1978 में एक फिल्म आई थी 'पति-पत्नी और वो', जिसमें संजीव कपूर, विद्या सिन्हा और रंजीता थे. ये विवाहेत्तर संबंधों पर आधारित फिल्म थी जो उस दौर में खासी चर्चित रही थी. देखा जाए तो सालों बीत गए लेकिन extra marital affair नहीं बदले. इसीलिए 41 सालों के बाद भी इस फिल्म की रीमेक बन ही जाती है. 6 दिसंबर 2019 को रिलीज होने जा रही Pati Patni aur Woh जिसमें में भी सिवाय कलाकारों के कुछ भी नहीं बदला है. इस फिल्म में संजीव कुमार की जगह ली है Kartik Aaryan ने. जिनकी पत्नी का रोल निभा रही हैं भूमि पेडनेकर और 'वो' बनी हैं अनन्या पांडेय.
फिल्म का ट्रेलर देखने वालों को ये फिल्म इंटरटेनिंग तो लग रही है लेकिन लोग इस कॉन्सेप्ट को बोरिंग कह रहे हैं. लोगों का कहना है कि फिल्म में कुछ नया नहीं है. ये स्टोरीलाइन अब आउटडेटेड हो गई है. लेकिन सोचने वाली बात ये है कि क्या वास्तव में हमारे समाज में 'पति-पत्नी और वो' वाला कल्चर आउटडेटेड हो गया है? extra marital affair को लेकर क्या समाज बदल गया है?
तो ये कहने में हमें जरा भी संकोच नहीं है कि extra marital affair का ये कल्चर हमारे समाज में आज भी पहले की तरह ही है, बल्कि आज भी उतना ही उन्नत है जितना पहले हुआ करता था? बल्कि कई मायनों में तो तरक्की ही हुई है. यानी extra marital affair नहीं बदले लेकिन समाज कई मायनों में जरूर बदल चुका है.
पहले extra marital affair अपराध थे, अब नहीं
ब्रिटिश काल में व्यभिचार रोधी कानून बनाया गया था जिसे भारतीय दंड संहिता में धारा 497 के नाम से जाना जाता था. इस धारा पर कई बार अदालतों में विचार विमर्श किए गए थे लेकिन सितंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने 158 साल पुराने Adultery law यानी...
1978 में एक फिल्म आई थी 'पति-पत्नी और वो', जिसमें संजीव कपूर, विद्या सिन्हा और रंजीता थे. ये विवाहेत्तर संबंधों पर आधारित फिल्म थी जो उस दौर में खासी चर्चित रही थी. देखा जाए तो सालों बीत गए लेकिन extra marital affair नहीं बदले. इसीलिए 41 सालों के बाद भी इस फिल्म की रीमेक बन ही जाती है. 6 दिसंबर 2019 को रिलीज होने जा रही Pati Patni aur Woh जिसमें में भी सिवाय कलाकारों के कुछ भी नहीं बदला है. इस फिल्म में संजीव कुमार की जगह ली है Kartik Aaryan ने. जिनकी पत्नी का रोल निभा रही हैं भूमि पेडनेकर और 'वो' बनी हैं अनन्या पांडेय.
फिल्म का ट्रेलर देखने वालों को ये फिल्म इंटरटेनिंग तो लग रही है लेकिन लोग इस कॉन्सेप्ट को बोरिंग कह रहे हैं. लोगों का कहना है कि फिल्म में कुछ नया नहीं है. ये स्टोरीलाइन अब आउटडेटेड हो गई है. लेकिन सोचने वाली बात ये है कि क्या वास्तव में हमारे समाज में 'पति-पत्नी और वो' वाला कल्चर आउटडेटेड हो गया है? extra marital affair को लेकर क्या समाज बदल गया है?
तो ये कहने में हमें जरा भी संकोच नहीं है कि extra marital affair का ये कल्चर हमारे समाज में आज भी पहले की तरह ही है, बल्कि आज भी उतना ही उन्नत है जितना पहले हुआ करता था? बल्कि कई मायनों में तो तरक्की ही हुई है. यानी extra marital affair नहीं बदले लेकिन समाज कई मायनों में जरूर बदल चुका है.
पहले extra marital affair अपराध थे, अब नहीं
ब्रिटिश काल में व्यभिचार रोधी कानून बनाया गया था जिसे भारतीय दंड संहिता में धारा 497 के नाम से जाना जाता था. इस धारा पर कई बार अदालतों में विचार विमर्श किए गए थे लेकिन सितंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने 158 साल पुराने Adultery law यानी धारा 497 को असंवैधानिक करार देते हुए साफ शब्दों में कह दिया था कि अब विवाहेत्तर संबंध अपराध नहीं हैं. 2019 में देश की सर्वोच्च अदालत ने विवाहेत्तर संबंधों पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया जिसमें कही गई बातें काफी महत्वपूर्ण थीं और बदलते हुए समाज की तरफ इशारा कर रही थीं. जैसे-
- स्त्री और पुरुष के बीच में कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता, बराबरी जरूरी है. महिला और पुरुषों के अधिकार समान हैं.
- पति, पत्नी का मालिक नहीं है. पत्नी को अपनी जागीर की तरह इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.
- पुरुष हमेशा फुसलाने वाला ही हो और महिला हमेशा पीड़िता ही कहलाए- ऐसा अब नहीं होता.
