होली (Holi 2021) देश के प्रमुख त्योहारों में से एक है. घरों में कई दिन पहले से ही तैयारियां (Holika dahan 2021) शुरु हो जाती हैं. गुजिए की मिठास में लोग आपसी कड़वाहट को भुला देते हैं. इस दिन एक-दूसरे को प्रेम से रंग लगाते हैं, लेकिन आज भी हमारे देश में कई ऐसी जगहें हैं जहां होली नहीं मनाई जाती है. आपको हैरानी हो रही होगी कि आखिर प्रेम के इस त्योहार को मनाने पर पाबंदी क्यों है. इन जगहों पर होली ( Holi 2021 Date 29 march) ना मनाने के पीछे अलग-अलग प्रथा बताई गई है. इन परंपराओं को तोड़ने से आज भी लोग डरते हैं. तो चलिए ऐसी जगहों के बारे में आपको बताते हैं और जानते हैं कि ऐसे क्या कारण हैं जिसकी वजह से लोग आज भी होली सेलिब्रेट नहीं करते.
1- झारखंड के कसमार ब्लॉक में एक गांव है दुर्गापुर. इस गांव में 100 साल से होली नहीं मनाई गई है. लोगों को डर है कि होली सेलिब्रेट करने पर गांव में महामारी फैल जाएगी. जिससे कई लोगों की मौत हो सकती है. दरअसल, कई साल पहले होली के दिन ही गांव के राजा के बेटे की मौत हो गई थी. जिसके बाद राजा ने गांव वालों को होली मनाने से मना कर दिया था. तबी से लोग डर के मारे यहां होली नहीं मनाते.
2- मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के डहुआ गांव में भी लोगों ने पिछले 125 सालों से होली नहीं मनाई है. इसके पीछे की कहानी बताई जाती है कि होली के ही दिन इस गांव के प्रधान की बावड़ी में डूबने की वजह से मौत हो गई थी. तभी से गांव वाले डर गए और दुखी हो गए. इस हादसे के बाद गांव वालों ने होली ना मनाने का फैसला लिया. जिसके बाद इस गांव में होली ना खेलने की धार्मिक प्रथा शुरू हो गई.
3- ऐसी ही एक जगह हरियाणा के गुहल्ला में है, जिसे चीका गांव कहते हैं. यहां पिछले 150 सालों से किसी...
होली (Holi 2021) देश के प्रमुख त्योहारों में से एक है. घरों में कई दिन पहले से ही तैयारियां (Holika dahan 2021) शुरु हो जाती हैं. गुजिए की मिठास में लोग आपसी कड़वाहट को भुला देते हैं. इस दिन एक-दूसरे को प्रेम से रंग लगाते हैं, लेकिन आज भी हमारे देश में कई ऐसी जगहें हैं जहां होली नहीं मनाई जाती है. आपको हैरानी हो रही होगी कि आखिर प्रेम के इस त्योहार को मनाने पर पाबंदी क्यों है. इन जगहों पर होली ( Holi 2021 Date 29 march) ना मनाने के पीछे अलग-अलग प्रथा बताई गई है. इन परंपराओं को तोड़ने से आज भी लोग डरते हैं. तो चलिए ऐसी जगहों के बारे में आपको बताते हैं और जानते हैं कि ऐसे क्या कारण हैं जिसकी वजह से लोग आज भी होली सेलिब्रेट नहीं करते.
1- झारखंड के कसमार ब्लॉक में एक गांव है दुर्गापुर. इस गांव में 100 साल से होली नहीं मनाई गई है. लोगों को डर है कि होली सेलिब्रेट करने पर गांव में महामारी फैल जाएगी. जिससे कई लोगों की मौत हो सकती है. दरअसल, कई साल पहले होली के दिन ही गांव के राजा के बेटे की मौत हो गई थी. जिसके बाद राजा ने गांव वालों को होली मनाने से मना कर दिया था. तबी से लोग डर के मारे यहां होली नहीं मनाते.
2- मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के डहुआ गांव में भी लोगों ने पिछले 125 सालों से होली नहीं मनाई है. इसके पीछे की कहानी बताई जाती है कि होली के ही दिन इस गांव के प्रधान की बावड़ी में डूबने की वजह से मौत हो गई थी. तभी से गांव वाले डर गए और दुखी हो गए. इस हादसे के बाद गांव वालों ने होली ना मनाने का फैसला लिया. जिसके बाद इस गांव में होली ना खेलने की धार्मिक प्रथा शुरू हो गई.
3- ऐसी ही एक जगह हरियाणा के गुहल्ला में है, जिसे चीका गांव कहते हैं. यहां पिछले 150 सालों से किसी ने होली नहीं खेली. माना जाता है कि यहां एक बौना बाबा रहता था. उसके छोटे कद की वजह से लोग अक्सर उसका मजाक बनाते रहते थे. आहत होकर बाबा ने होलिका दहन में कूदकर जान दे दी. अग्नि में कूदने से पहले बाबा ने होली ना मनाने का श्राप दिया.
बाबा ने शाप दिया कि होली मनाने वाले के परिवार का नाश हो जाएगा. शाप सुनकर लोगों ने जब माफी मांगी और मिन्नत की तब जाकर बाबा ने शाप से छुटकारा पाने के लिए एक उपाय भी बताया. बाबा ने कहा कि अगर होली वाले दिन किसी के घर बेटा हुआ और उसी दिन गाय ने बछड़े को जन्म दिया तो गांव वालों को शाप से मुक्ति मिल जाएगी, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो पाया. इस डर की वजह से ही यहां के लोग आज भी होली नहीं मनाते.
विज्ञान के इस युग में आज भी कुछ लोग अंधविश्वास में जकड़े हुए हैं. डर इतना हावी है कि कोई इसके खिलाफ जाने की हिम्मत नहीं करता. आस्था और अंधविश्वास के अंतर को समझना बहुत जरूरी है, क्योंकि जब तक अंधविश्वास रहेगा तब तक हमारा समाज नरबलि, डायन बिसाही, ढोंगी बाबा, ओझा-सोखा और तांत्रिक जैसी भ्रांतियों से शापित रहेगा. इसके खिलाफ बोलने पर आपको ही दोषी बनाया जा सकता है क्योंकि अंधविश्वास ने हमारे समाज से पूरी तरह से जकड़ लिया है. इसलिए लोगों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने में टाइम लग सकता है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.