ट्रांसजेंडर (transgender) के लिए कितने भी नियम क्यों न बना दिया जाएं लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला...वो आज भी उन्हें छक्का, हिजड़ा जैसे नामों से गाली दी जाती है. लोगों ने ट्रासंजेंडर को हमेशा ही समाज से अलग माना है.
भारत में ट्रांसजेंडर्स की संख्या
साल 2011 की जनगणना बताती है कि भारत में करीब पांच लाख, अगर एकदम सटीक आंकड़ों में जाएं तो 488,000 ट्रांसजेंडर्स हैं. हालांकि ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट्स यह दावा करते हैं कि असर संख्या आधिकारिक आंकड़ों से छह से सात गुना ज्यादा होगी. क्योंकि बहुत सारे लोग सामाजिक कलंक के चलते अपनी पहचान उजागर नहीं कर पाते. सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें थर्ड जेंडर भले ही घोषित कर दिया हो लेकिन लोग माने तब ना. हालांकि अब ट्रांसजेंर के लिए स्कूल और पब्लिक टॉयलेट खोले जा रहे हैं लेकिन ट्रांसजेंडर पढ़े-लिखे नहीं ऐसे में उन्हें रोजी-रोटी के लिए दूसरों से पैसे मांगने पड़ते हैं.
देखिए लोग क्या-क्या कॉमेंट करते हैं?
एक बार ट्रेन में सुबह के समय दो ट्रांसजेंडर पैसे मांग रहे थे. तभी एक ने कहा अरे यार तुम लोग कुछ और काम क्यों नहीं कर लेते? वो किन्नर बिना पैसे लिए ही आगे बढ़ गए वो कैसे समझाते कि काम तो वो कर लें लेकिन उन्हें इंसान समझकर कोई उनपर भरोसा तो जताए.
ट्रांसजेंडर को मर जाना चाहिए
सीट पर बैठे एक शख्स ने बगल वाले व्यक्ति से कहा कि यार ये लोग किसके लिए इतना करते हैं? मतलब हमारा तो समझ आता है कि हम अपने बीवी-बच्चों के लिए करते हैं लेकिन ये किसके लिए रोज मांगते फिरते हैं. ये लोग जीते ही क्यों यार? इन्हें मर जाना चाहिए...इस महाशय के हिसाब...
ट्रांसजेंडर (transgender) के लिए कितने भी नियम क्यों न बना दिया जाएं लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला...वो आज भी उन्हें छक्का, हिजड़ा जैसे नामों से गाली दी जाती है. लोगों ने ट्रासंजेंडर को हमेशा ही समाज से अलग माना है.
भारत में ट्रांसजेंडर्स की संख्या
साल 2011 की जनगणना बताती है कि भारत में करीब पांच लाख, अगर एकदम सटीक आंकड़ों में जाएं तो 488,000 ट्रांसजेंडर्स हैं. हालांकि ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट्स यह दावा करते हैं कि असर संख्या आधिकारिक आंकड़ों से छह से सात गुना ज्यादा होगी. क्योंकि बहुत सारे लोग सामाजिक कलंक के चलते अपनी पहचान उजागर नहीं कर पाते. सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें थर्ड जेंडर भले ही घोषित कर दिया हो लेकिन लोग माने तब ना. हालांकि अब ट्रांसजेंर के लिए स्कूल और पब्लिक टॉयलेट खोले जा रहे हैं लेकिन ट्रांसजेंडर पढ़े-लिखे नहीं ऐसे में उन्हें रोजी-रोटी के लिए दूसरों से पैसे मांगने पड़ते हैं.
देखिए लोग क्या-क्या कॉमेंट करते हैं?
एक बार ट्रेन में सुबह के समय दो ट्रांसजेंडर पैसे मांग रहे थे. तभी एक ने कहा अरे यार तुम लोग कुछ और काम क्यों नहीं कर लेते? वो किन्नर बिना पैसे लिए ही आगे बढ़ गए वो कैसे समझाते कि काम तो वो कर लें लेकिन उन्हें इंसान समझकर कोई उनपर भरोसा तो जताए.
ट्रांसजेंडर को मर जाना चाहिए
सीट पर बैठे एक शख्स ने बगल वाले व्यक्ति से कहा कि यार ये लोग किसके लिए इतना करते हैं? मतलब हमारा तो समझ आता है कि हम अपने बीवी-बच्चों के लिए करते हैं लेकिन ये किसके लिए रोज मांगते फिरते हैं. ये लोग जीते ही क्यों यार? इन्हें मर जाना चाहिए...इस महाशय के हिसाब से ट्रांसजेंडर को जीना ही नहीं चाहिए. न जाने कितनी बार ट्रांसजेंडर को अपमानित होते हुए हम देखते हैं लेकिन हम उसे ऐसे इगनोर कर देते हैं जैसे इसमें क्या बड़ी बात है?
कुछ लोगों को लगता है कि ये धरती पर बोझ हैं. कहीं सड़क पर अगर ट्रांसजेंडर दिख जाएं तो वे कहते हैं कि यार ये फिर दिख गए आज का दिन खराब हो गया.
कई लोग सिर्फ कॉमेंट ही नहीं करते जबकि उनको लगता है कि ट्रांसजेंडर की कोई इज्जत नहीं होती. इसलिए वे आसानी से उनपर अपने हाथ सेक सकते हैं. अगर किसी ट्रांसजेंडर को उन्होंने पैसे दे दिए तो उन्हें लगता है कि उसे छूने की उन्हें आजादी मिल गई है.
