीय संस्कृति का अपमान हुआ है. यहां बात शीशे की तरह साफ है कि पाकिस्तान ने ये फिल्म अपनी जानता को क्यों दिखाई.
बेबी, ख़ुदा के लिए, वर्ना जैसी बातों पर कहां थी क्रिएटिविटी और हेल्दी एंटरटेनमेंट की बातें
जो पाकिस्तान आज और जिसका फिल्म सर्टिफिकेशन बोर्ड आज आर्ट, क्रिएटिविटी और हेल्दी एंटरटेनमेंट की बात कर रहा है उससे ये जानना जरूरी हो जाता है कि उसकी नैतिकता वाली ये बातें तब कहाँ थीं जब पाकिस्तान में बेबी, ख़ुदा के लिए, वर्ना जैसी फिल्मों पर प्रतिबंध की बात हुई थी. ज्ञात हो कि बेबी को पाकिस्तान ने इसलिए रिलीज नहीं किया क्योंकि वो पाकिस्तान द्वारा फैलाए जा रहे आतंकवाद को दर्शा रही थी जबकि खुदा के लिए और वर्ना पर वहां विरोध इसलिए हुए क्योंकि फिल्म ने पाकिस्तानी समाज के अलावा वहां के मुल्लों का चेहरा दुनिया को दिखाने का प्रयास किया था.
तो क्या मान लें पाकिस्तान इस्लाम की फर्जी पैरोकारी करता है
एक तरफ 60 पर्सेंट की आबादी वाला मुस्लिम राष्ट्र मलेशिया फिल्म को इसलिए नहीं प्रदशित करता क्योंकि उसे महसूस होता है कि फिल्म इस्लाम के संवेदनशील बिन्दुओं पर प्रहार कर रही है जिससे लोगों की भावना आहत हो रही है तो वहीं पाकिस्तान का ये कहकर फिल्म को प्रदर्शित करना कि देश आर्ट, क्रिएटिविटी और हेल्दी एंटरटेनमेंट के मामले में पक्षपात नहीं करता ये बताने के लिए काफी है कि तकरीबन 98% मुस्लिम आबादी वाला पाकितान इस्लाम की फर्जी पैरोकारी कर रहा है. वहां फिल्म इसलिए प्रदर्शित हुई क्योंकि इसका प्लाट भारतीय संस्कृति पर आधारित था जिसको लेकर तमाम विवाद हुए. यदि पाकिस्तान मुस्लिमों और इस्लाम दोनों के लिए वाकई गंभीर होता तो 98% मुस्लिम आबादी वाले पाकिस्तान में फिल्म शायद कभी न प्रदर्शित होती.
शायद ही कभी अपनी ओछी हरकतों से बाज आएगा पाकिस्तान
पाकिस्तान की इस हरकत को देखकर ये कहना गलत न होगा कि भारत को लेकर पाकिस्तान लगातार ओछी हरकतें करता जा रहा है. पाकिस्तान जानता है कि फिल्म को लेकर भारतीयों की भावना पहले से ही आहत है अब उसकी ऐसी हरकत देखकर यही कहा जाएगा कि 98% की आबादी वाला पाकिस्तान शायद ही कभी अपनी हरकतों से बाज आए.
अंत में ये कहते हुए हम अपनी बात खत्म करेंगे कि फिल्म दिखाकर पाकिस्तान ने पुनः अपने दोगले चरित्र का प्रदर्शन किया है. साथ ही पाकिस्तान ने एक बार फिर से दुनिया को ये बताया है कि ये एक ऐसा देश है जो अपने देश की शिक्षा, गरीबी, रोजगार, आतंकवाद को नजरंदाज कर केवल और केवल भारत की तरफ निगाह किये हुए बैठा है और जिसका एक सूत्रीय कार्यक्रम भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होना है.
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