सोशल मीडिया पर एक बच्चे का वीडियो जमकर वायरल हो रहा है. जिसमें करीब 4-5 साल का एक बच्चा अपनी मां से कहता नजर आ रहा है कि 'मैं जिंदगी भर पढ़ाई करते-करते बुड्ढा हो जाऊंगा.' जिस पर मां कहती है कि 'तो, क्या हो जाएगा? पढ़-लिख के बुड्ढा होना. अनपढ़-गंवार बनकर बुड्ढा क्यों होंगे?' इस वीडियो को सोशल मीडिया पर लोग मजे लेते हुए शेयर कर रहे हैं. वीडियो को देखकर लगता है कि बच्चा पढ़ाई से बचने के लिए बहाने बना रहा है. लेकिन, ये वीडियो केवल हंसी-मजाक को नहीं दिखाता है. इस वीडियो में पढ़ाई को लेकर बच्चा जो कह रहा है, उससे आजकल के माता-पिता अंजान हैं. मासूम बच्चे के चेहरे के पीछे छिपा पढ़ाई का दबाव साफ नजर आता है. आसान शब्दों में कहें, तो बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित रहने वाले आजकल के माता-पिता उनसे उनका बचपन ही छीन लेना चाहते हैं.
तीन साल की छोटी सी उम्र से ही प्ले स्कूल में एडमिशन के साथ माता-पिता खुद ही बच्चे पर पढ़ाई का बोझ डाल देते हैं. स्कूल से मिले होमवर्क में हिंदी-इंग्लिश की कविता, अक्षर से लेकर रंगों तक के ज्ञान का उन पर एक अतिरिक्त बोझ डाल दिया जाता है. जबकि, ये चीजें बच्चा आसानी से बिना किसी दबाव के घर पर भी सीख सकता है. वहीं, बच्चे के स्कूल से आने पर माता-पिता उसके खाने-पीने की चिंता से पहले होमवर्क पर नजर डालते हैं. और, फिर शुरू होता है उस छोटे से बच्चे को होमवर्क कराने का काम. माता-पिता छोटी सी उम्र में ही बच्चों से एक्सपेक्ट करने लगते हैं कि वो हर चीजों को परिपक्व तरीके से लेना शुरू करे. ये भूलते हुए कि वो अभी एक बच्चा ही है. और, उसे अपना पूरा जीवन इसी तरह बिताना है.
सोशल मीडिया पर एक बच्चे का वीडियो जमकर वायरल हो रहा है. जिसमें करीब 4-5 साल का एक बच्चा अपनी मां से कहता नजर आ रहा है कि 'मैं जिंदगी भर पढ़ाई करते-करते बुड्ढा हो जाऊंगा.' जिस पर मां कहती है कि 'तो, क्या हो जाएगा? पढ़-लिख के बुड्ढा होना. अनपढ़-गंवार बनकर बुड्ढा क्यों होंगे?' इस वीडियो को सोशल मीडिया पर लोग मजे लेते हुए शेयर कर रहे हैं. वीडियो को देखकर लगता है कि बच्चा पढ़ाई से बचने के लिए बहाने बना रहा है. लेकिन, ये वीडियो केवल हंसी-मजाक को नहीं दिखाता है. इस वीडियो में पढ़ाई को लेकर बच्चा जो कह रहा है, उससे आजकल के माता-पिता अंजान हैं. मासूम बच्चे के चेहरे के पीछे छिपा पढ़ाई का दबाव साफ नजर आता है. आसान शब्दों में कहें, तो बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित रहने वाले आजकल के माता-पिता उनसे उनका बचपन ही छीन लेना चाहते हैं.
तीन साल की छोटी सी उम्र से ही प्ले स्कूल में एडमिशन के साथ माता-पिता खुद ही बच्चे पर पढ़ाई का बोझ डाल देते हैं. स्कूल से मिले होमवर्क में हिंदी-इंग्लिश की कविता, अक्षर से लेकर रंगों तक के ज्ञान का उन पर एक अतिरिक्त बोझ डाल दिया जाता है. जबकि, ये चीजें बच्चा आसानी से बिना किसी दबाव के घर पर भी सीख सकता है. वहीं, बच्चे के स्कूल से आने पर माता-पिता उसके खाने-पीने की चिंता से पहले होमवर्क पर नजर डालते हैं. और, फिर शुरू होता है उस छोटे से बच्चे को होमवर्क कराने का काम. माता-पिता छोटी सी उम्र में ही बच्चों से एक्सपेक्ट करने लगते हैं कि वो हर चीजों को परिपक्व तरीके से लेना शुरू करे. ये भूलते हुए कि वो अभी एक बच्चा ही है. और, उसे अपना पूरा जीवन इसी तरह बिताना है.
क्योंकि, जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होगा, उस पर पढ़ाई का बोझ वैसे ही बढ़ना है. और, पढ़ाई के बाद नौकरी और उसके बाद जीवन की आपाधापी में फंसा वो बच्चा कब बूढ़ा हो जाता है. ये उसे पता भी नहीं चलता. और, अगर गलती से पढ़ाई के दौरान उस बच्चे के साथ कोई छोटी सी घटना भी होती है, तो वह परिवार से लेकर समाज के इस दबाव के आगे घुटने टेकते हुए आत्महत्या जैसा कदम भी उठा लेता है. हाल ही में बरेली में एक बच्चे ने स्कूल में नकल करते हुए पकड़े जाने पर आत्महत्या कर ली. क्योंकि, स्कूल में बच्चे उसे 'शेम-शेम' कह कर चिढ़ाते थे. वो बच्चा दूसरा मौका चाहता था, जो उसे नहीं मिला. और, इस मामले का दोष सिर्फ स्कूल पर नहीं थोपा जा सकता. खुद बच्चे के माता-पिता भी उससे बातचीत नहीं कर सके. दरअसल, माता-पिता ने अपने बच्चे को पढ़ाई के प्रेशर कुकर पर खुद ही चढ़ा दिया है.
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