किसी बाजार में अगर कोई ट्रांसजेंडर दिख जाए तो लोग रास्ता बदल लेते हैं. कई कहते हैं कि तुम सच में ऐसे ही हो या फिर पैसा मांगने के लिए ये ढोंग किया है, सबूत क्या है? कई लोग ट्रांसजेंडर की आवाज और उनके हाव-भाव की कॉपी करके उनका मजाक बनाते हैं. उन्हें गंदी गाली देते हैं.
शारीरिक बनावट को लेकर मजाक
लोग ट्रांसजेंडर को देखते ही कहते हैं लो आ गए हि..ड़े, देखों उनके पैरों में बाल हैं. लोग उनके चेहरे की बनावट को लेकर मजाक उड़ाते हैं कि बोलते हैं देखो हि..ड़े की मुच्छी दिख रही है. कोई अगर पतली-दुबला हो तो उसके शारीरिक बनावट को लेकर कटाक्ष करते हैं. ऐसी बातें जो हम यहां लिख नहीं सकते. ट्रांसजेंडर के बालों को लेकर भी लोग कमेंट करते हैं. कई लोग तो बाल ही खींच देते हैं.
दुनिया कहां से कहां बदल गई लेकिन किन्नरों के साथ आज भी समाज में भेदभाव किया जाता है. उनसे लोग घृणा करते हैं. लोगों को लगता है जैसे ट्रांसजेंडर के अंदर कोई इमोशन नहीं होता. लोगों को पता है कि इनके लिए न कोई हेल्पलाइन है और ना ही आगे-पीछे कोई. जो कमजोर है उस पर लोगों का हावी होना स्वाभाविक है. कई को लगता है कि ट्रांसजेंडर का यौन शोषण आसानी से किया जा सकता है.
कुल मिलाकर कुछ लोगों को यही लगता है कि किन्नर की कोई इज्जत ही नहीं होती. जब ट्रांसजेंडर पैसे मांगती है तो कई लोग अजीब सी घटिया शर्त रखते हैं कि ये को तो पैसे मिलेंगे. लोग अपने दोस्तों को किन्नर बोलकर चिढ़ाते हैं. इसी से समझ आता है कि लोगों की सोच कहां है? ट्रांसजेंडर पहले से ही हीन भावना से ग्रसित होते हैं. वे अपनी पहचान के लिए जूझते रहते हैं.
ट्रांसजेंडर के साथ सेक्शुअल वायलेंस
ट्रांसजेंडर पर्सन के तौर पर पब्लिक टॉयलेट इस्तेमाल करने में बड़ी दिक्कत होती है. लोग उन्हें फॉलो करते हैं और ऊपर से नीचे देखते हैं वे कौन हैं. लड़का या लड़की हूं या फिर ट्रांसजेंडर. ट्रांसजेंडर के साथ बहुत ज्यादा वायलेंस भी होता है. उनके साथ सेक्शुअल वायलेंस भी होता है. कई बार मेल वॉशरूम या इवेंट्स में या फिर पब्लिक प्लेसेस में लोग पीछे से जाकर उन्हें पकड़ लेते हैं. कोई खींचता है तो कोई नोचता है. ट्रांसजेंडर के साथ पब्लिकली. कितना ह्यूमिलिएशन होता है आप सोच भी नहीं सकते. क्योंकि इनकी घटनाएं सामने नहीं आती हैं. यह बहुत डरावना है.
अगर कोई फीमेल ट्रांसजेंडर बिना मेकअप किए, बिना बाल खोले या बिना लड़की वाले कपड़े पहने फीमेल टॉयलेट में चली गई तो उन्हें पीटा भी जा सकता है. उन्हें लगेगा कि कोई लड़का फीमेंल वॉशरूम में घुस आया है. एक ट्रांसजेंडर के अनुसार, हम पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करना अधिकतर अवॉयड करते हैं. इसलिए हम पानी भी कम पीते हैं...हमें डर बना रहता है कि कोई भी कभी भी हमारे साथ गंदी हरकत कर सकता है.
ट्रांसजेंडर को देखते ही कई गंदे इशारे
कुछ लोग ऐसे होते हैं जो ट्रांसजेंडर को देखते ही कई गंदे इशारे करने लगते हैं. कई बार लोग उन्हें पकड़ने लगते हैं. एक ट्रांसजेंडर को क्या कुछ सहना पड़ता है यह वही समझ सकते हैं. लोग ट्रांसजेंडर को देखते ही भौंहे चढ़ाकर उन्हें तिरस्कार भरी नजरों से देखने लगते हैं. उनपर कटाक्ष करते हैं और ऐसे व्यवहार करते हैं कि जैसे ट्रांसजेंडर कितने तुच्छ प्राणी हैं. उन्हें यह सब देखकर लगता है कि उनके पास कितना सहनशक्ति होती है दो यह सब बर्दाश्त करके भी जी रहे हैं.
इतना ही नहीं जो बच्चे ट्रांसजेंडर होते हैं उन्हें स्कूल में बड़ी दिक्कत होती है. उन्हें सबसे अलग समझा जाता है. वे अलग-थलग रहते हैं और उन्हें अकेलापन महसूस होता है. ट्रांसजेंडर बच्चों का मजाक उड़ाया जाता है.किसी का मजाक उड़ाने से पहले हम सोचते भी नहीं है कि सामने वाले के दिल पर क्या बीत रही होगी? आप बताइए क्या ट्रांसजेंडर की जिंदगी आसान होती है?
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