पीएम मोदी अपने भाषणों के साथ-साथ अपने ड्रेसिंग सेंस को लेकर भी हमेशा चर्चा में रहते हैं. प्रधानमंत्री बनने के बाद से 15 अगस्त और 26 जनवरी में उनके ड्रेस कोड में साफा भी होता है. अपने साफा प्रेम और उसके रंगों को लेकर साल के ये दो दिन लोगों में कौतूहल बना रहता है.
इस बार भी पीएम ने 68वें गणतंत्र दिवस समारोह के मौके पर पगड़ी पहनी. उन्होंने पिंक यानि गुलाबी रंग का साफा पहना. पीएम के इस परिधान पर ट्विटर एक बार फिर लहालोट हो गया. इनके ड्रेसिंग सेंस को इस बार कई लोगों ने वुमेन एम्पावरमेंट के सपोर्ट में उठाया गया कदम माना.
लोगों ने पीएम के इस पिंक साफा पहनने के पीछे छुपे मैसेज को डीकोड करना शुरु कर दिया. 21 जनवरी को महिलाओं ने नए साल पर बेंगलुरु में महिलाओं के साथ हुए मास मोलेस्टेशन के खिलाफ मार्च निकाला था. कुछ लोगों ने कहा कि पीएम ने इसी वुमन मार्च को सपोर्ट करने के लिए इस बार पिंक साफा पहना है.
कुछ लोगों ने पीएम के इस साफे को नोटबंदी के बाद का साइड इफेक्ट बताया. 2000 के पिंक नोट का स्वागत करने के लिए पीएम ने पिंक साफा पहनने का निर्णय लिया.
खैर जबतक लोग पीएम के इस पिंक प्रेम के पीछे का मैसेज ढूंढ कर निकालें तबतक हम आपको महिलाओं के पिंक कनेक्शन पर कुछ जानकारी दे देते हैं. पिंक लड़कियों का और ब्लू लड़कों का रंग माना जाता है. लेकिन क्या आपको पता है कि 20वीं सदी तक महिलाओं और पुरुषों के लिए किसी रंग को जोड़ा नहीं गया था.
हैरानी की...
पीएम मोदी अपने भाषणों के साथ-साथ अपने ड्रेसिंग सेंस को लेकर भी हमेशा चर्चा में रहते हैं. प्रधानमंत्री बनने के बाद से 15 अगस्त और 26 जनवरी में उनके ड्रेस कोड में साफा भी होता है. अपने साफा प्रेम और उसके रंगों को लेकर साल के ये दो दिन लोगों में कौतूहल बना रहता है.
इस बार भी पीएम ने 68वें गणतंत्र दिवस समारोह के मौके पर पगड़ी पहनी. उन्होंने पिंक यानि गुलाबी रंग का साफा पहना. पीएम के इस परिधान पर ट्विटर एक बार फिर लहालोट हो गया. इनके ड्रेसिंग सेंस को इस बार कई लोगों ने वुमेन एम्पावरमेंट के सपोर्ट में उठाया गया कदम माना.
लोगों ने पीएम के इस पिंक साफा पहनने के पीछे छुपे मैसेज को डीकोड करना शुरु कर दिया. 21 जनवरी को महिलाओं ने नए साल पर बेंगलुरु में महिलाओं के साथ हुए मास मोलेस्टेशन के खिलाफ मार्च निकाला था. कुछ लोगों ने कहा कि पीएम ने इसी वुमन मार्च को सपोर्ट करने के लिए इस बार पिंक साफा पहना है.
कुछ लोगों ने पीएम के इस साफे को नोटबंदी के बाद का साइड इफेक्ट बताया. 2000 के पिंक नोट का स्वागत करने के लिए पीएम ने पिंक साफा पहनने का निर्णय लिया.
खैर जबतक लोग पीएम के इस पिंक प्रेम के पीछे का मैसेज ढूंढ कर निकालें तबतक हम आपको महिलाओं के पिंक कनेक्शन पर कुछ जानकारी दे देते हैं. पिंक लड़कियों का और ब्लू लड़कों का रंग माना जाता है. लेकिन क्या आपको पता है कि 20वीं सदी तक महिलाओं और पुरुषों के लिए किसी रंग को जोड़ा नहीं गया था.
हैरानी की बात तो ये है कि जब किसी खास रंग से महिलाओं और पुरुषों को जोड़ा जाना शुरु तब ठीक इसके उल्टा था. लड़कों के लिए पिंक और लड़कियों के लिए ब्लू! 1918 में Earnshaw's Infants' Department नामक एक पत्रिका में एक लेख आया. इस लेख में कहा गया कि पिंक लड़कों का और ब्लू लड़कियों का रंग है.
इसके पीछे कारण दिया गया कि पिंक एक स्ट्रॉन्ग रंग है इसलिए इसे पुरुषों के लिए सही माना गया. वहीं ब्लू थोड़ा सोबर और हल्का रंग है जो महिलाओं के लिए मुफीद है. फिर आखिर ये बदला कैसे? यही सोच रहे हैं ना. तो ये सब हुआ सेकंड वर्ल्ड वॉर के समय. Mental Floss में छपे एक लेख के अनुसार रोजी द रिवेटर (ये अमेरीका की प्रसिद्ध कल्चरल आईकन हैं) ने अपनी फैक्टरी में ब्लू की जगह पिंक एपरन को अपना लिया. तभी से पिंक को महिलाओं का रंग माना जाने लगा.
इन सबसे हटकर अगर आपने ध्यान दिया होगा तो शादियों नें दुल्हन के घर के सारे मर्द पिंक पगड़ी ही पहनते हैं. तो क्या ये फेमिनिज्म को सपोर्ट करने के लिए किया जाता है? आप ऐसा मानेंगे? खैर मुद्दे की बात ये है कि पिंक का वुमन एम्पावरमेंट से कुछ लेना-देना नहीं है. और अगर हमारे पीएम को महिलाओं के सपोर्ट में खड़ा ही होना होगा तो वो नई नीतियां बनाएंगे और अपने भाषणों में इसे जगह देंगे.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.