वैलेंटाइन डे आने को है और प्रेमी जोड़ों ने शायद अपने पार्टनर के लिए गिफ्ट खरीदने शुरू कर दिए होंगे या फिर हो सकता है खरीद भी लिए हों. पर कई बार प्रेमी जोड़ों के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द ये बन जाता है कि आखिर पार्टनर को दिया क्या जाए. तोहफा जरूरी भी होना चाहिए और ये भी दिखना चाहिए कि तोहफे को खरीदते समय पार्टनर के बारे में सोचा गया और उसकी पसंद-नापसंद का ख्याल रखा गया है. तोहफे ये दिखाते हैं कि सामने वाले के लिए हम कितना सोच रहे हैं और उसके प्रति कितनी इज्जत और प्यार की भावना रखते हैं, लेकिन कई बार सही तोहफा चुनने की जद्दोजहद बहुत कठिन हो जाती है.
क्या तोहफा देना है इसके लिए थोड़ा मनोविज्ञान को समझने की जरूरत है. वैज्ञानिकों ने रिसर्च कर ये साबित कर दिया है कि कौन सा तोहफा सबसे बेहतर होगा और किस तोहफे को देने से ये लगेगा कि पार्टनर की अहमियत ज्यादा है.
एक साइंटिफिक रिसर्च इस बारे में बड़ा योगदान देती है. इस रिसर्च के मुताबिक गिफ्टिंग असल में सिर्फ चॉकलेट, फूल, गहने, कपड़े आदि देना नहीं है. बल्कि ऐसी चीज़ देना है जिससे पार्टनर कनेक्ट हो पाए और उसके साथ ही उसे अपनी जिम्मेदारी का अहसास हो.
सबसे बेहतरीन गिफ्ट तो पालतू जानवर है...
रिसर्च कहती है कि अगर कोई पार्टनर (महिला या पुरुष) अपने पार्टनर को कोई पेट (Pet) गिफ्ट करता है तो उसे जिम्मेदारी का अहसास ज्यादा होता है. Wiederman & Hurd, 1999 की रिपोर्ट के मुताबिक कम से कम 70% लोगों ने ये माना है कि वो अपने पूरे जीवन में किसी न किसी पार्टनर के साथ चीटिंग करते हैं और अगर कोई एक बार चीटिंग कर लेता है तो वो दोबारा करने की कोशिश करता है. ऐसे में कोई ऐसा गिफ्ट जिससे उस इंसान को जिम्मेदारी का अहसास हो ये मनोवैज्ञानिकों के नजरिए से बहुत किफायती साबित हो सकता है जो पार्टनर को चीटिंग करने से रोक सकता है.
मनोविज्ञान कहता है ऐसा गिफ्ट देना जिससे थोड़ा अपनेपन और जिम्मेदारी का अहसास हो ये रिश्ते के लिए अच्छा है
ये सिर्फ एक रिसर्च के आधार पर निकाला गया निष्कर्ष है. लेकिन अगर गौर किया जाए तो ये बात गलत नहीं है. जिम्मेदारी का अहसास किसी इंसान की मानसिकता बदलने के लिए पहला कदम हो सकता है. ऐसे में कोई Pet देना उसी अहसास को बढ़ावा देगा.
रिसर्च के अनुसार किसी पालतू जानवर को अपने साथ रखना एक तरह से पेरेंटिंग का अहसास करवाता है और किसी भी पेरेंट में सोशलसेक्शुएलिटी (पार्ट टाइम रिलेशनशिप में जाना या अफेयर रखना) की भावना कम होती है. ऐसे में Pet न सिर्फ अकेलेपन को दूर करता है बल्कि ये जिम्मेदारी की भावना भी देता है. इंसान की पसंद के हिसाब से दिया जा सकता है, कुत्ते, बिल्ली, तोता, मछली, कछुआ इनमें से कुछ भी बेहतर Pet बन सकता है.
जानवर नहीं तो पौधे ही सही
भागदौड़ भरी जिंदगी में किसी पालतू जानवर का ख्याल रखना आसान नहीं है. वो जिम्मेदारी अगर बोझ लगने लगे तो दिक्कत ज्यादा बढ़ जाती है. ऐसे में एक और रिसर्च काम आती है जो कहती है कि प्रकृति मनोविज्ञान के मामले में काफी असरदार साबित हो सकती है. एक अन्य रिसर्च कहती है कि पौधे गिफ्ट करना अच्छा विकल्प है. यहां तक कि आपको गूगल पर कई ऐसे आर्टिकल मिल जाएंगे जो ये बताएं कि गिफ्ट करने के लिए कौन से पौधे बेहतर रहते हैं और यहां तक कि अगर किसी को कैक्टस गिफ्ट करना हो तो उसका मतलब क्या होता है.
पौधे भी किसी हद तक जिम्मेदारी का अहसास करवाते हैं. उसमें रोज़ पानी डालना, उसकी देखभाल करना जरूरी है. साथ ही, जब पौधा बढ़ने लगता है, उसमें कोई फूल या फल आता है तो उसे देखकर सफलता का अहसास भी होता है. यही कारण है कि पौधे बेहतर गिफ्ट बन सकते हैं.
मनोविज्ञान कहता है कि अगर गिफ्ट किया गया सामान व्यक्ति विशेष को सोचकर लिया गया हो तो यकीनन ये असरदार होता है. मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि इससे न सिर्फ रिश्ते में प्यार बना रहता है बल्कि सामने वाले को अहमियत का अहसास भी होता है. मनोविज्ञान के हिसाब से बहुत फैंसी गिफ्ट देना, या बेहतर गिफ्ट पैकिंग करना मायने नहीं रखता अगर वो तोहफा सही नहीं जो दिया गया हो.
पर क्या है बेहतर?
- पालतू जानवर.
- पौधे.
- कुछ मेहनत से बनाया हुआ. जैसे कोई पेंटिंग, खाना, कोई आर्ट.
- घूमने या साथ समय बिताने के लिए दिया गया कोई गिफ्ट जैसे हॉलीडे प्लान.
- व्यक्ति विशेष की पसंद का गिफ्ट जैसे बुक लवर के लिए किताब.
- कोई ऐसा गिफ्ट जिससे पुरानी यादें ताज़ा हो जाएं.
अगर इस तरह से सोचकर गिफ्ट दिया जाए तो यकीनन सामने वाले को बेहतर लगेगा. ये भले ही सुनने में अजीब लग रहा हो, लेकिन है सच. सिर्फ किसी को तोहफा देना है इसलिए कुछ भी दे दिया जाए ये सही नहीं है. अगर तोहफे में को थोड़ा सोचकर दिया जाए और ये समझा जाए कि इससे रिश्ता बेहतर होगा तो वाकई असर साफ देखा जा सकता है.
ये भी पढ़ें-
Valentine Day: भारत और पाकिस्तान कितने एक जैसे हैं!
Valentine Rose Day: गुलाब को 'खानदानी हरामी' क्यों कहा था निराला ने?
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.