- महिला की चाहत और सेक्सुअल च्वॉयस का सम्मान करना चाहिए जो 497 नहीं करता.
- महिला की गरिमा सबसे ऊपर है. महिला के सम्मान के खिलाफ आचरण गलत है.
- यह पूर्णता निजता का मामला है. महिला को समाज की चाहत के हिसाब से सोचने को नहीं कहा जा सकता.
- एडल्टरी तलाक का आधार तो हो सकता है लेकिन ये अपराध नहीं है.
Extra marital affair को देखने का नजरिया बदला है
अब extra marital affair को लोग उस तरह नहीं देखते जिस तरह पहले देखा करते थे. और इसीलिए इस विषय पर 1978 में बनी फिल्म ज्यादा कौतुहल पैदा करती थी और 2019 में बनी फिल्म लोगों को बोरिंग लग रही है. अब समाज विवाहेत्तर संबंधों को लेकर पहले से सहज हो गया है. यानी लोगों को किसी के अफेयर के बारे में सुनकर धक्का नहीं लगता. ये आजकल बहुत कॉमन है. पहले से इजाफा ही हुआ है. और इसके लिए टीवी और फिल्मों को दोष भी नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि 41 साल पहले अगर इसी विषय पर कोई फिल्म बनती है और 158 साल पहले कानून बनता है तो इसका इतिहास सैकड़ों साल पुराना तो रहा ही होगा. और तब फिल्में नहीं बना करती थीं. इसलिए विवाहेत्तर संबंध नहीं बदले हैं बल्कि इन्हें देखने का नजरिया बदल गया है, और इसीलिए ये बढ़े हुए दिखाई देते हैं.
आजकल तो पति-और पत्नी दोनों एकदूसरे की सेक्सुअल नीड को अहमियत देते हुए दिखाई देते हैं. और अगर इसके लिए वो किसी दूसरे के साथ संबंध रखते हैं तो इसमें उन्हें कोई बुराई भी नजर नहीं आती, वो इसे धोखा देना नहीं मानते.
Extra marital affair में महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ी है
वफा निभाने वाली पत्नियां, और पति की बेवफाई पर रोने वाली पत्नियां शायद आज के जमाने में कम हैं. बदलते समय ने महिलाओं की सोच को भी बदला है. पहले पति परमेश्वर हुआ करते थे और पत्नी उनकी दासी, जो पति की हर बात को धर्म की तरह निभाया करती थी.
लेकिन आज की पत्नी किसी की पत्नी होने से पहले एक महिला है, जिसकी खुशी, संतुष्टी और sexual choice भी अहमियत रखती है. इसलिए आज की महिलाएं भी extra marital affair पर उतना ही भरोसा करती हैं जितना की पुरुष. हाल ही में किए हुए सर्वे इस तरफ इशारा करते हैं कि समय ने महिलाओं को भी कितना बदल दिया है. extra-marital dating app Gleeden ने एक सर्वे किया, जिसपर 5 लाख यूजर्स भारत से हैं. सर्वे के मुताबिक-
- विवाहेत्तर संबंध रखने वाली 77% महिलाओं ने पति को धोखा देने की वजह अपने नीरस वैवाहिक जीवन को बताया.
- 31% बेवफा महिलाओं का उनके पड़ोसी के साथ अफेयर है.
- 52% महिलाओं ने बिजनेस ट्रिप पर अपने पार्टनर को धोखा दिया है.
- 10 में से 4 महिलाओं ने माना कि दूसरों के साथ फ्लर्ट करके उनकी शादीशुदा नीरस जिंदगी में स्पार्क आया है.
- इस ऐप के 30 प्रतिशत यूजर्स भारतीय महिलाएं हैं जिनकी उम्र 34-49 साल की है.
पहले extra marital affair शान थे, आज अपमान हैं
जी हां, दादा दादी के जमाने में हमने भी देखा था कि पहले लोगों की दो या तीन पत्नियां हुआ करती थीं. और कुछ तो पत्नियां भी नहीं थीं. पहले लोगों का अगर किसी के साथ अफेयर होता था तो वो उसका पूरा खर्च उठाता था. महिला के लिए अलग घर भी दिया करता था. बच्चे भी हो जाते थे. और व्यक्ति दो-दो जिम्मेदारी उठा लिया करता था. ऐसे कई किस्से होते थे. लेकिन समय के साथ बदलाव ये आया कि अब लोग extra marital affair से सिर्फ अपनी शारीरिक जरूरतें पूरी किया करते हैं, आर्थिक नहीं. आज extra marital affair के लिए पुरुष अपनी पर्सनल लाइफ खराब नहीं करना चाहता, वो न बीवी को छोड़ता है और न बच्चों को. यानी उसके अफेयर से उसका घर डिस्टर्ब न हो. और आज इतनी ही clarity महिला को भी है कि वो अपने प्रेमी से अपनी जरूरतें तो पूरी करना चाहती है लेकिन शादी नहीं तोड़ना चाहती. शायद ये सामाजिक दबाव है जिसके चलते लोग बेकार के पचड़ों में नहीं पड़ना चाहते. और इसी तरह थोड़ी सी बेवफाई से खुश हैं. और जो इमोशनली जुड़ गए हैं और वास्तव में अलग होना चाहते हैं वो mutual understanding के चलते तलाक भी ले लेते हैं.
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